रघुवंश बाबू के बाद जगदानंद सिंह को साइडलाइन करने की तैयारी! फिर से 'MY' की तरफ लौटा RJD

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Published : Oct 11, 2022, 11:54 AM IST

आरजेडी में रघुवंश बाबू के बाद जगदानंद सिंह

बिहार की राजनीति में बदलाव के साइड इफेक्ट दिखने (Side effects of political change in Bihar) लगे हैं. आरजेडी के बदलते राजनीतिक स्टैंड को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं. दो-दो सवर्ण मंत्रियों के इस्तीफे के बाद अब जगदानंद सिंह के पार्टी छोड़ने की अटकलों के बीच चर्चा शुरू हो गई है कि क्या आरजेडी 'ए टू जेड' के रास्ते से हटकर फिर से 'माय' समीकरण की ओर लौट रहा है. पढ़ें खास रिपोर्ट खबर..

पटना: बिहार की राजनीति में बदलाव की बयार बह रही है. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की नजदीकियों का साइड इफेक्ट अब बिहार की सियासत में दिखने लगा है. जैसे-जैसे नीतीश लालू से नजदीक गए, वैसे-वैसे जगदानंद सिंह (RJD State President Jagdanand Singh) की दूरियां बढ़ती गई. अब जगदानंद सिंह ने आरजेडी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी से भी खुद को किनारा कर लिया. तेजस्वी यादव और लालू यादव की सियासत में आरजेडी की राजनीति उलझ गई है.

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आरजेडी की ए टू जेड की राजनीति से सवर्णों का हो रहा सफायाः जगदानंद सिंह प्रकरण राष्ट्रीय जनता दल के लिए दोहरा झटका है. एक ओर तेजस्वी की ए टू जेड सियासत पर सवाल उठने लगे हैं, तो दूसरी ओर पार्टी को एक कुशल संगठनकर्ता खोने का डर है. रघुवंश प्रसाद सिंह भी पार्टी की संस्कृति से नाराज हुए थे और अस्पताल से ही उन्होंने इस्तीफा भेज दिया था. ब्रह्मर्षि समाज से आने वाले कार्तिक सिंह को भी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा. उसके कुछ दिनों के बाद क्षत्रिय समाज से आने वाले सुधाकर सिंह से भी इस्तीफा ले लिया गया और अब जगदानंद सिंह की नाराजगी ने राष्ट्रीय जनता दल को पसोपेश में डाल दिया है. तेजस्वी की ए टू जेड पॉलिटिक्स भी अब संकट में दिख रही है. आरजेडी कोटे के एक भी सवर्ण मंत्री अब कैबिनेट में नहीं है.

जगदानंद सिंह के इस्तीफे पर संशय बरकरारः लालू प्रसाद यादव एक बार फिर बिहार की राजनीति में सक्रिय दिख रहे हैं. पार्टी ने 12वीं बार उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना है, लेकिन खास बात यह रही कि उनके चयन के मौके पर उनके सबसे करीबी नेता जगदानंद सिंह मौजूद नहीं रहे. प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर जगदानंद सिंह ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से दूरी बना ली. आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष दिल्ली में मौजूद रहे, लेकिन 2 दिनों के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल नहीं हुए. जगदानंद सिंह की नाराजगी अब तक कम नहीं हुई है. लालू प्रसाद यादव ने प्रदेश कार्यालय पहुंचकर जगदानंद सिंह को दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए मनाया था. तत्काल वह मान भी गए थे, लेकिन उनके एक बयान के बाद तेजस्वी यादव का बयान आया जिससे तल्खी बढ़ गई. दरअसल, प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने बयान दिया था कि 2023 में तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री होंगे. इसे लेकर जेडीयू खेमे में नाराजगी थी. फिर उपेंद्र कुशवाहा ने बयान भी दिया था.

वापस लौटने के मूड में नहीं दिख रहे जगदा बाबूः जेडीयू की नाराजगी को देखते हुए तेजस्वी यादव ने कहा था कि गठबंधन पर मेरे सिवा कोई बयान नहीं देगा. इस बाबत चिट्ठी भी जारी कर दी गई है. प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को यह नागवार गुजरा कि नीतीश कुमार के दबाव में मुझे गठबंधन पर भी बोलने से रोका जा रहा है. अपने पुत्र सुधाकर सिंह को मंत्रिमंडल से हटाया जाने को लेकर उनकी नाराजगी पहले से थी. जगदानंद सिंह ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल न होकर अपने इरादे जाहिर कर दिए कि वह वापस लौटने के मूड में नहीं है. लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के बयान से उनके वापसी की संभावना पर विराम लगता दिख रहा है. संभव है कि जगदानंद सिंह आने वाले कुछ दिनों में बड़ा फैसला ले सकते हैं.

एमवाई की सियासत की ओर लौटी आरजेडीःजगदा बाबू को यह उम्मीद थी कि लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव उनसे बात करेंगे या फिर मनाने की कोशिश करेंगे. लेकिन राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान ऐसा नहीं हुआ. उल्टे लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने बयानों के जरिए अपने इरादे जाहिर किये.लालू प्रसाद यादव ने तेजस्वी के स्टैंड को दोहराते हुए कहा कि पार्टी में गठबंधन या किसी राजनीतिक मुद्दों पर बयान देने के लिए तेजस्वी अधिकृत हैं. तेजस्वी यादव ने भी स्पष्ट किया कि हम बड़ी लड़ाई के लिए आगे बढ़ रहे हैं. छोटे मुद्दों में उलझना ठीक नहीं है. जगदानंद सिंह को लेकर तेजस्वी यादव के रूप में भी नरमी नहीं दिखी.

"रघुवंश बाबू जाते-जाते आरजेडी को यह कह कर गए. लंबे समय तक मैं आपके साथ खड़ा रहा, लेकिन अब मेरा मन आहत हो गया है और अब मैं अब इस पार्टी को छोड़ना चाहता हूं. रघुवंश बाबू के बाद जगदा बाबू मजबूती के साथ खड़े थे, अब पार्टी छोड़ने का मन बनाते दिख रहा है. आरजेडी खुद को ए टू जेड की पार्टी बता रही है. ऐसे में पार्टी से सभी सवर्ण मंत्री का हट जाने से यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या इनकी जगह नए सवर्ण मंत्री आएंगे. क्यों अगर ऐसा नहीं होता है तो फिर आरजेडी ए टू जेड के स्टैंड से हटकर फिर से एमवाई की ओर जाती दिख रही है" - डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

आरजेडी में हो रही राजपूतों की उपेक्षाः बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय जनता दल में सवर्ण हाशिए पर आ गए हैं. राजपूतों की खास तौर पर उपेक्षा हो रही है. आरजेडी ए टू जेड की पार्टी होने का दिखावा कर रही है. लालू और तेजस्वी सब को ठगने का काम कर रहे हैं. आरजेडी सिर्फ परिवार की पार्टी बनकर रह गई है वहां जगदा बाबू जैसे लोगों का भी सम्मान नहीं रह गया है. वहीं राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का मानना है कि वर्तमान समय में आरजेडी की राजनीति भटकती दिख रही है. एक ओर तेजस्वी यादव ए टू जेड की बात करते हैं तो दूसरी तरफ मंत्रिमंडल में आरजेडी कोटे से एक भी सवाल का न होना सवाल खड़े करता है. हो सकता है आने वाले दिनों में तेजस्वी डैमेज कंट्रोल के लिए कोशिश करें लेकिन फिलहाल आरजेडी की राजनीति एमवाई की ओर जाती दिख रही है.

"आरजेडी राजपूतविहीन पार्टी है. आरजेडी ने रघुवंश बाबू को प्रताड़ित कर निकालने पर मजबूर कर दिया था. अब उसी तरह से जगदा बाबू को मजबूर किया जा रहा है. कार्तिक सिंह को भी अभियुक्त रहने हुए मंत्री बनाया, ताकि बाद में विपक्ष के कहने पर निकाल सके और आरजेडी को पूरी तरह से फारवर्ड विहीन कर सके. सुधाकर सिंह के इस्तीफे के बाद आरजेडी से सवर्ण का सफाया हो चुका है" - अरविंद सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी

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