Republic day 2023: स्वतंत्रता सेनानी का बेटा जगा रहा आजादी की अलख

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Published : Jan 23, 2023, 9:20 PM IST

Republic day 2023

Republic day 2023 भारत को आजादी दिलाने के लिए देश के कई रणबांकुरों ने अपनी कुर्बानी दी है. इससे छत्तीसगढ़ भी अछूता नहीं रहा. प्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने भी स्वतंत्रता की लड़ाई में हिस्सा लिया और बहुत से सेनानी शहीद हो गए. उन तमाम प्रदेश के गुमनाम सेनानियों की जीवनी को इकट्ठा करने का बीड़ा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पी जगन्नाथ राव नायडू के बेटे पी संतोष कुमार नायडू ने उठाया है. उन्होंने 2013 से प्रदेश के कोने कोने में जाकर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों से मुलाकात की और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का जीवन परिचय इकट्ठा किया. ईटीवी भारत ने पी. संतोष कुमार नायडू से खास बातचीत की.

पी संतोष कुमार नायडू ने सेनानियों की तैयार की जीवनी

रायपुर: भारत को आजादी दिलाने के लिए देश के माटी पुत्रों ने त्याग, तपस्या, बलिदान और खून की आहुति देकर स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी और देश को आजादी दिलाई. उनके आजाद भारत के सपनों की वजह से ही देश एक गणराज्य बनकर उभरा और हमारा अपना संविधान लागू हो पाया. आम लोग छत्तीसगढ़ के कुछ ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को जानते हैं लेकिन सैकड़ों आजादी के परवानों ने स्वतंत्रता की लड़ाई में हिस्सा लिया, बहुत से सेनानी शहीद भी हो गए.

गुमनाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तैयार की जीवनी: प्रदेश के गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी को इकट्ठा करने का बीड़ा पी संतोष कुमार नायडू ने उठाया है. पी संतोष कुमार नायडू स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय पी जगन्नाथ राव नायडू के बेटे हैं. उन्होंने 2013 से प्रदेशभर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों से मुलाकात की और उनका जीवनपरिचय इकट्ठा किया. उन्होंने अब तक 140 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का डाटा तैयार किया है. उन सभी की प्रदर्शनी स्कूल कॉलेज में वे लगाते हैं, ताकि बच्चों को इन सेनानियों के बारे में जानकारी हो. ईटीवी भारत ने पी संतोष कुमार नायडू से खास बातचीत की. आइये जानते हैं उन्होंने क्या कहा...

सवाल: आप प्रदेश के तमाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवनी संग्रह कर रहे हैं, आपके मन में कैसे आया?

जवाब: मेरे मन में यह जागृत आया कि मेरे पिताजी देशभक्त व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. उसके बाद मैंने छत्तीसगढ़ के कोने कोने में जाकर तमाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जानकारी जुटाई. यह काम 2013 से शुरू किया था. काम अभी भी जारी है. इसके लिए मैंने शासन से निवेदन किया था कि इसकी किताब छपे, लेकिन शासन से संतोषजनक जवाब न मिलने से मैंने इसे प्रदर्शनी का रूप दिया है. स्कूल और कॉलेज में जाकर प्रदर्शनी के माध्यम से इसे लगाता हूं, ताकि बच्चों और शिक्षकों को यह जानकारी हो कि देश की आजादी के लिए और भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अपनी कुर्बानी दी है.

सवाल: इसे संग्रह करने में आपको कितना वक्त लगा और किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

जवाब: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार को ढूंढने में मुझे बहुत समय लगा. छत्तीसगढ़ के कोने कोने में जाना पड़ा. बहुत से लोग पोस्ट के माध्यम से भेजे हैं. इस तरह से मैंने तमाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवनी संग्रह की है, जो वर्तमान में मेरे पास उपलब्ध है.

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सवाल: आपके पास कितने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का रिकॉर्ड है?

जवाब: वर्तमान में मेरे पास छत्तीसगढ़ प्रदेश के 140 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का जीवन परिचय है. जिसे मैंने खुद जाकर इकट्ठा किया है.

सवाल: आपके पिताजी भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं. उनके बारे में बताएं?

जवाब: हमारे पिताजी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. पहले हम लोग बूढ़ा तालाब के किनारे रहते थे. उस समय हमारे पिताजी और मां की नई-नई शादी हुई थी. उस दौरान पिताजी की उम्र 12 या 13 साल थी. पिताजी गांधी मैदान के पास तिरंगा झंडा लेकर नारा लगा रहे थे. तभी अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. उन्हें जेल भेज दिया गया था. जेल से आने के बाद पिताजी ने फिर से तिरंगा लहराते हुए भारत माता की जयकारा करने लगे. उस दौरान भी अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर 3 महीने के लिए जेल भेज दिया था. इस तरह पिता जी स्वतंत्रता के आंदोलन में शामिल हुए.


सवाल: आपके पिता जी के नाम पर कोई स्कूल या कॉलेज संचालित हो रहा है.

जवाब: पापा जी के नाम से रविग्राम तेलीबांधा में शासकीय स्कूल है, जो शासन ने बनाया था. वह वर्तमान में संचालित हो रहा है.

सवाल: आपने जिन सेनानियों का संग्रह किया है. उसे स्कूल कॉलेज में भी आप जाकर प्रदर्शनी लगाते हैं. कितने जगहों पर अब तक आप जा चुके हैं?
जवाब: 2013 से मैंने इसका संग्रह करना शुरू किया. अभी तक मैंने लगभग 18 स्कूलों में प्रदर्शनी लगा चुका हूं. रायपुर के केंद्रीय जेल में भी प्रदर्शनी लगा चुका हूं. स्कूल में बच्चों के अलावा शिक्षकों को भी जाकर जानकारी दे रहा हूं. अभी मुझे दो-तीन और स्कूलों में जाना है.

सवाल: आपने बहुत से स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का डिटेल इकट्ठा किया है. इसका लेमिनेशन क्या आपने खुद करवाया?

जवाब: इन तमाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवनी को संस्कृति विभाग की ओर से लेमिनेशन कराया गया है. क्योंकि पहले दीवारों पर चिपकाने से यहा कट फ़ट जा रहा था. मेरी आर्थिक स्थिति भी बेहतर नहीं थी. इसकी जानकारी संस्कृति विभाग के सचिव राकेश चतुर्वेदी को हुई तो उन्होंने लेमिनेशन करा कर मुझे उपलब्ध कराया.

सवाल: आपने जिन सेनानियों की डिटेल निकाली है. उन्हें बहुत कम लोग जानते हैं. इन सेनानियों के लिए आप क्या बेहतर करना चाहते हैं?

जवाब: इनमें बहुत से लोग गुमनाम है. इनके परिवार वालों से और संपर्क साध रहा हूं. देश की आजादी के लिए उनके योगदान की भी जानकारी और अधिक इकट्ठा करने की कोशिश कर रहा हूं, ताकि उनके बारे में आने वाली पीढ़ी को बता सकूं.

सवाल: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिजनों को वर्तमान में किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा?

जवाब: पूरे देश में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों की स्थिति बेहद ही खराब है. मेरी भी स्थिति काफी दयनीय है. मैं किराना दुकान चलाता हूं.1500 रुपए दुकान का किराया देता हूं. मेरे छोटे-छोटे बाल बच्चे हैं. शासन से निवेदन भी किया हूं, लेकिन शासन कुछ नहीं कर रहा. बच्चों के भविष्य की चिंता है. पूरे छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार की स्थिति बहुत ही खराब है. कोई पान ठेला चला रहा तो दुकानदारी कर रहा है.


सवाल: आपने जिन सेनानियों का संग्रह किया है. क्या उन्हें किताबों में उकेरा जाना चाहिए, ताकि आजादी के इन परवानों के बारे में लोग जान सके?
जवाब: मैं शासन से निवेदन करता हूं कि जो हमारी युवा पीढ़ी है, छात्र हैं. उन तक छत्तीसगढ़ के तमाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का जीवन परिचय पहुंचे और इसका एक अलग से किताब छपे. यही निवेदन में शासन से करता हूं.

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