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LTTE से जुड़े मामले की ट्रिब्यूनल में सुनवाई की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

याचिकाकर्ता विसुवनाथन रुद्रकुमारन के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल निर्वासित तमिल सरकार के प्रतिनिधि 'प्रधानमंत्री' हैं. इस पर पीठ ने कहा कि स्वघोषित.

Supreme Court rejects plea seeking to be heard by tribunal in case connected with LTTE
सुप्रीम कोर्ट (File)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : October 15, 2025 at 8:23 PM IST

3 Min Read
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जो तमिल ईलम की एक अंतरराष्ट्रीय सरकार का 'प्रधानमंत्री' होने का दावा करता है, तथा उसने लिट्टे (LTTE) को गैरकानूनी घोषित करने से संबंधित मामले में सुनवाई की मांग की थी.

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने मामले में सुनवाई की. सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता विसुवनाथन रुद्रकुमारन (Visuvanathan Rudrakumaran) के वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता निर्वासित तमिल सरकार के प्रतिनिधि 'प्रधानमंत्री' हैं. पीठ ने मामले पर विचार करने में अपनी अनिच्छा जताते हुए कहा, "स्वघोषित..."

वकील ने कहा कि रुद्रकुमारन लिट्टे के कानूनी सलाहकार थे और उन्होंने शांति प्रक्रिया में भाग लिया था. वकील ने तर्क दिया कि लिट्टे को एक गैरकानूनी संगठन घोषित करने वाली अधिसूचना कानूनी नहीं थी. वकील ने तर्क दिया कि सवाल यह है कि क्या किसी संबंधित पक्ष को, जिसके पास न्यायाधिकरण को देने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी है, सिर्फ इस आधार पर जानकारी देने से रोका जाना चाहिए कि वह एक विदेशी नागरिक है.

पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की थी कि याचिकाकर्ता लिट्टे का सदस्य नहीं था. वकील ने जोर देकर कहा कि अधिसूचना सीधे तौर पर याचिकाकर्ता को प्रभावित कर रही है.

पीठ ने कहा कि 1992 में सरकार ने अधिनियम के तहत लिट्टे को 'गैरकानूनी संगठन' घोषित किया था.

वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता ही वह व्यक्ति है जिसे तमिल ईलम की अवधारणा का ज्ञान है और न्यायाधिकरण को उसकी बात सुननी चाहिए. हालांकि, पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति देगी. वकील ने पीठ से अनुरोध किया कि वह उसे न्यायाधिकरण में जाने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति दे.

पीठ ने कहा, "याचिकाकर्ता के वकील ने निर्देश मिलने पर कहा कि याचिका को वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया जाए तथा याचिकाकर्ता के लिए कानून के तहत उपलब्ध अन्य उपाय अपनाने का विकल्प खुला छोड़ दिया जाए."

श्रीलंका में जन्मे और अब अमेरिका के निवासी रुद्रकुमारन ने दिल्ली उच्च न्यायालय के अक्टूबर 2024 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) न्यायाधिकरण के समक्ष कार्यवाही में पक्षकार बनने की उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी.

रुद्रकुमारन ने न्यायाधिकरण के 11 सितंबर, 2024 के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, जिसमें लिट्टे से संबंधित कार्यवाही में सुनवाई की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया गया था.

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