पटाखों का धुआं स्वास्थ्य के लिए कितना खतरनाक, जानें किसे रहना चाहिए सावधान?
पटाखों से हवा में धूल-प्रदूषकों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. किन लोगों को सावधान रहने की जरूरत है...

Published : October 15, 2025 at 7:26 PM IST
रोशनी का त्योहार दिवाली, भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है. इस दिन गलियां, घर और मंदिर रंग-बिरंगी सजावट, खूबसूरत रंगोली और टिमटिमाती रोशनियों से सज जाते हैं. मिठाइयां बांटने और उपहारों का आदान-प्रदान करने से आपसी जुड़ाव और खुशी की भावना बढ़ती है. यह एक ऐसा त्योहार है जो अपनों को एक साथ लाता है. आतिशबाजी से आसमान जगमगा उठता है. हालांकि, त्योहारी खुशियों के साथ-साथ दिवाली कुछ हेल्थ रिस्क और सुरक्षा संबंधी खतरे भी लेकर आती है. स्वादिष्ट भोजन, तेज पटाखों और बढ़ी हुई गतिविधियों का मेल कभी-कभी दुर्घटनाओं और मेडिकल इमरजेंसी का कारण बन सकता है. इस खबर में जानें कि पटाखों के धुएं से किसे और क्यों अधिक सावधान रहने की जरूरत है...
किसे अधिक सावधान रहने की जरूरत
पटाखों का धुआं सभी के लिए बेहद खतरनाक होता है, लेकिन यह बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और पहले से ही श्वसन या हृदय संबंधी समस्याओं से ग्रस्त लोगों के लिए विशेष रूप से हानिकारक है. धुएं में मौजूद कण और जहरीली गैसें फेफड़ों में जलन, सास लेने में तकलीफ और अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती हैं. यह आंखों में जलन और दिल पर भी दबाव डाल सकता है.
पटाखे हानिकारक क्यों हैं?
पटाखों में ऐसे केमिकल्स होते हैं जो जलाने पर तेज आवाज और रंग-बिरंगी चिंगारियां पैदा करते हैं. ये देखने में भले ही सुंदर लगें, लेकिन ये केमिकल्स जहरीले धुएं और प्रदूषक छोड़ते हैं जो हमारे स्वास्थ्य को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं.
एयर पॉल्यूशन
पटाखे सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें छोड़ते हैं. ये प्रदूषक हवा में मिल जाते हैं, जिससे धुंध और खराब एयर क्वालिटी पैदा होती है. इन जहरीले धुएं में सांस लेने से ये हो सकते हैं...
- सांस लेने में समस्याएं (खांसी, घरघराहट, अस्थमा के दौरे)
- आंखों में जलन (जलन, लालिमा, आंखों से पानी आना)
- गले और फेफड़ों में जलन
- अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या फेफड़ों की अन्य बीमारियों से पीड़ित लोग विशेष रूप से असुरक्षित होते हैं.
ध्वनि प्रदूषण
पटाखों की तेज आवाज 140 डेसिबल से भी ज्यादा हो सकती है. जो मानव कानों के लिए सुरक्षित सीमा 85 डेसिबल से कहीं ज्यादा है। लंबे समय तक इनके संपर्क में रहने से...
- सुनने की क्षमता में कमी या टिनिटस (कानों में बजना)
- तनाव और चिंता में वृद्धि (खासकर बच्चों और बुज़ुर्गों में)
- नींद में खलल
शारीरिक चोटें
अगर पटाखों को गलत तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो ये गंभीर जलन, आंखों में चोट और यहां तक कि उंगलियों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. जिज्ञासा और जागरूकता की कमी के कारण बच्चों को ज्यादा खतरा होता है.
जानवरों को नुकसान
पटाखों से पालतू जानवरों और आवारा जानवरों को बहुत नुकसान होता है. तेज आवाजें उन्हें डराती हैं, जिससे ये हो सकता है...
- पैनिक अटैक
- सुनने की ताकत में कमी
- हार्ट रेट में वृद्धि और स्ट्रेस
एनवायरमेंटल डैमेज
पटाखों से निकलने वाले केमिकल जमीन और जल निकायों में जमा हो जाते हैं, जिससे मिट्टी और पानी प्रदूषित होता है. इससे पौधों, जलीय जीवन और ओवरऑल पारिस्थितिकी तंत्र संतुलन पर असर पड़ता है.
पटाखों के प्रदूषण से खुद को कैसे बचाएं
- पटाखे फोड़ने से बचें
- मास्क पहनें
- खिड़कियां बंद रखें
- हाइड्रेटेड रहें
- अपने कानों की सुरक्षा करें
- प्राथमिक उपचार तैयार रखें
- जलने पर मरहम
स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हों तो क्या करें?
अगर आपको या आपके किसी प्रियजन को पटाखों के कारण सांस लेने में तकलीफ, तेज खांसी या जलन हो, तो...
- अच्छी तरह हवादार जगह पर जाएं
- अगर आंखों में जलन हो, तो साफ पानी से धोएं
- लक्षण बिगड़ने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें
- लगातार सांस लेने की समस्याओं के लिए, डॉक्टर से सलाह लें.
(डिस्क्लेमर: यह सामान्य जानकारी केवल पढ़ने के उद्देश्य से प्रदान की गई है. ईटीवी भारत इस जानकारी की वैज्ञानिक वैधता के बारे में कोई दावा नहीं करता है. अधिक जानकारी के लिए कृपया डॉक्टर से सलाह लें.)

