नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में गिरावट, वामपंथी उग्रवाद प्रभावित डिस्ट्रिक्ट भी कम हुए: गृह मंत्रालय
इस साल 312 वामपंथी कैडरों मारे गए हैं, जिनमें सीपीआई (माओवादी) महासचिव और आठ अन्य पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति के सदस्य शामिल हैं.

Published : October 15, 2025 at 6:52 PM IST
नई दिल्ली: चल रहे नक्सल विरोधी अभियानों में इसे एक बड़ी सफलता करार देते हुए गृह मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की संख्या 6 से घटाकर 3 कर दी गई है. इसी तरह वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की कैटेगरी में भी संख्या 18 से घटाकर सिर्फ 11 कर दी गई है.
गृह मंत्रालय ने कहा है कि बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर छत्तीसगढ़ के तीन जिले हैं, जो अब तक वामपंथी उग्रवाद (LWE) से सबसे अधिक प्रभावित हैं. गृह मंत्रालय ने कहा, "LWE प्रभावित जिलों की कैटेगरी में भी संख्या को 18 से घटाकर सिर्फ 11 कर दिया गया है. अब केवल 11 जिले वामपंथी उग्रवाद प्रभावित हैं."
312 वामपंथी कैडरों को मार गिराया
बता दें कि मोदी सरकार अगले साल 31 मार्च तक नक्सली समस्या को पूरी तरह खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है. मंत्रालय ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में, इस साल ऑपरेशनल सफलताओं ने पिछले सभी रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया है, जिसमें 312 वामपंथी कैडरों को मार गिराया गया है, जिनमें सीपीआई (माओवादी) महासचिव और आठ अन्य पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति के सदस्य शामिल हैं."
मंत्रालय ने बताया कि कम से कम 836 वामपंथी उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया है और 1639 आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में एक पोलित ब्यूरो सदस्य और एक सेंट्रल कमेटी सदस्य शामिल हैं.
मंत्रालय ने कहा, "केंद्र में मौजूदा शासन के दौरान नेशनल एक्शन प्लान और पॉलिसी के कठोर कार्यान्वयन के माध्यम से नक्सली खतरे से निपटने में अभूतपूर्व सफलता हासिल हुई है, जिसमें बहु-आयामी दृष्टिकोण की परिकल्पना की गई है."
नेशनल एक्शन प्लान और पॉलिसी
बता दें कि नेशनल एक्शन प्लान और पॉलिसी में सटीक खुफिया आधारित और लोगों के अनुकूल वामपंथी उग्रवाद विरोधी ऑपरेशन शामिल हैं. इन कदमों के साथ-साथ सिक्योरिटी वैक्यूम वाले क्षेत्रों पर तेजी से कब्जा करना, टॉप नेताओं के साथ-साथ जमीनी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना, नापाक विचारधारा का मुकाबला करना, बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास और कल्याणकारी योजनाओं की संतृप्ति, वित्त की कमी, राज्यों और केंद्र सरकारों के बीच समन्वय बढ़ाना और माओवादी से संबंधित मामलों की जांच और अभियोजन में तेजी लाना शामिल था.
मंत्रालय ने कहा, “2010 में तत्कालीन प्रधान मंत्री द्वारा भारत की सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती कहे जाने वाले नक्सलवाद अब स्पष्ट रूप से पीछे हट रहा है.”
उल्लेखनीय है कि नक्सलियों ने नेपाल के पशुपति से लेकर आंध्र प्रदेश के तिरूपति तक एक लाल गलियारे की योजना बनाई थी. 2013 में विभिन्न राज्यों के 126 जिलों में नक्सल-संबंधी हिंसा की सूचना मिली, मार्च 2025 तक यह संख्या गिरकर केवल 18 जिलों तक रह गई थी, केवल छह को सर्वाधिक प्रभावित जिलों के रूप में क्लासिफाइड किया गया था.
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