
धनतेरस पर आज करिए काशी की स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के दर्शन, साल में सिर्फ 5 दिन ही खुलते पट, जानिए मान्यता
मंगला आऱती के बाद भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए गए, सिक्के और प्रसाद बांटा जाता.

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : October 18, 2025 at 10:54 AM IST
वाराणसी: काशी को मंदिरों का शहर कहते हैं और मंदिरों के ही अद्भुत शहर में कई ऐसे पौराणिक मंदिर हैं. जहां दर्शन करने से सुख-संपत्ति और वैभव की प्राप्ति होती है और बात जब दीपावली के मौके की हो तो हर कोई धन-धान्य की चाहत रखता है. ऐसे में अगर आप काशी पहुंच रहे हैं, तो काशी में दीपावली के मौके पर 5 दिनों तक खुलने वाले इस मंदिर में दर्शन करना मत भूलिएगा. क्योंकि आज धनतेरस के दिन काशी के इस अद्भुत स्वर्ण दरबार में दर्शन खोल दिए गए हैं. काशी का यह दरबार साल में 5 दिन ही खुलता है और भक्तों को खजाना भी बांटा जाता है. जिसकी शुरुआत आज सुबह मंगला आरती के साथ हो चुकी है.
दरअसल काशी में मान्यता है कि भगवान भोलेनाथ मोक्ष देते हैं और माता पार्वती लोगों की भूख शांत करती हैं. इसी मान्यता के साथ वाराणसी में पार्वती माता अन्नपूर्णा के रूप में विराजमान है और काशी की अद्भुत सैकड़ो वर्ष पुरानी परंपरा के अनुरूप धनतेरस से लेकर दीपावली के बाद अन्नकूट माता अन्नपूर्णा के स्वर्ण स्वरूप के दर्शन किए जाते हैं. यह दरबार माता अन्नपूर्णा मंदिर में ऊपर स्थित है. विश्वनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित माता अन्नपूर्णा का यह स्वर्णमयी दरबार साल में 5 दिन ही खुलता है. बाकी दिन यहां भक्त दर्शन नहीं कर सकते हैं.

आज सुबह मंगला आरती के साथ ही मंदिर के महंत शंकर पुरी ने आरती संपन्न करने के साथ ही माता अन्नपूर्णा, भू देवी, भगवान शंकर और लक्ष्मी माता के दर्शन के लिए कपाट खोल दिए. इसके बाद हजारों की संख्या में सुबह से ही दर्शन पूजन करने के लिए लोग पहुंच रहे हैं. लोगों की आस्था इस कदर जुड़ी है कि कल दोपहर से ही लोग कतार में लगकर, अपनी बारी का इंतजार करते दिखाई दिए.

मंदिर में दर्शन होने के साथ ही माता का विशेष खजाना भी लुटाया जाता है. साल भर चढ़ने वाले सिक्कों का वितरण होता है उसमें लव भी प्रसाद स्वरूप में दिया जाता है. ऐसी मान्यता है कि लव और सिक्का वितरण होने के बाद इसे ले जाकर अपने धन की कोठरी में और अपने रसोई में रखने से माता अन्नपूर्णा की कृपा पूरे साल बनी रहती है. यही वजह है कि लोग दूर-दूर से यह प्रसाद लेने के लिए काशी पहुंचते हैं.

महंत पुरी का कहना है, माता अन्नपूर्णा काशी में तब से विराजमान है जब से काशी की स्थापना हुई. भगवान भोलेनाथ यहां पर मोक्ष देते हैं और माता सभी का पेट भरती है. भोलेनाथ माता के सामने भिक्षा मांगकर अपने भक्तों में भोजन का वितरण करते हैं. यहां पर शिव खुद भिक्षुक के रूप में है और माता दानदाता के रूप में है.
यह अद्भुत परंपरा सिर्फ काशी में ही दिखाई देती है और माता की जो स्वर्ण प्रतिमा है, वह अनादि काल से यहां स्थापित है उनके दर्शन सिर्फ दीपावली के दौरान धनतेरस से लेकर अन्नकूट पर्व तक ही होते हैं. अन्नकूट के अंतिम दिन 56 भोग माता को अर्पित होते हैं और उसका वितरण बाद में किया जाता है. उसके बाद इस मंदिर के कपाट पूरे साल के लिए बंद हो जाते हैं. जिनको फिर से दीपावली के दौरान खोला जाता है.
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