उज्जैन: पितृपक्ष पर देश-विदेश से श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं. मान्यता है कि भगवान राम, लक्ष्मण और सीता ने वनवास के दौरान राजा दशरथ का पिंडदान तर्पण कराया था. माना जाता है कि माता पार्वती ने सिद्धवट पर वट का पेड़ लगाया था. इसलिए सिद्धवट पर दूध चढ़ाने की मान्यता है. उज्जैन के पंडित राजेश त्रिवेदी ने कहा, " उज्जैन अवंतिका नगरी बाबा महाकाल के नाम से जानी जाती हैं. सतयुग से ही यहां तर्पण श्राद्ध कार्य किया जाता है. उज्जैन के शिप्रा किनारे घाट पर 18 सितम्बर से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हुई है, जो 3 अक्टूबर तक रहेगी.''
पितृपक्ष पर देश-विदेश से उज्जैन पहुंचते हैं हजारों श्रद्धालु, जानें क्या है विशेष मान्यता
By ETV Bharat Madhya Pradesh Team
Published : Sep 18, 2024, 2:06 PM IST
उज्जैन: पितृपक्ष पर देश-विदेश से श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं. मान्यता है कि भगवान राम, लक्ष्मण और सीता ने वनवास के दौरान राजा दशरथ का पिंडदान तर्पण कराया था. माना जाता है कि माता पार्वती ने सिद्धवट पर वट का पेड़ लगाया था. इसलिए सिद्धवट पर दूध चढ़ाने की मान्यता है. उज्जैन के पंडित राजेश त्रिवेदी ने कहा, " उज्जैन अवंतिका नगरी बाबा महाकाल के नाम से जानी जाती हैं. सतयुग से ही यहां तर्पण श्राद्ध कार्य किया जाता है. उज्जैन के शिप्रा किनारे घाट पर 18 सितम्बर से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हुई है, जो 3 अक्टूबर तक रहेगी.''