द ग्रेट गामा और रुस्तम-ए-हिंद के नाम से जाने जाते हैं गामा पहलवान, पढ़ें खबर

author img

By

Published : Sep 9, 2021, 7:36 AM IST

Updated : Sep 9, 2021, 9:55 AM IST

गामा पहलवान

भारत विभाजन के समय जब वे भारत छोड़ रहे थे तो पटियाला महाराज ने उन्हें भारत में रहने के लिए आमंत्रित किया था. इसके साथ ही पटियाला महाराज ने उन्हें सौ एकड़ जमीन देने का कहा था. हालांकि, गामा पहलवान अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे.

हैदराबाद : भारत के इतिहास में कई नामी पहलवान हुए हैं. जिनके कारनामे विश्व प्रसिद्ध हैं. ऐसे ही एक पहलवान रहे हैं गुलाम मोहम्मद उर्फ ​​गामा. बता दें, गामा पहलवान कुश्ती की दुनिया में ऐसे शख्सियत हैं, जिनका आज भी कोई सानी नहीं है. गामा पहलवान का बिहार के गया जिले से गहरा नाता रहा है. कुश्ती की दुनिया में उन्हें द ग्रेट गामा और रुस्तम-ए-हिंद के नाम से जाना जाता है. गर्व की बात है कि गामा पहलवान कुश्ती करियर में कोई भी मुकाबला नहीं हारे.

गया के सेजुवर एस्टेट में आज भी गामा पहलवान का अखाड़ा मौजूद है. गामा पहलवान की कुश्ती से जुड़े सभी अवशेष सेजुवर एस्टेट में सुरक्षित हैं. विष्णु पथ मंदिर के क्षेत्र में स्थित सेजुवर एस्टेट का अखाड़ा, जहां गामा पहलवान, गुलाम बख्श पहलवान, अंधा पहलवान और अन्य मुस्लिम पहलवानों का कुश्ती का अखाड़ा आज भी मौजूद है.

गोंडजी सेजुवर के पोते हीरा नाथ का कहना है कि गामा पहलवान को उनके दादा की देखरेख में प्रशिक्षित किया गया था. उस समय महान पहलवान की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए लाखों रुपये खर्च होते थे. कलकत्ता (तत्कालीन) में एक कुश्ती मैच में भागलेने से पहले गामा पहलवान तकनीकी रूप दक्ष हो गये थे. उन्होंने महान पहलवानों को हराया. जिसके बाद से उन्हें रुस्तम-ए-हिंद की उपाधि मिली.

13011075

जानकारी के मुताबिक भारत विभाजन के समय जब वे भारत छोड़ रहे थे तो पटियाला महाराज ने उन्हें भारत में रहने के लिए आमंत्रित किया था. इसके साथ ही पटियाला महाराज ने उन्हें सौ एकड़ जमीन देने का कहा था. हालांकि, गामा अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए थे.

गामा पहलवान को भारत जैसा सम्मान पाकिस्तान में कभी नहीं मिला. वहीं, जीवन के अंतिम दिनों में गामा पहलवान को गरीबी का जीवन जीना पड़ा. गामा को खर्च के लिए देश के बड़े कारोबारी जीडी बिड़ला उन्हें हर महीने 300 रुपये भेजा करते थे.

52 वर्ष के करियर में नहीं हारा कोई मुकाबला

गामा पहलवान एक दिन में 5000 बैठक और 1000 से ज्यादा पुशअप लगाने के लिए भी जाने जाते थे. वह दुनिया में कभी किसी भी पहलवान से नहीं हारे. उनके चेहरे पर गजब का तेज था. इनके बचपन का नाम गुलाम मुहम्मद था. उन्होंने महज 10 साल की उम्र में ही पहलवानी शुरू कर दी थी. गामा अपने 52 वर्ष के करियर में कभी कोई मुकाबला नहीं हारे.

मार्शल आर्टिस्ट ब्रूस ली भी थे गामा से प्रभावित

आपको जानकार हैरानी होगी कि गामा ने पत्थर के डम्बल से अपनी बॉडी बनाई थी. फेमस मार्शल आर्टिस्ट ब्रूस ली भी गामा से बेहद प्रभावित थे. गामा शरीर के साथ जितनी मेहनत करते थे उनकी डाइट भी वैसी ही थी. जिसे पचाना आम इंसान के बस से बाहर है. गामा डाइट में चिकन, 10 लीटर दूध, आधा किलो घी और बादाम का शरबत और 100 रोटी लेते थे. गामा के पिता मुहम्मद अजीज बख्श भी पहलवान थे. ऐसे में उन्हें बचपन से ही पहलवानी का शौक था. कहा जाता है कि गामा पहलवान ने एक बार 1200 किलो के पत्थर को उठाकर कुछ दूर चलने का कारनामा कर दिखाया था.

बड़े-बड़े पहलवानों को गामा ने चटाई थी धूल

5 फुट 7 इंच के हाइट वाले गामा पहलवान ने उस दौर में विश्व के लगभग हर लंबे पहलवान को धूल चटाई थी. रहीमबख्श सुल्तानीवाला पहलवान को मात देने के बाद गामा पहलवान का नाम भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में फेमस हो गया था. इसके बाद गामा पहलवान ने दुनियाभर में अपनी ताकत का लोहा मनवाया और लंदन में तत्कालीन विश्व चैंपियन पहलवान स्टैनिस्लॉस जैविस्को से सामना हुआ. हालांकि वह मुकाबला बराबरी पर छूटा था. गामा पहलवान ने उस वक्त दुनिया के कई बड़े पहलवानों को धूल चटाई और कभी नहीं हारे.

हीरा नाथ का कहना है कि बंटवारे के बाद की स्थिति में काफी चीजें तहस-नहस हो गई थी, लेकिन सेजुवर एस्टेट में उनसे जुड़ी चीजें अब भी सुरक्षित हैं. बंटवारे के बाद भी जब गामा पहलवान यहां लौटे तो उन्हें बड़ा सम्मान दिया गया. हीरा नाथ का कहना है कि वे आज भी हिंदू और मुस्लिम में अंतर नहीं करते हैं, क्योंकि ये चीजें उन्हें विरासत में मिली है.

गौरतलब है कि गमन पहलवान का जन्म पंजाब के अमृतसर में हुआ था. वह विभाजन के दौरान पाकिस्तान के लाहौर में बस गए थे. बंटवारे के बाद वे कई बार भारत आए थे.

Last Updated :Sep 9, 2021, 9:55 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.