पंचायत चुनाव के वक्त जनप्रतिनिधियों को जनता की आई याद, यहां के ग्रामीणों ने कहा- सिखाएंगे सबक

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Published : Aug 26, 2021, 4:15 PM IST

Bihar Panchayat Election

बिहार के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) की तारीखों की घोषणा हो चुकी है. जनप्रतिनिधि एक बार फिर से जनता के बीच जाकर वोट मांग रहे हैं. लेकिन अब भी ऐसे कई गांव हैं जहां विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ है. ऐसे में मसौढ़ी के तुलसीचक महादलित बस्ती के ग्रामीण जनप्रतिनिधियों को सबक सिखाने के मूड में है.

पटना: बिहार में पंचायत चुनाव (Panchayat Election 2021) का बिगुल बज चुका है. जनप्रतिनिधि एक बार फिर से हाथ जोड़े जनता से वोट मांग रहे हैं. लेकिन गांवों के विकास की रफ्तार धीमी होने से लोगों में खासा नाराजगी है. ईटीवी भारत की टीम ऐसे ही एक गांव पटना के मसौढ़ी (Masaurhi) के तुलसीचक महादलित बस्ती पहुंची और वहां के ग्रामीणों से बात की.

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मसौढ़ी मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर तुलसीचक महादलित बस्ती है. जहां पर 200 की संख्या में महादलित लोग रहते हैं. यहां के ग्रामीण आज भी विकास की रौशनी से महरूम हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सुविधा के नाम पर इस गांव को कुछ नहीं मिला है तो वोट क्यों दे.

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5 साल बाद अब जनप्रतिनिधियों को जनता की याद आई है. चुनाव जीतने के बाद इस गांव में न तो कोई जनप्रतिनिधि झांकने आया है और न ही कोई विकास का काम ही किया गया. इस पूरे गांव में शौचालय, आवास योजना, नली-गली समेत कई बुनियादी मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है.

मुखिया जीतने के बाद देखने तक नहीं आया. न नली है न गली. सुविधाओं का अभाव है. अब चुनाव के समय इन लोगों को हमारी याद आई है.- सुखिया देवी, तुलसीचक निवासी

सुविधाओं के अभाव में लोगों का जीना मुहाल हो गया है. सितंबर में पंचायत चुनाव है ऐसे में लोगों का गुस्सा पनप रहा है. तुलसीचक के ग्रामीणों का कहना है कि जो भी नेता वोट मांगने आएंगे उन्हें इस बार वोट से ही सबक सिखाएंगे. हर बार विकास के नाम पर वोट ले जाते हैं और हम सबको धोखा देते हैं. इस बार उन सभी नेताओं को वोट से सबक सिखाया जाएगा. इन लोगों ने वोट बहिष्कार की बात कही है.

आने जाने का रास्ता तक ठीक नहीं है. पंचायत भवन बनाया गया लेकिन उसमें गेट तक नहीं है. आंगनवाड़ी भी आधा अधूरा ही बनाया गया है.- लालपरी देवी, तुलसीचक निवासी

तुलसीचक में 200 महादलित मतदाता रहते हैं और सभी का पेशा मजदूरी है. रोज मजदूरी कर ये लोग अपनी जीविका चलाते हैं. इस महादलित बस्ती में आंगनवाड़ी, सामुदायिक भवन बना तो है लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया है. शौचालय, आवास योजना, नली-गली समेत कई बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है.

पंचायत चुनाव के लिए 24 सितंबर, 29 सितंबर, 08 अक्टूबर, 20 अक्टूबर, 24 अक्टूबर, 03 नवंबर, 15 नवंबर, 24 नवंबर, 29 नवंबर, 08 दिसंबर और 12 दिसंबर को मतदान होगा.

पहले चरण में 10 जिलों के 12 प्रखंडों में मतदान होंगे. दूसरे चरण में 32 जिलों के 48 प्रखंडों, तीसरे चरण में 33 जिलों के 50 प्रखंडों, चौथे चरण में 36 जिलों के 53 और पांचवें चरण में 38 जिलों के 58 प्रखंडों में वोट डाले जाएंगे. वहीं, छठे चरण में 37 जिलों के 57 प्रखंडों, सातवें में 37 जिलों के 63 प्रखंडों व आठवें चरण में 36 जिलों के 55 प्रखंडों में मतदान होगा.

नौवें चरण में 33 जिलों के 53 प्रखंडों और 10वें चरण में 34 जिलों के 53 प्रखंडों में मतदान होंगे. जबकि 11वें और अंतिम चरण का मतदान होगा. इस चरण में बाढ़ प्रभावित 20 जिलों के 38 प्रखंडों में वोटिंग होगी.

चुनाव आयोग ने बताया कि मुखिया के 8072 पद, ग्राम पंचायत सदस्य के 1,13,307 पद, पंचायत समिति सदस्य के 11,104 पद, जिला परिषद सदस्य के 1,160, ग्राम कचहरी सरपंच के लिए 8072 और पंच के लिए 1,13,307 पदों पर चुनाव होंगे. कुल 2,55,022 पदों के लिए वोट डाले जाएंगे.

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