बिहार के इस जिले में है पंचगव्य आयुर्वेदिक अनुसंधान केंद्र, यहां ठीक हो जाती है लाइलाज बीमारी

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Published : Jan 14, 2020, 10:09 AM IST

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गौ मंदिर में खाने से लेकर नहाने और दैनिक उपयोग की वस्तुओं में देसी गाय से जुड़ी चीजों का कुछ अंश जरूर मिलाया जाता है. इतना ही नहीं यहां चिकित्सा के लिए पंचगव्य आयुर्वेदिक अनुसंधान केंद्र खोला गया है. जहां जटिल से जटिल बीमारियों का इलाज पंचगव्य और देसी खानपान से किया जाता है.

बेगूसरायः केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह के संसदीय क्षेत्र में प्रशिक्षित युवा देसी गाय की महत्ता स्थापित करने का बड़ा अभियान चला रहे हैं. जहां देसी गाय के गोमूत्र, दूध और गोबर के इस्तेमाल से निर्मित औषधियों के जरिए कैंसर जैसे असाध्य रोगों को भी ठीक किया जा रहा है.

गाय हमारे जीवन में क्यों महत्वपूर्ण है इसके लिए एक बड़े भूभाग पर छोटे स्तर का अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया है और उस स्थान को गौ मंदिर का नाम दिया गया है. नागदह स्थित गौ मंदिर में देशी गाय का पालन और पंचगव्य चिकित्सा व्यवस्था शुरू की गई है.

बिहार के इस जिले में है गौ मंदिर

पंचगव्य आयुर्वेदिक अनुसंधान केंद्र
गौ मंदिर में खाने से लेकर नहाने और दैनिक उपयोग की वस्तुओं में देशी गाय से जुड़े चीजों का कुछ अंश जरूर मिलाया जाता है. इतना ही नहीं यहां चिकित्सा के लिए पंचगव्य आयुर्वेदिक अनुसंधान केंद्र खोला गया है. जहां जटिल से जटिल बीमारियों का इलाज पंचगव्य और देशी खानपान से किया जाता है.

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स्टोर करके रखा गौमूत्र

गौ मंदिर की शुरुआत
कुछ साल पहले यहां पर गौ मंदिर की शुरुआत की गई थी. पहले सिर्फ गो पालन का ही काम शुरू किया गया था. लेकिन समय के साथ यहां काफी कुछ बदलाव किया गया. गव्य विभाग से रिसर्च करने वाले कुछ रिसर्चर के जुड़ने के बाद यहां की स्थिति बदल गई.

'गौमूत्र अमृत के समान पवित्र और निरोगी'
रिसर्चर अतुल अग्रवाल ने बताया कि गौ हमारी माता हैं और गाय के दूध और गौमूत्र अमृत के समान पवित्र और निरोगी होते हैं. यह पूरी तरह से प्रमाणित अटूट सत्य है. जिस दिन लोग गौ माता के गोमूत्र और दूध की शक्ति को आत्मसात कर लेंगे उस दिन वह निरोग हो जाएंगे.

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दवाइयों की लिस्ट

रेडिएशन प्रीवेंटिव डिवाइस
रिसर्चर ने बताया कि गोबर से यहां पंचगव्य मेडिसिन बनाए जा रहे हैं. इसके साथ ही वर्मी कंपोस्ट तैयार कर जैविक खेती भी की जा रही है. गोमूत्र से 16 तरीके के अर्क बनाए जा रहे हैं. जो विभिन्न प्रकार के असाध्य रोगों में काफी कारगर साबित हो रही है.

वहीं, 21 तरह की दवाओं के साथ यहां कई प्रकार के अनाजों का भी देशी तरीके से उत्पादन हो रहा है. जिसे मरीजों के खानपान के उपयोग में लाया जा रहा है. इसके साथ ही गौ मूत्र और गोबर से निर्मित रेडियेशन प्रीवेंटिव डिवाइस जो मोबाईल में चिपकाने के बाद लोगों को रेडिएशन से बचाता है वह भी तैयार किया जा रहा है.

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वर्मी कम्पोस्ट

निरोग रहने के टिप्स
अतुल अग्रवाल ने बताया कि यहां सैकड़ों की संख्या में लोग देसी गाय के दूध और गोमूत्र से निर्मित दवा और सामग्री खरीद कर लाभान्वित हो रहे हैं. सबको निरोग रहने के टिप्स के साथ हर हाल में देशी गाय के पालन और उससे बने सामान उपयोग में लाने की शिक्षा भी दी जाती है.

Intro:एंकर- केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह के संसदीय क्षेत्र बेगूसराय में देशी गाय की महत्ता स्थापित करने का बड़ा अभियान पढ़े लिखे प्रशिक्षित युवाओं के द्वारा चलाया जा रहा है। देशी गाय के गोमूत्र, दूध और गोबर के इस्तेमाल से निर्मित औषधियों के जरिए कैंसर जैसे असाध्य रोगों को भी ठीक किया जा रहा है। देशी गाय हमारे जीवन में क्यों महत्वपूर्ण है इसके लिए एक बड़े भूभाग पर छोटे स्तर का अनुसंधान केंद्र स्थापित किया गया है और उस स्थान को गौ मंदिर का नाम दिया गया है।
देखें स्पेशल रिपोर्ट।


Body:vo- गाय की सभ्यता और संस्कृति को फिर से जीवित किया जा सके लोग अपने देश की गाय के महत्व को समझ सके इसके लिए शहर से सटे नागदह स्थित गौ मंदिर में देशी गाय का पालन और पंचगव्य चिकित्सा ब्यवस्था शुरू की गई है।
खाने से लेकर नहाने और दैनिक उपयोग की वस्तुओं में देशी गाय से जुड़े चीजों का कुछ अंश जरूर मिलाया जाता है।इतना ही नहीं यहां पर गाय से चिकित्सा को लेकर पंचगव्य आयुर्वेदिक अनुसंधान केंद्र खोला गया है ,जहां जटिल से जटिल बीमारियों का इलाज पंचगव्य और देसी खानपान के द्वारा किया जाता है। आज से कुछ वर्ष पहले यहां पर गौमंदिर की शुरुआत की गई थी ।पहले सिर्फ गो पालन का ही काम शुरू किया गया लेकिन समय के साथ-साथ इस गौ मंदिर में काफी कुछ बदलाव किया गया ।
गब्य विभाग से रिसर्च करने वाले कुछ रिसर्चर के जुड़ने के बाद यहां की स्थिति बदल गई है।अब यहां गाय के उत्पाद से 21 तरह के प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं जिसका उपयोग स्वस्थ रहने से लेकर विभिन्न बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
गो मंदिर में गोपालन के साथ-साथ जैविक खेती को भी प्राथमिकता दी जाती है निर्देशक ने बताया कि यहां आने वाले दिनों में किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा साथ ही कहा कि गौ मंदिर अब नीति आयोग से भी रजिस्टर्ड हो गया है ।आने वाले दिनों में लोगों को खेती और गौ पालन से संबंधित कई तरह की जानकारी और प्रशिक्षण यहां दिया जा सकेगा।

इस बाबत रिसर्चर अतुल अग्रवाल बताते हैं कि गौ हमारी माता है और गाय के दूध और गौमूत्र अमृत के समान पवित्र और निरोगी होते हैं यह पूरी तरह से प्रमाणित अटूट सत्य है ।जिस दिन लोग गौ माता के गोमूत्र और दूध की शक्ति को आत्मसात कर लेंगे उस दिन वह निरोग हो जाएंगे।
अतुल अग्रवाल बताते हैं कि गोबर से यहां पंचगव्य मेडिसिन बनाए जा रहे हैं गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार कर जैविक खेती किया जा रहा है ।गोमूत्र से 16 तरीके के अर्क बनाए जा रहे हैं जो विभिन्न प्रकार के असाध्य रोगों में काफी कारगर साबित हो रही है। 21 तरह की दवाओं के साथ साथ यहां कई प्रकार के अनाजों का भी देसी तरीके से उत्पादन हो रहा है जिसको मरीजों के खानपान के उपयोग में लाया जा रहा है।इसके साथ ही गौ मूत्र और गोबर से निर्मित रेडियेशन प्रीवेंटिव डिवाइस जो मोबाईल में चिपकाने के बाद लोगों को रेडिएशन से बचाता है वो भी तैयार किया जा रहा है।
रिसर्चर अतुल अग्रवाल के मुताबिक यहां सैकड़ों की संख्या में लोग आते हैं और देसी गाय के दूध और गोमूत्र से निर्मित दवा और सामग्री खरीद कर लाभान्वित हो रहे हैं। सबको निरोग रहने के टिप्स तो बताए ही जाते हैं यह शिक्षा भी दी जाती है कि हर हाल में देसी गयो का पालन करें और देसी गाय का दूध और सामान ही उपयोग में लाएं।
बाइट-अतुल अग्रवाल, रिसचर्सर

पीटीसी-आशीष कुमार,संवाददाता


Conclusion:fvo- बहरहाल जो भी हो केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह के संसदीय क्षेत्र में अगर देसी गाय से जुड़ी इतनी बड़ी प्रयोगशाला वह भी बिना किसी प्रकार के सरकारी सहयोग और अनुदान के संचालित की जा सकती है तो क्या सरकार के सहयोग से देश के हर जिले में इस तरह के प्रयोगशाला स्थापित किए जा सकते हैं ? इस सवाल का जवाब हर वो आदमी जानना चाहता है जो गौ माता के प्रति आस्था और प्रेम रखता है।
देखने वाली बात यह होगी की गाय पर बयान देकर राजनीति के सर्वोच्च शिखर पर विराजमान केंद्रीय पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह देसी गाय की रक्षा और उनके संवर्धन के लिए भविष्य में क्या कुछ कर पाते हैं।
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