विदेशी भी चखेंगे GI प्रमाणित जर्दालु आम का स्वाद, ब्रिटेन भेजी गई पहली खेप

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Published : Jun 15, 2021, 1:30 PM IST

जीआई प्रमाणित जर्दालू आम

बिहार के भागलपुर से जर्दालु आम की पहली खेप सोमवार को कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के माध्यम से ब्रिटेन भेजी गई. इस बारे में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर जानकारी दी. उन्होंने ट्वीट किया कि बिहार के जर्दालु आम के GI प्रमाणन के बाद पहली व्यवसायिक खेप ब्रिटेन के लिये भेजी गई. पढ़ें पूरी खबर...

पटना : बिहार के भागलपुर (Bhagalpur) से जर्दालु आम (Jardalu Mango) की पहली वाणिज्यिक खेप सोमवार को कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपेडा) के माध्यम से ब्रिटेन (Britain) भेजी गई. भागलपुर के जर्दालु आम को एक विशिष्ट सुगंध और स्वाद के लिए, 2018 में विशिष्ट भौगोलिक पहचान (GI) टैग मिला था.

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने ट्वीट कर जानकारी दी कि देश का किसान भागलपुर का जर्दालु आम ब्रिटेन तक पहुंचाएगा. बिहार के जर्दालु आम के GI Certification के बाद आज पहली व्यवसायिक खेप ब्रिटेन के लिए भेजी गई. कृषि उत्पादों के निर्यात में यह बड़ा कदम है, और इसका लाभ किसानों तक पहुंचेगा.

  • भागलपुर का जर्दालु आम, ब्रिटेन तक पहुंचायेगा देश का किसानः बिहार के जर्दालु आम के GI Certification के बाद आज पहली व्यवसायिक खेप ब्रिटेन के लिये भेजी गयी।

    कृषि उत्पादों के निर्यात मे यह बड़ा कदम है, और इसका लाभ किसानों तक पहुंचेगा।

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    — Piyush Goyal (@PiyushGoyal) June 14, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बिहार के कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने सोमवार को हरी झंडी दिखाकर जर्दालु आम की पहली खेप रवाना की. इस अवसर पर एपीडा के अध्यक्ष, कृषि विभाग सचिव उपस्थित थे. मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने जर्दालु आम के व्यावसायिक निर्यात में सहयोग करने के लिए भारतीय उच्चायोग को आभार प्रकट किया.

बता दें, भागलपुर के आम किसान कृष्णानंद के बाग का आम भेजा गया है. पहली खेप में 850 किलो आम भेजा गया है. किसान का कहना है कि अगले साल से और मात्रा बढ़ाई जाएगी.

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बता दें कि, जीआई उन उत्पादों के लिए दिया जाता है जो एक भौगोलिक (जीआई) एक संकेत है जो उन उत्पादों पर उपयोग किया जाता है जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है और इसमें उस क्षेत्र की विशेषताओं के गुण और प्रतिष्ठा भी पाई जाती है. उस नाम पर किसी और क्षेत्र के वैसे उत्पाद का व्यापार नहीं किया जा सकता.

जीआई टैग के उद्देश्य
भौगोलिक संकेत टैग का मूल उद्देश्य यह होता है कि दूसरे लोगों द्वारा पंजीकृत भौगोलिक संकेत के अनधिकृत उपयोग को रोकना है. GI टैग के माध्यम से उत्पादन प्रक्रिया में नयापन लाने वाले लोगों को इस बात की सुरक्षा प्रदान की जाती है कि उनके उत्पाद की नकल कोई और व्यक्ति या संस्था नहीं करेगी.

कौन जारी करता है जीआई टैग
भौगोलिक संकेत (GI टैग), वस्तु (पंजीकरण और संरक्षण) एक्ट, 1999 के अनुसार जारी किए जाते हैं. यह टैग, 'भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री' द्वारा जारी किया जाता है. यह उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आता है.

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