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'संघीय ढांचे, राज्य के जांच के अधिकार का क्या होगा', TASMAC मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ED से पूछे सवाल

जांच एजेंसी ने TASMAC से जुड़े कई स्थानों पर छापेमारी की थी. यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत की गई थी.

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TASMAC मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ED से पूछे सवाल (ETV Bharat)
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By Sumit Saxena

Published : October 14, 2025 at 9:51 PM IST

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (TASMAC) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की जांच के सिलसिले में ईडी से कई सवाल पूछे.

यह मामला सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच के समक्ष आया. बेंच ने तमिलनाडु में शराब खुदरा घोटाले के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय को TASMAC के खिलाफ तलाशी, जब्ती या जांच सहित कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोकने वाले अंतरिम आदेश को बढ़ा दिया.

सुनवाई के दौरान, टीएएसएमएसी का प्रतिनिधित्व कर रहे सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि राज्य सतर्कता विभाग ने 2014-21 के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों पर शराब दुकान संचालकों के खिलाफ 47 प्राथमिकी दर्ज की थीं, लेकिन प्रवर्तन निदेशालय ने 2025 में प्रवेश किया और मुख्यालय पर छापा मारा और अधिकारियों के फोन और उपकरण ले लिए.

सिब्बल ने कहा कि, राज्य भ्रष्टाचार की जांच करेगा और भ्रष्टाचार की जांच करने वाला प्रवर्तन निदेशालय कौन होता है. इस पर ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी भ्रष्टाचार की जांच नहीं कर रही है और वह केवल मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है, तथा TASMAC बेबुनियाद आरोप लगा रही है.

ईडी के जवाबी हलफनामे का हवाला देते हुए, सिब्बल ने कहा कि यह दावा करना कि टीएएसएमएसी के क्षेत्रीय प्रबंधक तबादले के लिए रिश्वत ले रहे हैं, ईडी से क्या लेना-देना है. जिला प्रबंधकों और वरिष्ठ प्रबंधकों के अधिकारी उच्च-स्तरीय भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, इसका ईडी से क्या लेना-देना है.

सिब्बल ने कहा कि वे किसी क्षेत्रीय प्रबंधक या जिला अधिकारी के पास नहीं गए, और न ही वे शराब बनाने वाली कंपनियों में गए, बल्कि उन्होंने केवल कॉर्पोरेट कार्यालय पर छापा मारा. राजू ने कहा कि राज्य सतर्कता विभाग ने प्राथमिकी दर्ज की है, इसलिए, पूर्वगामी अपराध के अस्तित्व से इनकार नहीं किया जा सकता. बेंच को बताया गया कि ईडी की जांच में मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिले हैं और राज्य अधिकारियों को बचा रहा है.

मुख्य न्यायाधीश ने राजू से पूछा कि, संघीय ढांचे का क्या होगा. कानून-व्यवस्था को अपने अधिकार क्षेत्र में ही काम करना होगा. राजू ने कहा कि केंद्रीय एजेंसी को अपराध सिद्ध करने वाले अपराध मिले हैं. बेंच ने पूछा कि क्या ईडी की जांच राज्य के मामले की जांच करने के अधिकार का उल्लंघन नहीं करेगी. क्या यह राज्य के जांच के अधिकार का अतिक्रमण नहीं होगा.

बेंच ने आगे पूछा कि, हर मामले में, जब आपको पता चलता है कि राज्य मामले की जाँच नहीं कर रहा है, तो आप खुद जाकर जाँच करेंगे. राजू ने कहा कि भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए संघवाद की दलीलें दी जा रही हैं और कहा कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ है.

बेंच ने फिर पूछा, क्या राज्य की एजेंसियां इस मामले पर चुप हैं? बेंच को बताया गया कि राज्य ने कम समय में 37 एफआईआर बंद कर दी हैं और वे एक-एक करके एफआईआर बंद करके ईडी को रोकने की कोशिश कर रहे हैं.

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि, पिछले छह सालों में उन्हें ईडी के कई मामलों से निपटने का मौका मिला है. वह और कुछ नहीं कहना चाहते.पिछली बार जब उन्होंने कुछ कहा था तो उसकी हर जगह रिपोर्टिंग हुई थी.

इस साल 22 मई को, मुख्य न्यायाधीश की अगुवाई वाली एक बेंच ने कहा था कि ईडी देश के संघीय ढांचे का पूरी तरह से उल्लंघन कर रहा है और केंद्रीय एजेंसी सभी हदें पार कर रही है. साथ ही, TASMAC के खिलाफ ईडी की जांच और छापेमारी पर रोक लगा दी थी.

सुप्रीम कोर्ट ने आज 2022 के विजय मदनलाल चौधरी फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिकाओं पर फैसला आने के बाद मामले की सुनवाई स्थगित करने का फैसला किया. इस फैसले में गिरफ्तारी, तलाशी, ईसीआईआर आदि से संबंधित धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों को बरकरार रखा गया था.

TASMAC ने ईसीआईआर उपलब्ध न कराने का हवाला दिया था. विजय मदनलाल मामले में दिए गए फैसले में कहा गया था कि इसे पक्षकारों को देने की जरूरत नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह तीन जजों वाली बेंच के विजय मदनलाल मामले के फैसले से बंधा हुआ है. मुख्य न्यायाधीश ने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि, उन्हें नहीं पता कि इस पर कब फैसला होगा, पिछले तीन सालों से वह सुन रहे हैं कि पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई हो रही है. इस पर सिब्बल ने कहा कि वे पूरी कोशिश कर रहे हैं.

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