H-1B वीजा शुल्क पर अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स ने ट्रंप प्रशासन पर किया मुकदमा
US चैंबर ऑफ कॉमर्स ने $100,000 H-1B वीजा शुल्क को अवैध बताते हुए ट्रंप प्रशासन पर मुकदमा किया; यह नीति अमेरिकी कंपनियों को नुकसान पहुंचाएगी.

Published : October 17, 2025 at 9:46 AM IST
|Updated : October 17, 2025 at 9:51 AM IST
वॉशिंगटन: अमेरिका के सबसे बड़े व्यापार संगठन यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स ने ट्रंप प्रशासन द्वारा प्रस्तावित $100,000 H-1B वीजा आवेदन शुल्क को "अवैध और असंवैधानिक" बताते हुए गुरुवार को वॉशिंगटन की एक जिला अदालत में मुकदमा दायर किया है.
चैंबर ऑफ कॉमर्स ने अपनी याचिका में कहा है कि इस शुल्क को लागू करने से अमेरिकी कंपनियों को भारी नुकसान होगा, विशेष रूप से तकनीकी और नवाचार आधारित कंपनियों को जो विदेशी कुशल कर्मचारियों पर निर्भर हैं. उन्होंने दावा किया कि इस नीति से कंपनियों की मजदूरी लागत में अत्यधिक वृद्धि होगी और उन्हें कम कर्मचारियों को नियुक्त करने पर मजबूर होना पड़ेगा, जबकि अमेरिका में कई विशेष कौशलों वाले श्रमिकों की कमी बनी हुई है.
चैंबर ने ट्रंप के 19 सितंबर को हस्ताक्षरित राष्ट्रपति घोषणापत्र को भी "स्पष्ट रूप से अवैध" बताया है. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के पास विदेशियों के प्रवेश पर सीमित अधिकार हैं, लेकिन वे कांग्रेस द्वारा पारित कानूनों के विरुद्ध जाकर नीतियां नहीं बना सकते.
चैंबर ऑफ कॉमर्स के कार्यकारी उपाध्यक्ष नील ब्रैडली ने एक बयान में कहा, “यह शुल्क अमेरिकी नियोक्ताओं के लिए वैश्विक प्रतिभा तक पहुंच को असंभव बना देगा. अमेरिकी अर्थव्यवस्था को अभी अधिक कुशल श्रमिकों की आवश्यकता है, कम की नहीं.”
इससे पहले 3 अक्टूबर को यूनियनों, शिक्षा क्षेत्र से जुड़े पेशेवरों और धार्मिक संगठनों ने भी कैलिफोर्निया की अदालत में ट्रंप प्रशासन के खिलाफ एक मुकदमा दायर किया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि यह नीति H-1B वीजा कार्यक्रम के आर्थिक लाभ को नजरअंदाज करती है और इसका औचित्य कहीं से भी उचित नहीं है.
वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने इस नीति का बचाव करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य अमेरिकी कंपनियों को विदेशी श्रमिकों पर निर्भरता कम करने के लिए मजबूर करना है. उन्होंने कहा, “जब कंपनियों को सरकार को $100,000 चुकाने पड़ेंगे, तो वे खुद अमेरिकी स्नातकों को प्रशिक्षित करेंगे.”
हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह शुल्क केवल नई H-1B वीजा आवेदन पर लागू होगा, मौजूदा वीजा धारकों पर नहीं. गौरतलब है कि 2024 में जारी कुल H-1B वीज़ाओं में से 70% भारतीय मूल के पेशेवरों को मिले थे, जिससे भारत पर इसका सबसे अधिक असर पड़ने की आशंका है.
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