
हाईकोर्ट ने डॉ. अशोक तेहलियानी की नजूल भूमि फ्रीहोल्ड करने के आदेश का पालन का निर्देश दिया, 20 नवंबर को डीएम तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिविल लाइंस स्थित नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड करने के आदेश का एक माह में पालन करने का निर्देश दिया है.

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : October 18, 2025 at 10:20 PM IST
|Updated : October 18, 2025 at 10:43 PM IST
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज के डीएम, एडीएम नजूल और अपर मुख्य सचिव हाउसिंग को डॉ. अशोक तेहलियानी की सिविल लाइंस स्थित नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड करने के आदेश का एक माह में पालन करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि आदेश के अनुपालन हलफनामा दाखिल नहीं करने पर तीनों अधिकारी 20 नवंबर को हाजिर हों.
सरकार अधिकार का हनन नहीं कर सकती: कोर्ट ने कहा कि न्यायालय का आदेश पहले ही हो जा चुका था. बाद में नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड करने को निलंबित रखने का अध्यादेश जारी किया गया. यह अध्यादेश कोर्ट के समादेश को प्रभावित नहीं करेगा. कोर्ट ने कहा कि सरकार किसी की फ्रीहोल्ड अर्जी निरस्त व किसी की लंबित रखकर समानता के अनुच्छेद 14 के मूल अधिकार का मनमाने तरीके से हनन नहीं कर सकती.
हाईकोर्ट में अवमानना याचिका पर सुनवाई: यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने डॉ अशोक तेहलियानी की अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. याचिका में कहा गया कि नजूल भूमि 2(ए)10 सिविल लाइंस का मूल पट्टेदार ने आठ मार्च 1972 को याची के पिता डॉ. नंदलाल तेहलियानी के नाम विक्रय करार किया था, जो पंजीकृत नहीं किया जा सका. सभी अधिकार सहित भूमि पर कब्जा दे दिया गया जो अब भी बरकरार है.
जमीन का बैनामा नहीं हो सका: शर्त थी कि सरकार की अनुमति के बिना नजूल जमीन बेची नहीं जा सकती इसलिए बैनामा नहीं किया जा सका. याची के पिता ने सरकार से अनुमति मांगी थी. वर्ष 1991 में सरकार की नजूल भूमि को फ्रीहोल्ड की नीति लागू हुई. याची ने 30 जनवरी 1999 को अर्जी दी. 25 अगस्त 2006 को यह कहते हुए अर्जी निरस्त कर दी कि विक्रय करार पंजीकृत नहीं था.
भूमि फ्रीहोल्ड करने का आदेश दिया: इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. कोर्ट ने सरकार का आदेश रद्द करते हुए याची के पक्ष में निर्धारित राशि लेकर भूमि फ्रीहोल्ड करने का आदेश दिया. इस आदेश के विरुद्ध सरकार की एसएलपी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. पुनर्विचार अर्जी भी निरस्त हो गई. इसी बीच अध्यादेश आया. इसमें नजूल को फ्रीहोल्ड स्कीम निलंबित कर दी गई. विधेयक सदन से पास होने के बाद सेलेक्ट कमेटी में लंबित है.
अधिकारियों को आदेश का पालन करना होगा: याची ने आदेश का पालन करने की मांग में अवमानना याचिका की. सरकार ने तर्क दिया कि फ्रीहोल्ड कराना किसी का विधिक या संवैधानिक अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के समादेश पर जो अध्यादेश सीज हो चुका है, प्रभावी नहीं होगा. ऐसे में अधिकारियों को आदेश का पालन करना होगा.
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