पटना हाईकोर्ट में सुनवाई: लोमस और याज्ञवल्क्य पहाड़ियों के खनन पर रोक जारी रखने का आदेश

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Published : Nov 24, 2021, 11:02 PM IST

पटना हाईकोर्ट

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने विनय कुमार सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए लोमस और याज्ञवल्क्य ऋषि के गुफाओं व पहाड़ियों के खनन पर रोक जारी रखने का आदेश दिया.

पटना: पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने विनय कुमार सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार (Central Government) और बिहार सरकार (Bihar Government) को लोमस और याज्ञवल्क्य ऋषि के गुफाओं व पहाड़ियों के फोटो दो सप्ताह में कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. इस जनहित याचिका पर जस्टिस राजन गुप्ता की खंडपीठ ने सुनवाई की.

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सुनवाई के दौरान कोर्ट में केंद्र सरकार के अधिवक्ता के एन सिंह ने कहा कि इन स्थानों का धार्मिक महत्त्व है, लेकिन पुरातत्व महत्व नहीं है. यहां पूजा पाठ किया जाता है. याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि लोमस और याज्ञवल्कय ऋषि की गुफाएं केवल ऐतिहासिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि जैव विविधता की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण हैं. ऐसे स्थानों को संरक्षित करने के बजाए समाप्त किया जा रहा है.

वहीं, राज्य सरकार के खनन व पर्यावरण विभाग के अधिवक्ता नरेश दीक्षित ने कोर्ट को बताया कि ये गुफाएं और पहाड़ी पर्यटन स्थल या ऐतिहासिक महत्व की नहीं हैं. लेकिन, राज्य सरकार इसे संरक्षित रखेगी और इसे नष्ट नहीं होने देगी.

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इन पहाड़ियों के जंगल व आसपास होने वाले खनन कार्य पर पटना हाईकोर्ट ने 20 जुलाई 2021 को रोक लगा दी थी. इस रोक को अगली सुनवाई तक जारी रखने का कोर्ट ने निर्देश दिया था. पिछली सुनवाई में कुछ लोगों ने हस्तक्षेप अर्जी के जरिये खनन कार्य पर से रोक हटाने का अनुरोध किया, जिसे हाईकोर्ट ने नहीं माना.

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि 1906 में प्रकाशित तत्कालीन गया जिले के गजट में दोनों पहाड़ियों का सिर्फ पुरातात्विक महत्व ही नहीं बताया गया है, बल्कि वहां की जैव विविधता के बारे में भी अंग्रेजों ने लिखा है. उन पहाड़ियों के 500 मीटर के दायरे में झरना, बरसाती नदी और एक फैला हुआ वन क्षेत्र है. उस जंगल को अवैध खनन कर बर्बाद किया जा रहा है. लोमस और याज्ञवल्क्य पहाड़ियों को आर्कियोलॉजिकल एवं हेरिटेज साइट बनाने का कोर्ट से अनुरोध किया गया था. कोर्ट ने दोनों पहाड़ियों के वन क्षेत्र विस्तार और रिहाइशी बस्तियों के बिंदु पर राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा था. इस मामले पर अब अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होनी है.

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