...तो नालंदा में शराब से हुई मौत के बाद खानापूर्ति करने में जुटा प्रशासन

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Published : Jan 18, 2022, 1:07 PM IST

Updated : Jan 18, 2022, 4:59 PM IST

nalanda liquor death administration engaged in showing off

नालंदा में कथित जहरीली शराब कांड ( Nalanda Poisonous Liquor Case ) में मृतकों की संख्या बढ़कर 12 हो गई है. पूरे मामले में जहां प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है, वहीं इस पर राजनीति भी तेज हो गई है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

नालंदा: शराबबंदी वाले राज्य बिहार में शराब ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) के गृह जिले नालंदा में 12 लोगों की जान ले ली. इस घटना के बाद भी प्रशासन अन्य पुरानी घटनाओं की तरह अब 'सांप गुजरने के बाद लाठी पीटने ' की कहावत चरितार्थ करते या खानापूर्ति करती हुई नजर आ रही है.

नालंदा जिले के सोहसराय थाना क्षेत्र के छोटी पहाड़ी गांव में पिछले 2 दिनों में 12 लोगों की मौत ( Nalanda Liquor Death ) हो गई . प्रारंभिक दौर में प्रशासन ने इस मौत को बीमारी बताने की कोशिश की, लेकिन बाद में प्रशासन भी स्वीकार किया कि मौत का कारण शराब ही है. ऐसे में राज्य में लागू शराबबंदी कानून को लेकर सवाल उठाए जाने लगे. वैसे, जब से शराबबंदी कानून लागू किया गया है, तब से इस कानून को लेकर प्रश्न उठते रहे हैं.

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नालंदा में 12 लोगों की मौत के बाद अन्य घटनाओं की तरह संबंधित थाने के थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया. पिछले साल अक्टूबर, नवम्बर में हुई कई जगहों पर शराब से मौत की घटनाओं के बाद भी थाना प्रभारी पर ही गाज गिरी थी. जन अधिकार पार्टी के प्रमुख और पूर्व सांसद पप्पू यादव ( JAP Chief Pappu Yadav ) कहते हैं कि शराब से हो रही मौत की जिम्मेदारी केवल थाना प्रभारी पर ही डाल कर सरकार अपने कर्तव्यों की इति श्री समझती है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि बड़े अधिकारियों पर कारवाई क्यों नही होती?

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"शराब कहां नहीं बिक रही है. बिहार में शराबबंदी के अतिरिक्त भी कई बातें हैं. उन्होंने कहा शराबबंदी गरीबों, कमजोरों के लिए नासूर बन गई है. शराबंदी कानून में 6 लाख से अधिक लोगों की गिरफ्तारी हुई, उसमें कितने शराब बेचने वाले, अधिकारी और नेता हैं? उन्होंने पूछा कि शराब मामले में जिम्मेदारी सिर्फ थानेदार की ही क्यों, अधिकारी, नेता व शराब बेचने वालों की क्यों नहीं है?'' - पप्पू यादव, प्रमुख, जन अधिकार पार्टी

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इस बीच, नालंदा में 12 लोगों की मौत के बाद अवैध शराब को लेकर छापेमारी की जा रही है. अब सवाल यह भी उठ रहा कि यह छापेमारी दिखावा नहीं तो यह पहले क्यों नहीं की गई. हम प्रवक्ता दानिश रिजवान कहते हैं कि शराबबंदी कानून में संशोधन आवश्यक है, लेकिन उससे पहले जनता से राय ले ली जाए. अगर जनता संशोधन चाहती है तो ही संशोधन हो और अगर जनता शराबबंदी कानून को नकार देती है तो अविलंब यह कानून खत्म किया जाए.

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पिछले साल भी मुजफ्फरपुर, गोपालगंज सहित कई जिलों में जहरीली शराब से मौत हुई थी. इस मामले में पुलिस मुख्यालय ने कार्रवाई करते हुए तीन थाना अध्यक्ष, एक प्रभारी थानाध्यक्ष, पांच चौकीदार और एक दफादार को निलंबित किया है. बता दें नीतीश सरकार ने साल 2016 में शराब बनाने, व्यापार करने, रखने और बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया था.

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Last Updated :Jan 18, 2022, 4:59 PM IST
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