बांका में धूमधाम से मनाया गया करमा पर्व, बहनों ने भाइयों के लंबी उम्र की कामना की

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Published : Sep 18, 2021, 1:00 AM IST

बांका में मना करमा पर्व

बांका में लोक पर्व करमा धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान महिलाओं ने अपने भाइयों के लंबी उम्र की कामना को लेकर निर्जला व्रत रख कर करमा पर्व मनाया.

बांका: भाई-बहनों के प्रेम का मानक पर्व 'करमा' शुक्रवार को राज्यभर में धूमधाम से मनाया गया. इसी कड़ी में बांका जिले में (Karma Festival Celebrated In Banka) में सुहागिन बहनों ने करमा की पूजा की. इस दौरान जो महिलाओं ने अपने भाइयों के लंबी उम्र की कामना को लेकर निर्जला व्रत रख कर करमा पर्व मनाया. हांलाकि ये पर्व मुख्य तौर से झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है. ये पर्व भाद्रपद की एकादशी को मनाया जाता है.

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जिले में इस अवसर पर बांका, अमरपुर, बेलहर, धोरैया, रजौन, चांदन, कटोरिया, बौंसी सहित अन्य प्रखंडों इस पर्व को काफी उत्साह के साथ मनाया गया. इस मौके पर बहनों ने दिनभर उपवास रख कर देर शाम को करमा डाल की पूजा की. करमा डाल में धागे बांधकर अपने भाइयों के दिर्घायु होने की कामना की. करमा पर्व को लेकर जगह- जगह पर गीत संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया, तो कहीं झुमर का आयोजन किया गया. बता दें कि अगले दिन वहीं सुबह करमा डाली को नदी में विसर्जन कर दिया जाता है.

पूजा के दौरान कर्मा और धर्मा नाम के दो भाइयों की कहानी भी सुनाई जाती है, जिसका सार करमा के महत्व को समझाता है. इस कहानी को सुने बिना पूजा अधूरी मानी जाती है. माना जाता है कि इस पर्व को मनाने से गांव में खुशहाली आती है. करमा के दिन घर-घर में कई प्रकार के व्यंजन भी बनाए जाते हैं. करमा भाई-बहन के प्यार को दर्शाता है. महिलाएं खासकर अपने भाइयों की लंबी उम्र और अच्छे भविष्य के लिए व्रत रखती हैं.

पौराणिक कथाओं के मुताबिक आदिकाल में कर्मा-धर्मा नाम के दो भाई थे, जो कि अपनी छोटी बहन को बहुत ज्यादा प्यार करते थे. कर्मा-धर्मा बहुत मेहनत करते थे और सच्चे थे लेकिन दोनों काफी गरीब थे. उनकी बहन भगवान को बहुत मानती थी, वो करम पौधे की पूजा किया करती थी.

वहीं एक बार कुछ दुश्मनों ने उस पर हमला कर दिया तो उसके दोनों भाईयों ने अपनी जान की बाजी लगाकर अपनी बहन को बचाया था. तब बहन से करम पौधे से अपने भाइयों के लिए खुशी, सुख और धन मांगा था, जिसके बाद उसके दोनों भाई काफी धनी हो गए और वो इस खुशी में अपनी बहन संग काफी करम पौधे के आगे काफी नाचे-गाए थे, तब से ही करम पौधे की पूजा भाई बहन करते हैं और नाचते-गाते हैं. इसे 'करम नाच' भी कहते हैं.

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