दिल्ली गए हैं नीतीश, पर बड़ा सवाल- दिल्ली की दूरी को पाट पाएंगे?

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Published : Sep 5, 2022, 6:44 PM IST

Updated : Sep 5, 2022, 11:15 PM IST

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में लगे हैं. हालांकि यह काम आसान नहीं है. उनके नेता भी इस बात को मानते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या देश में एक नई राजनीति की शुरुआत होगी. आगे पढ़ें विशेष रिपोर्ट.

पटना : एक पुरानी कहावत है.. 'बहुत कठिन है राह पनघट की'. राजनीति में भी कई बार नेताओं के लिए राह कठिन हो जाती है. कुछ ऐसा ही हाल है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का. नीतीश कुमार ने बिहार में एनडीए से नाता तोड़कर महगठबंधन की सरकार बनायी. तभी से लोगों की जुबां पर आ गया, नीतीश पीएम का ख्वाब देख रहे हैं. हालांकि वह कई बार इससे मुकरते दिखाई पड़ रहे हैं.

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नीतीश कुमार विपक्ष को गोलबंद कर पाएंगे? : वैसे नीतीश कुमार विपक्षी एकता पर जोर देने में लगे हैं. लेकिन यह काम आसान नहीं है. ऐसा लग रहा है जैसे दांतों तले लोहे के चने को चबाना है. कांग्रेस किसी कीमत पर दूसरे दल के नेता को पीएम कैंडिडेट मानने को तैयार नहीं है. वहीं केसीआर गैर बीजेपी-गैर कांग्रेस की राह पर है. ऐसे में नीतीश गोलबंद कर पाएंगे कि नहीं इसपर सबकी निगाह है.

विपक्षी एकजुटता में नीतीश कुमार के लिए हैं कई चुनौतियां :-
1. पीएम पद का चेहरा कौन होगा. विपक्ष में कई दावेदार हैं.
2. बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस के साथ मोर्चा बने या कांग्रेस के बिना मोर्चा बने इस पर कई दलों की अलग राय है.
3. कांग्रेस राहुल गांधी के अलावा किसी और को पीएम पद के लिए स्वीकार करेगी इसकी संभावना कम है.
4. समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, टीएमसी और वामपंथी दल को एक साथ लाने की बड़ी चुनौती है.
5. विपक्षी एकजुटता के लिए कोआर्डिनेशन कमेटी बनाने की चर्चा हो रही है. इसके लिए कितने दल तैयार होंगे यह भी देखना होगा.
6. नीतीश कुमार के नेतृत्व में भले ही बीजेपी को छोड़कर सभी दलों ने एकजुटता दिखाने की कोशिश की है लेकिन दूसरे राज्यों में यही स्थिति बनेगी इसकी संभावना कम है.

दिल्ली दौरे पर नीतीश : दरअसल, जदयू राष्ट्रीय परिषद की बैठक में प्रस्ताव पास हुआ है कि केसीआर को कांग्रेस के साथ बनने वाले गठबंधन में आना होगा. जबकि तेलंगाना के मुख्यमंत्री कांग्रेस और बीजेपी के विरोध में गठबंधन बनाने की बात कर रहे हैं. विपक्षी एकजुटता का पेंच यहीं से फंसना शुरू हो गया है. नीतीश कुमार 3 दिन दिल्ली में रहेंगे. कांग्रेस के राहुल गांधी, वामदल के नेताओं, हरियाणा बंगाल सहित कई राज्यों के नेताओं से उनकी मुलाकात होगी. शरद पवार से भी मुलाकात हो सकती है. लेकिन कांग्रेस को लेकर कई दल सहमत नहीं है. ऐसे में विपक्षी एकजुटता नीतीश कुमार के लिए शुरुआत में ही चुनौती बनती दिख रही है.

..तो केसीआर ने फंसा दिया पेंच : प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के बाद दूसरा बड़ा मुद्दा कांग्रेस को गठबंधन में शामिल किया जाए या नहीं इसको लेकर है. फिलहाल नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री पद की दावेदारी से इनकार किया है और यह भी चाहते हैं कि कांग्रेस और वाम दल के साथ ही बीजेपी के खिलाफ मोर्चा बने. लेकिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर पटना में आकर नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव से मिल चुके हैं. उन्होंने गैर कांग्रेस और गैर भाजपा गठबंधन की शर्त रखी है. केसीआर को लेकर कांग्रेस भी तैयार नहीं है.

एक अनार कई बीमार वाला हाल : बात सिर्फ कांग्रेस और केसीआर तक ही सिमित नहीं है. कई दूसरे राज्यों का रुख भी अलग है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अबतक पत्ता नहीं खोला है. कई बार इनके भी नाम प्रधानमंत्री पद के दावेदार में उभरकर सामने आते रहे हैं.

''विपक्षी दलों को एकजुट करना कठिन चुनौती तो है. लेकिन मैं जानता हूं नीतीश कुमार के लिए कुछ भी कठिन नहीं है. उनमें यह काबलियत है कि वह विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने में सक्षम होंगे. वह अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाएंगे. सभी को एक साथ लाएंगे.''- उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू संसदीय बोर्ड

''नीतीश कुमार के साथ विपक्षी दलों को आने के अलावा दूसरा कोई उपाय नहीं है. कई दल के नेता नीतीश कुमार से मिल रहे हैं. कर्नाटक के पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा के पुत्र व पूर्व मुख्यमंत्री कुमार स्वामी भी मुलाकात करेंगे. हम लोग किसी से मुकाबला करने की बात नहीं कर रहे हैं हम लोग जनता के लिए काम करने की बात कर रहे हैं.''- महिमा पटेल, प्रदेश अध्यक्ष, कर्नाटक जदयू


''पहले भी थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिश हुई है. लेकिन लोग औंधे मुंह गिरे हैं. हम लोग भी चाहते हैं लोकतंत्र के लिए विपक्ष का मजबूत होना जरूरी है. लेकिन किसी को कांग्रेस का साथ मंजूर नहीं है तो कोई कांग्रेस के साथ मोर्चा बनाना चाहता है. सभी की अपनी महत्वाकांक्षा है ऐसे में विपक्ष एकजुट होगा यह असंभव है.''- संजय टाइगर, बीजेपी, प्रवक्ता


'बिहार में दिखा है, अब देश में दिखेगा' : वैसे तो नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री पद की दावेदारी से इनकार किया है. लेकिन पटना में जदयू की तरफ से लगाए गए बड़े-बड़े पोस्टर साफ संकेत दे रहे हैं. 'बिहार में दिखा है, अब देश में दिखेगा'. नीतीश कुमार 3 दिनों तक दिल्ली में कई दलों के नेताओं से मुलाकात करेंगे. देखना है विपक्षी एकजुटता की बात कहां तक बढ़ती है.

Last Updated :Sep 5, 2022, 11:15 PM IST
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