गांधी मैदान ब्लास्ट : आईपीएस विकास वैभव से जानें, 2013 में कैसे पकड़े गए थे दोषी

author img

By

Published : Nov 2, 2021, 3:48 PM IST

गांधी मैदान बम ब्लास्ट

किसी भी टेररिस्ट के खिलाफ साक्ष्य जुटाना सबसे कठिन काम होता है. एनआईए की टीम ने बेहतर और समन्वय के साथ काम किया. जिसके कारण गांधी मैदान में सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में दोषियों को सजा सुनाई जा सकी है. यह बातें ईटीवी भारत से सीनियर आईपीएस अधिकारी विकास वैभव ने कहीं. पढ़ें पूरी खबर..

पटना : बिहार की राजधानी पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में 27 अक्टूबर 2013 में सिलसिलेवार बम धमाकों (Patna Gandhi Maidan Blast Case) से पूरा पटना गूंज उठा था. उस वक्त प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के हुंकार रैली के दौरान आतंकियों द्वारा बम ब्लास्ट की घटना को अंजाम दिया गया था. बम ब्लास्ट मामले की जांच की अनुशंसा एनआईए न्यायालय (NIA Court) ने भी की है. उनके द्वारा किए गए अनुसंधान का परिणाम है कि आतंकियों को मौत की सजा हुई है. इस मुद्दे पर आईपीएस बिहार सरकार के गृह विभाग के विशेष सचिव विकास वैभव (IPS Vikash Vaibhav) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है.

वैकास वैभव ने कहा कि इस बम ब्लास्ट अनुसंधान मामले में एनआईए ने बेहतरीन कार्य किया है. एनआईए अदालत ने नौ में से चार आतंकियों- हैदर अली, नोमान अंसारी, मोहम्मद मुजीबउल्लाह अंसारी और इम्तियाज आलम को फांसी की सजा सुनाई गई है.

उन्होंने कहा कि उस समय चुनौतीपूर्ण समय था. बोधगया ब्लास्ट की भी जांच हमलोग कर रहे थे. आतंकवादियों के मामले में गवाह जुटाना सबसे कठिन काम होता है. उस समय की एनआईए की टीम काफी अच्छी थी. जांच ऐसे किया गया कि सही तरीके से कोर्ट में गवाहों को पेश किया जा सके. टीम ने समन्वय के साथ काम किया. उस समय से जुड़ी बहुत सारी यादें हैं. चुनौती असली दोषी को पकड़ना था. अब जब रिजल्ट आए हैं तो उनकी याद आती है जो उस वक्त टीम को लीड कर रहे थे.

आईपीएस विकास वैभव से बातचीत

जानकारी के मुताबिक, वर्तमान में बिहार सरकार के विभाग के विशेष सचिव विकास वैभव भी टीम के सदस्य थे. उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि एनआईए के अनुसंधान में काफी बारीकियों के साथ अनुसंधान किया गया था, जिसके आधार पर ही कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. टीम को लीड कर रहे तत्कालीन आईजी संजीव कुमार सिंह जो कि अब इस दुनिया में नहीं रहे उनकी अहम भूमिका रही थी.

इस आईपीएस अधिकारी ने बताया कि उस समय बहुत ही चुनौतीपूर्ण समय था. गांधी मैदान बम ब्लास्ट के महज तीन महीने पहले ही बोधगया बम ब्लास्ट हुआ था, जिसकी जांच एनआईए कर रही थी. उन्होंने बताया कि किसी भी आतंकी के खिलाफ सबूत इकट्ठा करना काफी कठिन कार्य है.

आईपीएस विकास वैभव के अनुसार, उस समय इंडियन मुजाहिदीन काफी सक्रिय था. एनआईए द्वारा साइंटिफिक तरीके से अनुसंधान किया गया, जिसका परिणाम है कि आज आतंकियों को मौत की सजा न्यायालय द्वारा सुनाई गई है. उन्होंने कहा कि हम लोगों ने यह निर्णय लिया था कि किसी भी हालत में असली दोषियों को पकड़कर सजा दिलवाना है.

पढ़ें : बिहार: गांधी मैदान ब्लास्ट के 9 दोषियों को आज सुनाई जाएगी सजा

आतंकियों को सजा होने के बाद अपने वरिष्ठ अधिकारी तत्कालीन आईजी संजीव कुमार सिंह को याद करते हुए आईपीएस अधिकारी ने कहा कि वह टीम को लीड किया करते थे और उनके ही लीड का परिणाम है कि आतंकियों को सजा दिलवाने में कामयाबी मिली है. गांधी मैदान बम ब्लास्ट मामले की जांच बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड के अलावा अन्य राज्यों में भी चल रहा था.

एनआईए को कुछ लिंक मिले थे जिसके आधार पर जांच की गई. विकास वैभव बताते हैं कि काफी लंबा केस चला जिसके बाद अब आतंकियों को सजा सुनाई गई है. उन्होंने कहा कि किसी भी आतंकी हमले में साक्ष्य जुटाना आसान नहीं होता है. बोधगया ब्लास्ट की तरह ही गांधी बम ब्लास्ट था, उसी आधार पर साक्ष्य जुटानेे का काम टीम द्वारा किया गया था.

बता दें कि 27 अक्टूबर 2013 को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में (Gandhi Maidan Bomb Blast Case) एनआईए कोर्ट (NIA Court) ने सोमवार को सजा का एलान कर दिया है. कोर्ट ने सभी नौ दोषियों की सजा सुनाई है. चार दोषियों को फांसी की सजा मिली है. दो दोषियों को आजीवन कारावास मिला. दो दोषियों को 10-10 साल की जेल और एक दोषी को सात साल की सजा सुनाई गई है.

इस मामले में इम्तियाज अंसारी, हैदर अली, नवाज अंसारी, मुजमुल्लाह, उमर सिद्धकी, अजहर कुरैशी, अहमद हुसैन, फिरोज असलम, एफतेखर आलम को 27 अक्टूबर को दोषी ठहराया गया था. कोर्ट ने सबूतों के अभाव के कारण फकरूद्दीन को रिहा कर दिया था.

यह ब्लास्ट तब हुआ था, जब गांधी मैदान में तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली का कार्यक्रम था. इस वजह से गांधी मैदान और आसपास के इलाकों में भारी भीड़ मौजूद थी. सुबह करीब 9.30 बजे पटना जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर 10 पर पहला विस्फोट हुआ. इस विस्फोट में मौके पर ही एक व्यक्ति की मौत हो गई. उसी वक्त धर्मा कुली ने भागते हुए एक शख्स को पकड़ लिया. पकड़े गए व्यक्ति इम्तियाज की गिरफ्तारी के बाद उससे पूछताछ चल ही रही थी कि उसी वक्‍त उसके साथी गांधी मैदान में एक के बाद एक बलास्ट करने लगे. उस समय हुंकार रैली को नरेंद्र मोदी संबोधित कर रहे थे. सिलसिलेवार हुए कुल सात बम धमाकों में छह लोग मारे गए थे और 87 लोग घायल हुए थे.

पूरे मामले की जांच NIA को सौंपी गई थी. पटना सीरियल ब्लास्ट मामले की जांच के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से दो आरोपपत्र दायर किए गए. एनआईए ने एक को मृत दिखाते हुए 12 आतंकवादियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था, जिसमें एक नाबालिग था, जिसे गायघाट स्थित किशोर न्याय बोर्ड ने गांधी मैदान सीरियल बम ब्लास्ट और बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट दोनों मामलों में सजा सुना दी है.

एनआईए के अनुसार, पटना के गांधी मैदान में घटना को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने विस्फोटक पदार्थ की खरीदारी रांची से की थी. बताया जाता है कि सभी आरोपी रांची से बस के जरिए सुबह-सुबह ही बस से पटना पहुंचे थे. हालांकि, अभी तक इस बात का खुलासा नहीं हो सका है कि हुंकार रैली को असफल बनाने के लिए आतंकियों को कहां से फंडिंग की गई थी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.