विदेशियों से साइबर ठगी मामले में बिहार पुलिस इंटरपोल की मदद लेगी

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Published : Sep 20, 2022, 10:06 AM IST

एडीजी जेएस गंगवार

पटना में साइबर ठगों का गैंग धराया था, जो यहां बैठकर अमेरिका को लोगों से साइबर फ्राॅड के जरिए ठगी कर रहा था. अब इस मामले में फरार ठगों को पकड़ने के लिए बिहार पुलिस इंटरपोल की (Bihar Police seek Interpol help ) मदद लेगी. ये बातें पुलिस मुख्यालय के एडीजी जेएस गंगवार ने कही है. पढ़ें पूरी खबर..

पटनाः बिहार की राजधानी पटना में बैठकर अमेरिकी नागरिकों से साइबर ठगी (Cyber Fraud from US Citizens) करने के मामले में बिहार पुलिस इंटरपोल की मदद लेगी. एडीजी मुख्यालय जेएस गंगवार ने पटना में कहा कि दीघा थाना पुलिस ने साइबर ठगी से जुड़े मामले में तीन शातिरों को गिरफ्तार किया है. पश्चिम बंगाल के रहनेवाले इन ठगों ने लोगों को फांसने के लिए रिंट सेंटर, स्काइप, टेक्स्ट नाउ जैसे एप का इस्तेमाल किया था. ठगी का यह मामला विदेश से जुड़ा है, लिहाजा इसकी जांच के लिए इंटरपोल की मदद ली जाएगी. इस गिरोह का सरगना फिलहाल फरार है पर पुलिस ने उसकी पहचान कर ली है। उन्होंने कहा कि पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए प्रयासरत है.

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मोबाइल एप्लीकेशन से ठगी : इस पूरे मामले पर सिटी एसपी अम्बरीष राहुल (City SP Ambrish Rahul) ने बताया कि गश्ती के दौरान दीघा थाना क्षेत्र के कुर्जी स्थित एशियन हॉस्पिटल के पास एक चाय दुकान के पास खड़े तीन संदिग्ध युवकों पर पुलिस ने पकड़ा था. पुलिस ने युवकों से पूछताछ शुरू की और उनके मोबाइल को सर्च किया तो उनके मोबाइल पर कई तरह के एप्लीकेशन डाउनलोड मिले, जिनके जरिए वे साइबर फ्रॉड को अंजाम देते थे.

वायरस भेजकर करते थे ठगी: पुलिस को शक होने के बाद इन तीनों युवकों को हिरासत में लिया गया. जब इन्हें थाना लाकर पूछताछ शुरू की गई तो युवकों ने पुलिस को यह जानकारी दी कि गिरोह का सरगना मनेर में रहकर इस ग्रुप को संचालित करता है. इस गिरोह के सदस्य रिंग सेंटर ,स्काईप ,टेक्स्ट नाउ जैसे एप्लीकेशन के जरिए और विभिन्न तरीकों से अमेरिकन कस्टमर के कंप्यूटर पर मालवेयर भेजकर डाउनलोड करवाते है. इसके बाद कम्प्यूटर में समस्या आने लगती है.

गिरोह का सरगना देता था कमीशन: गिरोह के सदस्य इंटरनेट कॉलिंग करके कम्प्यूटर ठीक करने के नाम पर पीड़ित को प्लान बेचते थे. जब विदेशी कस्टमर इनके झांसे में आ जाता था तो रकम को विभिन्न बैंकों के माध्यम से ट्रांसफर करा लिया जाता था. गिरोह का सरगना सदस्य को काम पूरा होने के बदले कमीशन देता था. पैसे का भुगतान अमेरिकन डॉलर में किया जाता था, जो विभिन्न लेयर्स के बाद भारत के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किया जाता था.

"तीन संदिग्ध युवक पर पुलिस की नजर पड़ी. पूछताछ के बाद युवकों का मोबाइल चेक किया गया. जिसमें विभिन्न तरह के एप्लीकेशन और विदेशी नाम पर ईमेल आईडी मिले. ये लोग वायरस भेजकर अमेरिकन लोगों के कम्प्यूटर को खराब कर देते थे. इसके बाद इंटरनेट कॉलिंग करके साइबर ठगी का शिकार बनाते थे. इस मामले में अभी तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है" - अम्बरीष राहुल, सिटी एसपी

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