पं. छन्नूलाल मिश्र के बेटे रामकुमार मिश्र बोले- झूठी बातें फैलाई गईं, बहन को 13 दिन इंतजार करना चाहिये था
वाराणसी में पद्म भूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र का मंगलवार को तेरहवीं संस्कार किया गया.


By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : October 14, 2025 at 9:31 PM IST
|Updated : October 14, 2025 at 10:16 PM IST
वाराणसी : पद्म भूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन हुए 13 दिन हो चुके हैं. तेरहवीं में उनके बेटे रामकुमार मिश्र और बेटी नम्रता मिश्रा के बीच चल रहा पारिवारिक विवाद फिर से सामने आया. मंगलवार को बहन और भाई ने दो जगह पर अलग-अलग तेरहवीं का संस्कार किया.
बेटी नम्रता मिश्रा की तरफ से लगाये जा रहे आरोपों के बाद मंगलवार को पहली बार पंडित छन्नू लाल मिश्र के बेटे पंडित रामकुमार मिश्र उनके पोते पंडित राहुल मिश्र ने आरोपों पर जवाब दिया. पंडित रामकुमार मिश्र ने बहन के आरोपों को न सिर्फ झूठ बताया, बल्कि अपील भी की कि सारी चीजों को भूलकर बातों को खत्म कर मिलजुल कर सारी बातों का हल निकालें.
श्रद्धांजलि सभा का आयोजन : बेटे पंडित रामकुमार मिश्र ने कहा कि पूरी प्रक्रिया सनातन धर्म के अनुसार की जा रही है. उन्होंने कहा कि पूजन पाठ हुआ है और हवन के बाद अब श्रद्धांजलि सभा रखी गई है. ब्राह्मण भोज और भंडारे का आयोजन भी किया गया है. बहन नम्रता के आरोपों पर उन्होंने कहा कि यह पिता जी की इच्छा थी, उनको मुखाग्नि मेरा पुत्र दे और तीन दिन के अंदर में ही सभी संस्कार पूरा हो जाए.
'सनातन परंपरा के अनुसार किया गया काम' : उन्होंने कहा कि जब मेरी माता जी का निधन हुआ था तब पिता जी ने तीन दिनों में ही सभी कम पूरा करवाया था. उनका कहना था कि जब तक आत्मा प्रेत योनि में रहती है तब तक यह सब काम चलते रहते हैं, इसलिए ज्यादा दिनों तक आत्मा को प्रेत योनि में नहीं रहना चाहिए और जल्द से जल्द यह प्रक्रिया पूर्ण हो जानी चाहिए, लेकिन उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार और सनातन परंपरा के अनुसार भी सभी चीजों को रखा और किया जा रहा है.
'पुत्र या पौत्र को अधिकार' : उन्होंने कहा कि यह बहुत विचलित करने वाली बात है कि आयोजन दो जगह हो रहे हैं. इस तरह हम आयोजन नहीं कर सकते. यह सृष्टि का नियम है और इसका अधिकार सिर्फ पुत्र या पौत्र को है. मेरे बेटे राहुल ने उनको मुखाग्नि दी है. मैं और मेरा बेटा ही यह काम कर रहे हैं और मुझे हक बनता है.
'सारी बातें झूठ फैलाई गईं' : उन्होंने आरोपों पर कहा कि मुझे यह नहीं समझ में आ रहा है कि किस लोभ में आकर नम्रता ने यह आरोप लगाए हैं. उसने यह आरोप क्यों लगाये और किसके कहने पर लगाए हैं, मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं. कहा कि मुझे लगता है यह पारिवारिक बात है और इसको बेवजह करने और कहने का कोई औचित्य नहीं है. यह बात कहां से आई और सारी बातें झूठ फैलाई गई हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह की बात होनी ही नहीं चाहिये पहले उनका काम होना चाहिये.
'सभी को बैठकर बात करनी चाहिए' : उन्होंने कहा कि परिवार में यदि कुछ है तो मुझे लगता है कि सभी को बैठकर बात करनी चाहिए, क्योंकि घर में अगर चार बर्तन हैं तो बजते हैं, लेकिन इस तरह से सार्वजनिक तौर पर ऐसी चर्चा होना उचित नहीं है. मुझे इसका अफसोस है और आश्चर्य है.
'नम्रता को इंतजार करना चाहिए था' : बहन के आरोपों पर उन्होंने कहा कि नम्रता को इंतजार करना चाहिए था. 13 दिनों के इंतजार के बाद उसे कुछ बोलना चाहिए था. अब नम्रता क्या कहेंगी, क्योंकि आज तेरहवीं का आयोजन है. रुक जातीं थोड़ा. कल यह आरोप लगातीं तब यह शोभा देता है, यह अशोभनीय है.
'मकान कब बिका जानकारी नहीं' : उन्होंने आरोप लगाया कि जिस मकान में मेरे पिता रहते थे उसे बेच दिया गया बहुत पहले. मेरे पिताजी की आत्मा उस घर में बसती थी. उनके पास सूचना थी, लेकिन मुझे जानकारी ही नहीं हुई. उन्होंने आरोप लगाया कि नम्रता ने उस घर को बेच दिया और मुझे जानकारी नहीं लगी. किसी को भी पता नहीं है कि वह कब बिका और कैसे बिका?
'2017 से लेकर 2022 तक मेरे पुत्र साथ रहे' : उन्होंने कहा कि मेरी बहन ममता मेरे साथ है, लेकिन नम्रता को इस तरह की चीज नहीं करनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि नम्रता उनके साथ लंबे वक्त तक नहीं रहीं. 6 साल तक मेरा बेटा राहुल उनके साथ रहा. मेरी माता जी और छोटी बहन के निधन के बाद पिताजी बेड पर थे. 2017 से लेकर 2022 तक मेरे पुत्र साथ रहते थे.
'मैं पिता की इच्छाओं को जानता हूं' : उन्हों कहा कि नम्रता मेरे ऊपर कोई भी आरोप लगाने वाली होती कौन हैं, उनको यह सब नहीं कहना चाहिए. वह सबसे छोटी हैं. मेरी उम्र 62 वर्ष है. पिताजी पद्म विभूषण हैं. अपनी कला और अपने काम की वजह से मैं भी इस क्षेत्र में हूं. मैं उनके साथ ज्यादा रहा हूं. मैं उनकी इच्छाओं को जानता हूं और उसके बाद मेरा बेटा जानेगा.
'मथुरा में जॉब करतीं थीं बुआ : पंडित छन्नूलाल मिश्र के पौत्र राहुल मिश्र ने कहा कि जो दादा ने कहा सब सही है, जो बुआ कह रही हैं, वह सब चीज गलत है. उन्होंने 19 से 20 साल तक मथुरा में जॉब करतीं थीं. सबसे कम वह दादा के साथ रही हैं. उन्होंने कहा कि आखिरी के समय में जब दादी चली गईं और तब वह पैसों को लेकर आईं. दादा अपनी याददाश्त खोने लग गए थे. दादा दो-तीन महीने से बीमार थे और लगभग दो सालों से वह ऑन द बेड थे. उनके निधन के पश्चात इस तरह की चीज करना गलत है. मेरे दादा का नाम खराब किया गया है.
उन्होंने कहा कि बुआ झूठ बोल रही हैं. मैं बहुत कुछ बोल सकता हूं. मैं अपने दादा के साथ कई सालों तक रहा. मेरे पिता दिल्ली में थे मेरे दादी के देहांत के बाद जब बुआ यहां आ गईं और उनको प्रॉपर्टी और पैसे के बारे में पता चला और उनको लगा कि मेरे भतीजे या मेरे भाई को संपत्ति ना मिल जाए.

