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'पुलिस थानों के पूछताछ कक्षों में CCTV कैमरे क्यों नहीं है', सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार से पूछा

अदालत ने 2018 में मानवाधिकारों के हनन को रोकने के लिए पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट (ANI)
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By Sumit Saxena

Published : October 14, 2025 at 10:08 PM IST

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को राजस्थान सरकार से सवाल पूछा कि पुलिस थानों के पूछताछ कक्षों में सीसीटीवी कैमरे क्यों नहीं लगाए गए हैं. अदालत ने कहा कि यह मानवाधिकार का सवाल है.

यह मामला जस्टिस विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की बेंच के समक्ष आया. पीठ पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरों की कमी से संबंधित एक स्वतः संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी. बेंच ने कहा कि पुलिस थाने का पूछताछ कक्ष वह 'मुख्य स्थान' है जहाँ सीसीटीवी कैमरे होने चाहिए.

बेंच ने कहा कि, आपके हलफनामे के अनुसार, पूछताछ कक्ष में कोई कैमरा नहीं है, जो कि मुख्य स्थान है जहां कैमरे होने चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीसीटीवी कैमरे लगाने में लागत तो आती है, लेकिन यह मानवाधिकार का सवाल है. साथ ही अदालत ने राज्य से पूछा कि निगरानी तंत्र के संबंध में उसका क्या प्रस्ताव है.

बेंच ने कहा कि फीड किसी केंद्रीकृत स्थान या एजेंसी को जानी चाहिए जहां निगरानी हो. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे की दलीलें भी सुनीं, जिन्हें एक अलग मामले में अदालत की सहायता के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया गया था, जिसमें शीर्ष अदालत ने दिसंबर 2020 में एक आदेश पारित किया था. उस आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और राष्ट्रीय जांच एजेंसी सहित जाँच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाने का निर्देश दिया था.

दवे ने बेंच को बताया कि उन्होंने मामले में एक अद्यतन रिपोर्ट दाखिल की है और इस बात पर जोर दिया कि एक निगरानी तंत्र की आवश्यकता है. बेंच ने केंद्र और अन्य राज्यों से न्यायमित्र द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की सुनवाई 24 नवंबर के लिए स्थगित कर दी.

4 सितंबर को, सुप्रीम कोर्ट ने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वतः संज्ञान लिया था, जिसमें कहा गया था कि 2025 के पहले आठ महीनों में राजस्थान में पुलिस हिरासत में 11 लोगों की जान चली गई, जिनमें से सात घटनाएं उदयपुर संभाग में हुईं. सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में मानवाधिकारों के हनन को रोकने के लिए पुलिस थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था.

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