बाघ का फेवरेट शिकार है बांधवगढ़ का ये नन्हा जीव, कांटे इतने नुकीले कि ले सकते हैं जान
मासूम सा दिखने वाला नन्हा सेही होता है बेहद खतरनाक, इसके शूल ले सकते हैं जान, फिर भी बाघ का है फेवरेट शिकार.

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team
Published : October 15, 2025 at 7:27 PM IST
उमरिया: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व अपनी जैव विविधता के लिए जाना जाता है. यहां पर तरह-तरह के वन्य प्राणी पाए जाते हैं, जो इस विशाल और रहस्यमई जंगल को अनोखा बनाते हैं. उन्हीं में से एक है सेही. मासूम सा दिखने वाला यह जीव हकीकत में बहुत खतरनाक होता है. इसके शरीर पर पाए जाने वाले नुकीले कांटे बड़े-बड़े शिकारियों की जान ले लेते हैं. इन दिनों सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हो रहा है, जो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का बताया जा रहा है. वीडियो में एक सेही बड़ी मस्ती के साथ सड़क पर घूमता दिखाई दे रहा है. चलिए इस कंटीले और जानलेवा जीव के बारे में विस्तार से जानते हैं.
शिकार की तलाश में रात में निकलता है सेही
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में रात के अंधेरे में इस जानवर के घूमने का वायरल वीडियो आया है. इसको लेकर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक अनुपम सहाय बताते हैं कि "रात के अंधेरे में इस तरह बीच सड़क पर सेही का दिखना बेहद दुर्लभ है. सामन्यत: यह जीव घने जंगलों में ही रहते हैं और रात में भोजन की तलाश में निकलते हैं. सेही का दिखना बांधवगढ़ की जैव विविधता को दर्शाता है. यह हमारे लिए सुखद है. बांधवगढ़ के विशाल जंगल में इस तरह के कई अद्भुत और दुर्लभ प्राणी पाए जाते हैं."

सेही क्यों होता है खास?
सेही को अंग्रेजी में पॉर्क्यूपाइन कहते हैं. ये एक कांटेदार जानवर होता है. इसके शरीर पर बड़े-बड़े कांटे होते हैं जो इसकी सुरक्षा का काम करते हैं. इन कांटों को शूल कहा जाता है. यह शूल 30 सेंटीमीटर तक लंबा हो सकता है. अगर ये शूल किसी को चुभ जाए तो बहुत दर्द होता है. जहां पर सेही मिलते हैं वहां उनके शूल इधर-उधर पड़े मिल जाते हैं. सेही जब अपने ऊपर कोई खतरा देखता है तो इसी शूल से अपना बचाव करने की कोशिश करता है. वो अपने नुकीले शूल को खड़ा कर लेता है और पीछे की ओर दौड़ते हुए अटैक करता है.

सेही होता है शुद्ध शाकाहारी
सेही की एक खासियत ये भी होती है कि यह दिन के समय में किसी पेड़ के खोह, घनी झाड़ियों में या जंगलों के बीच में छिपा रहता है और आराम करता है. शाम होते ही भोजन की तलाश में बाहर निकलता है. यह एक शाकाहारी जीव है. यह अनाज, फल, पौधों की जड़ें और उनकी छाल को खाता है. इससे मिले कैल्शियम उसके शूलों को मजबूती प्रदान करते हैं और नए शूल उगाने में भी सहायक होते हैं. मादा सेही एक बार में 2 से 4 बच्चों को जन्म देती है. यह भारत के लगभग हर जंगलों में पाए जाते हैं.
बाघ का पसंदीदा शिकार है यह जानवर
अनुपम सहाय बताते हैं कि "सेही के कांटे भले की जानलेवा होते हैं, लेकिन यह बाघ का पसंदीदा शिकार होता है. बाघ को अगर कहीं भी सेही दिख जाता है तो वो उसके पीछे लग जाता है. हालांकि इसके शिकार करने के चक्कर में कई बार बाघों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. इसके शूल मुंह सहित बाघ के शरीर के अन्य हिस्सों में घंस जाते हैं. इसके बावजूद बाघ को सेही का शिकार करना बहुत पसंद है."

अनुपम सहाय ने बांधवगढ़ की घटना का जिक्र करते हुए बताया कि "बीते जून महीने में चक्रधारा नामक बाघिन घायल अवस्था में मिली थी. सेही का शिकार करने के चक्कर में उसके शूल बाघिन के मुंह में धंस गए थे. जिससे वो बुरी तरह जख्मी हो गई थी. 3 दिन तक बाघिन को डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया था. हालांकि कुछ दिन बीतने के बाद कांटे सूखकर अपने आप गिर जाते हैं. चक्रधारा बाघिन को भी जो शूल लगे थे वो भी सूखकर गिर गए थे."
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'पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अहम है सेही'
पर्यावरणविद संजय पयासी बताते हैं कि "जंगल के पारिस्थितिक तंत्र में सेही का बहुत महत्व है. यह जानवर अपनी रक्षात्मक स्किल्स के लिए जाना जाता है. इसके शूल इसे शिकार होने से बचाते हैं. इसके पंजे बेहद मजबूत होते हैं जो मिट्टी की खुदाई के काम आते हैं. इनकी किडनी की बनावट विशेष होती है जो जल संरक्षण के काम आती है.
यह एक निशाचर प्राणी है जो रात में ही बाहर निकलता है. शेर, बाघ और लकड़बग्घे को इसका शिकार करना बेहद पसंद है. कुछ क्षेत्रों में इसका शिकार इसके शूल के लिए किया जाता है जो सजावट के काम आता है. इसके शूल से कई सजावट की वस्तुएं बनाई जाती हैं. कई जगह इसका इस्तेमाल मूर्तियां बनाने में भी किया जाता है."

