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भारत के खिलाफ जहर उगलने वाला अमेरिकी एक्सपर्ट टेलिस गिरफ्तार, चीन को भेजता था गुप्त जानकारी, परमाणु समझौते में भी था शामिल

भारत की निगेटिव इमेज बनाने वाला अमेरिकी एक्सपर्ट हुआ एक्सपोज. सबूत के साथ गिरफ्तार. मुंबई में हुआ था जन्म.

Ashley Tellis
एशले टेलिस, अमेरिकी एक्सपर्ट (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : October 15, 2025 at 7:21 PM IST

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Updated : October 15, 2025 at 8:51 PM IST

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नई दिल्ली/वाशिंगटन : भारत और द. एशियाई मामलों के अमेरिकी एक्सपर्ट एशले जे टेलिस को अमेरिकी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. भारत के खिलाफ वह बार-बार जहर उगलता था. इसी कारण से उसे डीप स्टेट का भी हिस्सा माना जाता था. वह कई वर्षों से अलग-अलग अमेरिकी राष्ट्रपतियों को भारत और द. एशियाई क्षेत्रों पर एडवाइस देता रहा है. उस व्यक्ति पर गोपनीय जनकारी को लीक करने का आरोप लगा है. उस पर चीन को गोपनीय जानकारी देने का आरोप लगा है. टेलिस जॉर्ज डब्लू बुश की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में भी कार्यरत था. टेलिस भारत-अमेरिका परमाणु समझौते की वार्ता में शामिल था.

टेलिस को भारतीय न्यूज चैनलों पर अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता था. लेकिन अब जो सच्चाई सामने आई है, उसने सबको सन्न कर दिया है. टेलिस के पास से अमेरिकी सामरिक और रक्षा संबंधित दस्तावेज बरामद किए गए हैं. वाशिंगटन की विदेश नीति संस्था में सम्मानित व्यक्ति, टेलिस वर्तमान में ‘कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ में एक वरिष्ठ फेलो है और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा एवं एशियाई सामरिक मुद्दों में विशेषज्ञता रखता है. इसने ट्रंप प्रशासन को भारत के खिलाफ खूब भड़काया. इसने यूएस प्रशासन को कंविंस किया कि भारत रूस और ईरान की ओर झुक रहा है. उसने ट्रंप को यह विश्वास दिलाया कि यदि भारत आगे बढ़ गया, तो दुनिया में एक और चीन पैदा हो सकता है, जो सीधे-सीधे अमेरिका को चुनौती दे सकता है.

भारतीय प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सन्याल ने इस घटना को डीप स्टेट से जोड़ा है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "एफबीआई को टेलिस के बारे में चाहे जो भी पता चले, हम भारतीयों को यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि वह कोई "विद्वान" नहीं, बल्कि एक डीप स्टेट एजेंट था. जांच इस बात पर है कि कौन सा डीप स्टेट है - अमेरिका या चीन."

द संडे गार्जियन की पत्रकार एटा ने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा है, "एशले टेलिस एक चीनी जासूस है. उसने अकेले ही अमेरिकी थिंक-टैंक के कई लोगों को भारत के खिलाफ भड़काया. अपने 2023 के लेख @ForeignAffairs में लिखा, "अमेरिका का भारत पर बुरा दांव". उसने फिर से द्वेषपूर्ण लेख लिखा, और कहा - भारत का महाशक्ति होना सच नहीं, बल्कि भ्रम है. अब हम जानते हैं कि क्यों."

इकोनॉमिक टाइम्स की पत्रकार सीमा सिरोही ने इसे चौंकाने वाला बताया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि अमेरिका बनाम एशले टेलिस मामले में एफबीआई के विशेष एजेंट जेफरी स्कॉट के पास कई साक्ष्य मौजूद हैं. जेफरी ने खुद कहा है कि अभी जो जानकारी सार्वजनिक है, उससे कहीं अधिक तथ्य मिले हैं. टेलिस को 2001 में विदेश विभाग और रक्षा विभाग में अपने काम के कारण शीर्ष सुरक्षा मंज़ूरी मिली थी. उन्होंने 2 अगस्त, 2001 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें "गोपनीय जानकारी के अनधिकृत प्रकटीकरण को प्रतिबंधित करने वाले कानूनों और नियमों का पालन करने पर सहमति व्यक्त की गई थी."

उन्होंने आगे लिखा, "एफबीआई द्वारा बताए गए उनके कार्यों से पता चलता है कि उन्होंने बुनियादी नियमों का उल्लंघन किया था. ऐसा लगता है कि टेलिस को विदेश विभाग और रक्षा विभाग, दोनों में क्लासिफाइड सामग्री तक पहुंच थी. उन दस्तावेजों को वह इमारत के बाहर भी ले गया. कुछ दिनों बाद उन्हें चीनी अधिकारियों के साथ डिनर करते भी देखा गया, जहां उनकी बातचीत सुनी गई. डिनर के लिए उनके द्वारा लाया गया एक मनीला लिफाफा रेस्टोरेंट से बाहर निकलते समय दिखाई नहीं दिया."

हलफनामे में 12 सितंबर, 2025 से टेलिस द्वारा विभिन्न गोपनीय दस्तावेज़ों को पढ़ने और प्रिंट करने के लिए दोनों इमारतों का दौरा करने का विवरण दिया गया है. एक मामले में, उन्होंने अमेरिकी वायु सेना की रणनीति, तकनीकों और प्रक्रियाओं से संबंधित एक दस्तावेज़ प्राप्त किया. टेलिस ने पिछले कई वर्षों में कई मौकों पर पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) के सरकारी अधिकारियों से मुलाकात की है. 15 सितंबर, 2022 को, कई पीआरसी सरकारी अधिकारियों और टेलिस ने फेयरफैक्स, वर्जीनिया के एक रेस्टोरेंट में रात्रि भोज किया. भोजन के दौरान, टेलिस और पीआरसी अधिकारियों को कभी-कभी ईरानी-चीनी संबंधों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहित उभरती तकनीकों के बारे में बात करते हुए सुना जा सकता था. भोजन समाप्त करने के बाद, समूह ने बातचीत जारी रखी और अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों पर बात करते हुए सुने गए.

वर्जीनिया के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय ने एक बयान में कहा, "वियना, वर्जीनिया निवासी 64 वर्षीय टेलिस को सप्ताहांत में वियना, वर्जीनिया में गिरफ्तार किया गया और उन पर राष्ट्रीय रक्षा जानकारी को अवैध रूप से रखने का आपराधिक आरोप लगाया गया."

अमेरिकी अटॉर्नी लिंडसे हॉलिगन ने कहा, "इस मामले में लगाए गए आरोप हमारे नागरिकों की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं." उन्होंने कहा कि कार्यालय ‘‘अमेरिकी लोगों को सभी विदेशी और घरेलू खतरों से बचाने पर पूरी तरह केंद्रित है.’’

बयान में कहा गया है कि अगर टेलिस को दोषी ठहराया जाता है, तो 10 साल तक की जेल, ढाई लाख अमेरिकी डॉलर तक का जुर्माना, 100 अमेरिकी डॉलर का विशेष मूल्यांकन और जब्ती का सामना करना पड़ सकता है.

टेलिस का जन्म 1961 में मुंबई के एक ईसाई परिवार में हुआ था. उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई से बीए और एमए की डिग्री हासिल की. ​​वे शिकागो विश्वविद्यालय से पीएचडी करने के लिए अमेरिका चले गए. उनकी पीएचडी थीसिस 'ड्राइव टू डोमिनेशन: टुवर्ड्स अ प्योर रियलिस्ट थ्योरी ऑफ पॉलिटिक्स' 1994 में प्रकाशित हुई. टेलिस रैंड कॉर्पोरेशन में सीनियर पॉलिसी एनालिस्ट और आरएएनडी ग्रेजुएट स्कूल में प्रोफ़ेसर थे. उन्होंने राष्ट्रीय एशियाई अनुसंधान ब्यूरो में सामरिक एशिया कार्यक्रम के अनुसंधान निदेशक और 2004 से कार्यक्रम के वार्षिक अंक के सह-संपादक के रूप में भी कार्य किया है.

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Last Updated : October 15, 2025 at 8:51 PM IST