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केंद्र ने लेह पुलिस फायरिंग की न्यायिक जांच के आदेश दिए, KDA ने सोनम वांगचुक समेत बंदियों की रिहाई की मांग की

गृह मंत्रालय ने 24 सितंबर को लेह शहर में हुई पुलिस कार्रवाई की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.

Centre Orders Judicial
गृह मंत्रालय लेह पुलिस फायरिंग की न्यायिक जांच के आदेश दिए (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : October 17, 2025 at 7:54 PM IST

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श्रीनगर: गृह मंत्रालय ने 24 सितंबर को लेह शहर में हुई पुलिस कार्रवाई की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. इस कार्रवाई में चार नागरिक मारे गए थे और 80 से ज्यागा लोग घायल हुए थे. इसको लेकर मंत्रालय ने शुक्रवार को अधिसूचना भी जारी की है.

नोटिफिकेशन में गृह मंत्रालय ने कहा कि लेह पुलिस स्टेशन में भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की कई धाराओं के तहत एक FIR दर्ज की गई है, जिसमें उकसाने, अपराध करने का प्रयास करने, चोट पहुंचाने और लोक सेवकों के काम में बाधा डालने से संबंधित प्रावधान शामिल हैं.

इस जांच का नेतृत्व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज (रिटायर) डॉ बीएस चौहान करेंगे. न्यायिक सचिव के रूप में रिटायर जिला औक सत्र न्यायाधीश मोहन सिंह परिहार और प्रशासनिक सचिव के रूप में आईएएस अधिकारी तुषार आनंद उनकी सहायता करेंगे.

मौतों के लिए जिम्मेदारी तय करेगा आयोग
अधिसूचना के अनुसार आयोग उन घटनाओं की सीरीज की जांच करेगा, जिनके कारण कानून-व्यवस्था बिगड़ी. इसके अलावा आयोग पुलिस की प्रतिक्रिया का आकलन करेगा और नागरिकों की मौतों के लिए जिम्मेदारी तय करेगा.

KDA ने जांच का स्वागत किया
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के नेता सज्जाद कारगिली ने सतर्कतापूर्वक जांच का स्वागत किया, लेकिन जोर देकर कहा कि इसके ठोस नतीजे निकलने चाहिए.

कारगिली ने कहा, "सरकार ने 24 सितंबर की लेह घटना की माननीय न्यायमूर्ति बीएस चौहान द्वारा न्यायिक जांच की अधिसूचना जारी कर दी है. हम इस कदम का स्वागत करते हैं." उन्होंने आगे कहा, "लेकिन न्याय सोनम वांगचुक सहित सभी बंदियों की रिहाई, पीड़ितों को मुआवजा, चिकित्सा सहायता, लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची के सुरक्षा उपाय के बिना अधूरा है."

जांच सही दिशा में कदम
कारगिली ने जोर देकर कहा कि हालांकि यह जांच सही दिशा में एक कदम है, लेकिन सरकार को उन मूल कारणों का भी समाधान करना चाहिए जिन्होंने जनता के गुस्से को भड़काया. उन्होंने कहा, "केवल जांच से विश्वास बहाल नहीं हो सकता जब तक कि उसके बाद जवाबदेही और लद्दाख की लंबे समय से लंबित मांगों को राजनीतिक मान्यता न मिले."

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