केदारनाथ में पुलिस-प्रशासन के इंतजामात 'फेल', अब NDRF और ITBP ने संभाली कमान

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Published : May 13, 2022, 7:42 AM IST

National Disaster Response Force

उत्तराखंड स्थित केदारनाथ धाम में पुलिस-प्रशासन की व्यवस्था ध्वस्त होती नजर आ रही है. यही वजह है कि अब केदारनाथ में आईटीबीपी को कमान संभालनी पड़ रही है. अभी केदारनाथ और यात्रा मार्गों पर आईटीबीपी के 90 जवानों को तैनात किया गया है. जबकि, एनडीआरएफ के 46 जवान भी जल्द यात्रा मार्गों पर तैनात किए जाएंगे.

रुद्रप्रयागः केदारनाथ धाम में पुलिस-प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल उठने के बाद आईटीबीपी और एनडीआरएफ को कमान सौंप दी गई है. अब यात्रा मार्गों से लेकर केदारनाथ धाम में आईटीबीपी और एनडीआरएफ के जवान तैनात रहेंगे. ये जवान तीर्थयात्रियों की हरसंभव मदद करेंगे. वैसे भी लंबे समय से केदारनाथ यात्रा में आईटीबीपी के जवानों की तैनाती की मांग की जा रही थी. जिससे व्यवस्थित तरीके से केदारनाथ की यात्रा संचालित हो सके.

बता दें कि केदारनाथ धाम की यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने से अव्यवस्था फैल गई है. इस कारण पुलिस-प्रशासन व्यवस्थाओं को संभालने में नाकाम दिखाई दे रहा है. इससे पहले साल 2019 की केदारनाथ यात्रा में भी हर दिन हजारों की संख्या में तीर्थयात्री पहुंचे थे. उस समय भी पुलिस-प्रशासन की नाकामी देखने को मिली थी.

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ऐसे में आईटीबीपी के जवानों को केदारनाथ यात्रा में तैनात किए जाने की मांग की जा रही थी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. इस बार शुरूआत से ही हजारों की तादाद में तीर्थयात्री धाम पहुंच रहे हैं, जबकि, यात्रा के सातवें दिन ही केदारनाथ यात्रा का आंकड़ा 1 लाख 32 हजार पार कर चुका है. अभी भी लाखों लोगों ने केदारनाथ धाम जाने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया है.

केदारनाथ यात्रा मार्गों पर 90 आईटीबीपी जवान तैनातः केदारनाथ में बढ़ रही यात्रियों की संख्या और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने के बाद आखिरकार आईटीबीपी के जवानों को तैनात कर दिया गया है. अभी केदारनाथ और यात्रा मार्गों पर आईटीबीपी (ITBP) के 90 जवानों को तैनात किया गया है. जबकि, एनडीआरएफ (NDRF) के 46 जवान भी जल्द यात्रा मार्गों पर तैनात किए जाएंगे.

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि यात्रियों की केदारनाथ में सुरक्षा और यात्रा व्यवस्था के लिए भारत तिब्बत सीमा पुलिस यानी आईटीबीपी (Indo-Tibetan Border Police) की एक प्लाटून को तैनात कर दिया गया है. यह प्लाटून मंदिर परिसर और मंदिर मार्ग पर दर्शनों के लिए खड़े यात्रियों की मदद करेगी. एक प्लाटून में 30 आईटीबीपी के जवान हैं.

वहीं, सोनप्रयाग और गुप्तकाशी में भी एक-एक प्लाटून को रखा गया है. इसके अलावा पुलिस, एसडीआरएफ (SDRF), डीडीआरएफ (DDRF), यात्रा मैनेजमेंट फोर्स के जवान पहले से तैनात हैं. उन्होंने बताया कि जल्द ही एनडीआरएफ यानी राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (National Disaster Response Force) के जवान भी यात्रा मार्गों पर तैनात कर दिए जाएंगे.

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उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग जिले में NDRF की दो पोस्ट तैनातः एसडीआरएफ डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल (SDRF DIG Ridhim Aggarwal) ने बताया कि इस बार एनडीआरएफ भी उत्तराखंड में चारधाम यात्रा के संचालन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. अब तक उत्तराखंड में एनडीआरएफ की बटालियन का गठन नहीं हुआ था.

पिछले साल तक प्रदेश में एनडीआरएफ को गाजियाबाद से बुलाया जाता था, लेकिन इस बार उत्तराखंड में एनडीआरएफ बटालियन का गठन हो चुका है. इसलिए उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग में एनडीआरएफ की एक-एक पोस्ट को चारधाम यात्रा के लिए तैनात किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में चारधाम यात्रा (uttarakhand chardham yatra) के संचालन के लिए राज्य पुलिस और एसडीआरएफ के कोआर्डिनेशन के साथ एनडीआरफ भी काम करेगी. एनडीआरफ की पोस्टिंग वहां पर की गई हैं, जहां पर एसडीआरएफ के जवान कम हैं. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और राज्य पुलिस के कर्मचारी यात्रा में कानून व्यवस्था के साथ-साथ यात्रियों के स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

किसी भी मुसीबत में टोल फ्री नंबर 1070 और 1077 करें कॉलः रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के जवान चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों को हर मुश्किल समय में सहारा देने का काम करेंगे. अगर पर्यटक चारधाम यात्रा के दौरान किसी भी आपदा या फिर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करते हैं तो वो टोल फ्री नंबर 1070 और 1077 पर संपर्क कर सकते हैं.

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उत्तराखंड में आपदा को लेकर तैयारीः चारधाम यात्रा के सफल संचालन के साथ-साथ मॉनसून सीजन को लेकर (disaster in uttarakhand) भी चिंताएं बढ़ी हुई हैं. यही वजह है कि पुलिस, एसडीआरएफ और अब एनडीआरएफ भी आने वाले मॉनसून सीजन की चुनौती से लड़ने के लिए अभी से तैनात हो गई हैं.

एसडीआरएफ डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि आपदा सीजन से पहले सभी सुरक्षा एजेंसियों को तैयारियों के लिए पर्याप्त समय दिया गया है. अब जल्द ही तैयारियों को लेकर फाइनल बैठक होनी है. जिसमें सभी विभाग अपनी-अपनी तैयारियों और रणनीतियों को लेकर प्रजेंटेशन देंगे. उसके बाद उनकी जिम्मेदारियां भी तय की जाएंगी.

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