Q2 नतीजों के प्रभाव में शेयर बाजार खुला कमजोर, IT सेक्टर में गिरावट से दबाव
भारतीय बाजार कमजोर शुरुआत के साथ खुले, Q2 नतीजों और US-China तनाव से प्रभावित, IT सेक्टर गिरा, सोना बढ़ा, कच्चा तेल गिरा, मिश्रित माहौल.

Published : October 17, 2025 at 9:33 AM IST
|Updated : October 17, 2025 at 12:15 PM IST
मुंबई: शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार कमजोर शुरुआत के साथ खुले. निवेशकों ने बड़ी कंपनियों जैसे इन्फोसिस, विप्रो और एटर्नल के दूसरे तिमाही (Q2) के नतीजों पर प्रतिक्रिया दी. इस बीच, एशियाई बाजारों में कमजोरी और अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते तनाव ने भी बाजार की नरमी में योगदान दिया. सुबह 9:20 बजे सेंसेक्स 103 अंक गिरकर 83,365 पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 33 अंक यानी 0.13% गिरकर 25,552 के स्तर पर था.
विशेषज्ञों ने कहा कि निफ्टी ने अपने नुकसान को सीमित करते हुए 25,550 के ऊपर बंद किया, जो एक मजबूत बुलिश सिग्नल माना जा रहा है. उन्होंने आगे बताया कि निफ्टी के लिए 25,500 और 25,400 समर्थन स्तर हैं, जबकि ऊपर की ओर 25,700 और 25,800 स्तर महत्वपूर्ण प्रतिरोध होंगे.
मार्केट में IT सेक्टर सबसे बड़ा दबाव देने वाला रहा. निफ्टी IT इंडेक्स में 1.13% की गिरावट दर्ज की गई. साथ ही फार्मा और PSU बैंक सेक्टर में भी हल्की कमजोरी देखी गई.
इन्फोसिस, एचसीएल टेक, एटर्नल, टेक महिंद्रा, पावर ग्रिड, कोटक महिंद्रा बैंक, ट्रेंट, टाटा स्टील, अल्ट्राटेक सीमेंट और ICICI बैंक जैसे बड़े शेयर गिरावट में रहे, जिनकी कीमतों में 3.5% तक की कमी आई.
दूसरी ओर, एशियन पेंट्स, टाटा मोटर्स, ITC, भारती एयरटेल, महिंद्रा एंड महिंद्रा और मारुति सुजुकी ने बढ़त बनाकर बाजार के नुकसान को कुछ हद तक कम किया. ये स्टॉक्स 0.3% से 3% तक उन्नति में रहे.
ब्रॉडर मार्केट में निफ्टी मिडकैप इंडेक्स 0.28% गिरा, जबकि निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स 0.10% की मामूली बढ़त के साथ बंद हुआ. विश्लेषकों ने कहा कि बाजार में अभी भी मजबूती बनी हुई है और तकनीकी स्तर पर यह मजबूत दिख रहा है. कई प्रमुख स्टॉक्स में शॉर्ट कवरिंग जारी है, जो बाजार को और नीचे गिरने से रोक रही है. बाजार में अभी भी बड़े शॉर्ट पोजीशन मौजूद हैं, लेकिन बढ़ती मजबूती भालुओं को दबाए रखने में मदद कर रही है.
इसके अलावा, सोने की कीमतों में रिकॉर्ड तेजी और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट भी बाजार के मूड पर असर डाल रही है. ब्रेंट क्रूड के लगभग 60 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आने से इंडियन इक्विटीज को नुकसान से कुछ हद तक राहत मिल सकती है.
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