सृजन घोटाला : 100 करोड़ के गबन मामले में 3 बैंकों के कर्मचारियों पर दर्ज हुई FIR

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Published : Dec 25, 2020, 8:39 PM IST

Updated : Dec 25, 2020, 8:49 PM IST

बिहार की ताजा खबर

बिहार के चर्चित सृजन घोटाले में एक और बड़ी कार्रवाई की गई है. भागलपुर जिला पदाधिकारी ने 3 बैंकों के कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया. इस बाबत, संबंधित अधिकारी ने थाने पहुंच एफआईआर दर्ज करा दी है.

भागलपुर : बिहार के चर्चित सृजन घोटाले मामले में एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की गई है. भागलपुर डीएम ने 100 करोड़ के गबन मामले में बैंकों के कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है. इस आदेश का पालन करते हुए जिला कल्याण पदाधिकारी श्याम प्रसाद यादव ने कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज करवायी है.

जिलाधिकारी ने 3 बैंकों के कर्मचारियों पर प्राथिमिकी दर्ज करने का आदेश दिया. जानकारी के अनुसार, गबन मामले में बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के वैसे कर्मचारियों पर प्राथमिकी दर्ज करवाया गयी है, जो इस घोटाले में शामिल थे. इस संबंध में जिला कल्याण पदाधिकारी श्याम प्रसाद यादव ने बताया कि महा लेखाकार की रिपोर्ट में घोटाले का खुलासा हुआ था. इसके पश्चात संबंधित लोगों पर डीएम ने प्राथमिकी दर्ज करवाने के लिए उन्हें निर्देशित किया था.

जिला कल्याण पदाधिकारी ने दी जानकारी

100 करोड़ की गबन राशि पर दर्ज हुई एफआईआर
वहीं 121करोड़ 71 लाख 61 हजार रुपये के गबन में पहले दो प्राथमिकी दर्ज हुई थी. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद महा लेखाकार ने वर्ष 2007 से 2017 तक में सरकारी राशि की जांच की थी, जिसमें गबन की राशि 221.60 करोड़ रुपए तक पहुंच गई. इसी क्रम में 100 करोड़ की बची हुई राशि पर बुधवार को प्राथमिकी दर्ज करवायी गई है.

2017 में दर्ज हुई पहली एफआईआर
सृजन घोटाले के खुलासे के बाद पहली प्राथमिकी 7 अगस्त 2017 को जिला नजारत शाखा में पदस्थापित नाजिर ने दर्ज कराई थी. वहीं, इसके बाद जांच में परत दर परत घोटाले का राज पूरी तरह से खुलने लगा. इसी कड़ी में एजी की ऑडिट रिपोर्ट में तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी रामलला सिंह, राम ईश्वर सिंह, ललन कुमार सिंह और अरुण कुमार के कार्यकाल में घोटाले की बात कही.

सृजन घोटाले में संपत्ति जब्त (फाइल फोटो)
सृजन घोटाले में संपत्ति जब्त (फाइल फोटो)

पूर्व जिला कल्याण पदाधिकारी सुनील कुमार शर्मा ने सीबीआई से पत्र के माध्यम से पूर्व में तिलकामांझी थाना में दर्ज कांड संख्या 555/2017 में शेष राशि 99 करोड़ 88 लाख 69 हजार रूपए को जोड़कर जांच करने का अनुरोध किया था.

कार्रवाई ने पकड़ी रफ्तार
इससे पहले 10 दिसंबर को सीबीआई के विशेष अदालत के आदेश के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने बड़ी कार्रवाई की. घोटाले में शामिल फरार मुख्य आरोपी अमित और प्रिया की संपत्ति जब्त की गई. जिले में 15 जगहों पर घर, फ्लैट, दुकान अन्य जगहों की संपत्ति जब्ती की गई. बता दें कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के सचिव रजनी प्रिया और उसके पति अमित कुमार की 2 करोड़ 62 लाख 33 हजार रुपए की संपत्ति को जब्त करने की कार्रवाई की गई थी. यह संपत्ति भागलपुर के जगदीशपुर अंचल के अंतर्गत है.

सृजन घोटाले में संपत्ति जब्त (फाइल फोटो)
सृजन घोटाले में संपत्ति जब्त (फाइल फोटो)

मुख्य आरोपी अमित और प्रिया है फरार
बता दें कि सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की संस्थापक मनोरमा देवी का निधन हो गया है. मनोरमा देवी के बेटे अमित और बहू रजनी प्रिया जो सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव थी. घोटाला उजागर होने के बाद से अमित और प्रिया फरार है. 7 अगस्त 2017 को सृजन घोटाला उजागर हुआ था. उसी दिन जिला नजारत शाखा ने प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. उसके बाद अन्य कार्यालयों में जांच के बाद घोटाला उजागर होते गया. सृजन घोटाले को लेकर अब तक करीब दो दर्जन प्राथमिकी दर्ज है.

जबकि, सहरसा और बांका में भी इसको लेकर मामला दर्ज कराया गया है. अधिकांश मामलों में दोनों अमित और प्रिया आरोपी है. घोटाला उजागर होने के बाद से दोनों फरार है. सीबीआई दोनों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल कर चुकी है. अमित कुमार सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड सबौर के संस्थापक सचिव स्वर्गीय मनोरमा देवी के पुत्र हैं. रजनी प्रिया मनोरमा देवी की पुत्रवधू हैं. मनोरमा देवी के निधन के बाद सृजन महिला विकास सहयोग समिति का कामकाज रजनी प्रिया देख रही थी. वे सचिव के पद पर काम कर रही थी. सृजन महिला विकास सहयोग समिति के प्रबंध कार्यकारिणी के सदस्यों पर भी पूर्व में प्राथमिकी दर्ज है. पूर्व में दोनों के आवास पर सीबीआई का नोटिस चिपकाया जा चुका है.

सृजन घोटाले में संपत्ति जब्त (फाइल फोटो)
सृजन घोटाले में संपत्ति जब्त (फाइल फोटो)

सृजन घोटाला का इतिहास
सृजन घोटाला 21 सौ करोड़ रुपये का है. जब सरकारी चेक एक बैंक में जाने के बाद बैंक अधिकारी ने यह कहते हुए लौटा दिया कि खाते में पैसा नहीं है. चेक पर जिलाधिकारी आदेश तितरमारे का हस्ताक्षर था. बैंक से चेक के वापस होने के बाद जिलाधिकारी ने मामले की जांच शुरू कराई. जांच में पता चला कि खाते में पर्याप्त राशि नहीं है. इसके बाद मामले को लेकर जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया.

जांच में पता चला कि इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा के सरकारी खाते में रुपए नहीं है. 9 अगस्त 2017 को पहली प्राथमिकी दर्ज कराई गई. इसके बाद एक-एक कर विभागों का घोटाला सामने आने लगा. जांच के दौरान पता चला कि सरकारी विभागों की राशि विभागीय खाते में नहीं जाकर अधिकारियों और कर्मचारियों की मदद से सृजन महिला सहयोग समिति लिमिटेड के खाते में ट्रांसफर कर दी जाती थी. इस कार्य में जिला से लेकर प्रखंड स्तर के अधिकारी और कर्मचारियों की संलिप्तता थी. जांच का जिम्मा सीबीआई को मिलने के बाद कई अधिकारी और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है. और कई के खिलाफ जांच चल रही है.

Last Updated :Dec 25, 2020, 8:49 PM IST
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