हजारीबाग में 12 वर्षीय बिरहोर बच्ची की मौत, स्वास्थ्य विभाग पर लगा इलाज में लापरवाही का आरोप
हजारीबाग के जमुनियातरी गांव में 12 साल की बच्ची की इलाज के दौरान मौत हो गई. परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया है.

Published : October 15, 2025 at 8:44 PM IST
हजारीबाग: जिले के चौपारण थाना क्षेत्र के जमुनियातरी गांव में आदिम जनजाति बिरहोर समुदाय की 12 वर्षीय बच्ची सरस्वती कुमारी की मौत ने एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्था की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया है. ग्रामीणों का आरोप है कि चौपारण सीएचसी में इलाज के दौरान लापरवाही बरती गई और बच्ची की मौत के बाद एंबुलेंस ने उसका शव गांव तक पहुंचाने के बजाय बीच जंगल में ही छोड़ दिया.
चारपाई पर लादकर गांव लेकर पहुंचे ग्रामीण
पूरा मामला चौपारण थाना क्षेत्र के जमुनियातरी का है, यहां 12 वर्षीय बच्ची की अचानक तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर परिजन उसे चौपारण सीएचसी लेकर पहुंचे. यहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे बेहतर इलाज के लिए हजारीबाग सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया, लेकिन बच्ची रास्ते में ही मौत हो गई. इस दौरान सबसे शर्मनाक बात यह रही कि एंबुलेंस कर्मियों ने शव को गांव से लगभग 8 किलोमीटर पहले जंगल में ही उतार दिया, जिसके बाद परिजन और ग्रामीण चारपाई पर कंधे पर शव को लादकर गांव लेकर आए.
ग्रामीणों ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठाए सवाल
ग्रामीणों का आरोप है कि चौपारण सीएचसी में बिरहोर समुदाय की सुध लेने वाला कोई नहीं है. मामूली बुखार या पेट दर्द में भी डॉक्टर बिना जांच किए मरीज को रेफर कर देते हैं. ग्रामीणों ने दवाइयों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि 'सीएचसी में मिलने वाली दवा खोलते ही पिघल जाती है और उस पर तारीख तक नहीं लिखी होती है'.
एम्बुलेंस ने बीच रास्ते में शव को छोड़ा
इस ताजा मामले में चौपारण चिकित्सा प्रभारी डॉ. फरहाना महफूज का कहना है कि 'बच्ची गंभीर हालत में आई थी, प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए उसे रेफर किया गया था. हजारीबाग जाने के क्रम में उसकी मौत हो गई, रास्ता खराब होने की वजह से एम्बुलेंस को बीच जंगल में शव छोड़ना पड़ा.
7 अक्टूबर को जमुनियातरी गांव में कैंप लगाकर सरस्वती का इलाज किया गया था. रास्ता खराब होने की वजह से शव को बीच रास्ते में उतारना पड़ा था. बिरहोर समुदाय में जागरूकता की कमी है, कई लोग अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते हैं जबकि सहिया दीदी लगातार फॉलोअप में रहती हैं: अशोक कुमार, सिविल सर्जन
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