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Exclusive: WiFi को पीछे छोड़ देगा LiFi, प्रोफेसर हास ने समझाया कैसे रोशनी भेजेगी डेटा

LiFi एक तकनीक है जो लैंप या LED जैसी लाइट से इंटरनेट देती है, जो WiFi की तुलना में तेज़, सस्ती और सुरक्षित होती है.

LiFi डेटा को LED बल्बों से निकलने वाली रौशनी के माध्यम से प्रसारित करता है.
LiFi transmits data using light emitted by LED bulbs (फोटो क्रेडिट: Getty Images)
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By ETV Bharat Tech Team

Published : October 9, 2025 at 5:35 PM IST

9 Min Read
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सुरभी गुप्ता की रिपोर्ट

नई दिल्ली: आपने वाईफाई से इंटरनेशन कनेक्शन मिलने के बारे में सुना होगा, लेकिन अब भविष्य आप जल्द ही लाईफाई (LiFi) से इंटरनेट कनेक्शन मिलने के बारे में सुनना होगा. LiFi का फुल फॉर्म Light Fidelity है. इंटरनेट प्रोवाइड करने वाली यह नई टेक्नोलॉजी जल्द ही हमारे घरों में आने वाली है. आइए हम आपको इस नई टेक्नोलॉजी के बारे में बताते हैं.

India Mobile Congress 2025 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैम्ब्रिज स्थित LiFi Research and Development Centre के निदेशक प्रोफेसर हेराल्ड हास ने ETV Bharat को एक खास इंटरव्यू में बताया कि LiFi कैसे काम करता है, इसका WiFi से क्या फर्क है, और क्यों ये फ्यूचर की सबसे पावरफुल वायरलेस टेक्नोलॉजी बनने जा रही है.

LiFi मतलब क्या?

LiFi के जनक माने जाने वाले प्रो. हास एकदम सीधी भाषा में समझाया, "LiFi यानी लाइट के ज़रिए वायरलेस कम्युनिकेशन." उन्होंने बताया कि हम विज़िबल लाइट, इंफ्रारेड या यहां तक कि अल्ट्रावायलेट लाइट का यूज़ करते हैं ताकि बहुत हाई स्पीड से डेटा भेजा जा सके.ये टेक्नोलॉजी बल्ब, ट्यूबलाइट, या किसी भी लाइट सोर्स को एक तरह का हाई-स्पीड इंटरनेट हब बना देती है.

LED बल्ब बहुत तेज़ी से ऑन-ऑफ होते हैं, हर सेकंड लाखों बार ऑन-ऑफ किए जाते हैं. ये फ्लिकरिंग हमारी आंखों को दिखती नहीं, लेकिन उसी में डाटा सिग्नल्स छुपे होते हैं. रिसीवर डिवाइस (जैसे फोन या लैपटॉप में लगा ऑप्टिकल सेंसर) उन सिग्नल्स को पकड़ कर डेटा में बदल देती है.

प्रो. हास ने समझाया, “आपके डिवाइस का रिसीवर उन बदलावों को पकड़ता है और उन्हें डेटा स्ट्रीम में बदल देता है. यह सिंपल फिज़िक्स है, लेकिन एक ऐसे पैमाने पर लागू की जा रही है जो पूरी तरह अलग संभावनाएं खोल देती है.”

कैसे काम करता है LiFi?

LiFi सिस्टम में एक LED लाइट सोर्स होता है, जो LiFi राउटर से जुड़ा होता है. आप जैसे ही कुछ डाउनलोड करने की कोशिश करते हैं, वो डेटा लाइट की स्पीड से आपके डिवाइस तक पहुंचता है. रेडियो वेव्स के मुकाबले, लाइट का स्पेक्ट्रम 10,000 गुना ज्यादा चौड़ा होता है, इसलिए LiFi से डेटा ट्रांसफर स्पीड भी कई गुना ज्यादा मिलती है.

ऐसा कहा जाता है कि LiFi, WiFi की तुलना में अधिक सुरक्षित टेक्नोलॉजी है.
LiFi is said to be more secure than WiFi (फोटो क्रेडिट: Getty Images)

2017 में यूनिवर्सिटी ऑफ आइंडहोवन की एक स्टडी में तो 2017 में 42.8 Gbps की स्पीड रिकॉर्ड की गई थी और थ्योरी में तो 224 Gbps तक की स्पीड पॉसिबल है. यह इंटरनेट स्पीड इतनी ज्यादा है कि आप 1.5 GB की फिल्म बस कुछ मिलीसेकंड्स में डाउनलोड कर सकते हैं. इससे आप लाई-फाई से मिलने वाली इंटरनेट स्पीड का अंदाजा लगा सकते हैं.

हास ने आगे बताया, हमारी वर्तमान रिसर्च एक ही लाइट सोर्स से एक कमरे में टेराबिट-प्रति-सेकंड समेकित डेटा रेट प्राप्त करने पर फोकस है. हमने कई प्रयोग किए हैं और यूके में एक कंपनी PureLiFi लॉन्च की है, जिससे ये प्रोडक्ट मार्केट में लाए जा सकें. हालांकि, हॉस्पिटल्स, स्कूल्स और औद्योगिक वातावरणों में पहले से ही इसकी टेस्टिंग हो रही है.

WiFi से ज्यादा सेफ क्यों है LiFi?

अब लाई-फाई की सिक्योरिटी की बात करें तो WiFi के सिग्नल्स दीवारों के पार जा सकते हैं, कोई भी टेक्निकली स्मार्ट इंसान उसे हैक कर सकता है, लेकिन LiFi में ऐसा मुमकिन नहीं क्योंकि लाइट दीवारों के आर-पार नहीं जाती और इस कारण आपको इंटरनेट कनेक्शन भी दीवारों के पास नहीं जा सकती.

इसके बारे में हास बताते हैं, "अगर कोई बाहर से डेटा चुराना चाहे तो उसे बेहद सटीक एंगल, महंगी ऑप्टिक्स और परफेक्ट सेटअप चाहिए, जो प्रैक्टिकली पॉसिबल नहीं है.” इस कारण जहां सिक्योर डेटा चाहिए - जैसे हॉस्पिटल्स, डिफेंस, गवर्नमेंट ऑफिस, वहां के लिए LiFi बेस्ट ऑप्शन है."

हास ने आगे कहा, चाहे राष्ट्रीय सुरक्षा की बात हो, बौद्धिक संपदा के रक्षा की हो या कंपनी डेटा की, किसी भी तरह की संवेदनशील डेटा को सुरक्षित रखना काफी चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है. Kitefin XE ऐसी वायरलेस कम्युनिकेशन को संभव बनाएगा जो पहले संभव नहीं थी और कंपनियों को विश्वसनीय और सुरक्षित कनेक्टिविटी तैनात करने का नया तरीका देगा."

LiFi बनाम WiFi: कौन जीतेगा?

आज भले ही WiFi अधिक सामान्य वायरलेस स्टैंडर्ड है, LiFi एक नई और अधिक सटीक ऑप्शन बनकर उभर रहा है. लाई-फाई ज्यादा डिवाइसों बेहतर स्थिरता के साथ जोड़ता है, क्योंकि यह रेडियो वेव्स की तुलना में 10,000 गुना अधिक बैंडविड्थ ट्रांसमिट कर सकता है.

इसके अलावा लागत और स्थिरता के नज़रिए से, LiFi सिस्टम का निर्माण करना WiFi से 10 गुना सस्ता हो सकता है, क्योंकि इसमें कम पार्ट्स और कम एनर्जी की जरूरत होती है. LiFi वही LED लाइट्स इस्तेमाल करता है जो हम पहले ही इस्तेमाल करते हैं.

इसके बारे में प्रोसेसर हास ने बताया, “LiFi 6G के साथ बहुत खूबसूरती से मेल खाता है, 6G वो नेटवर्क है जिसे हम बना रहे हैं, जो तेज़ होगा, लचीला होगा और कार्बन न्यूट्रल भी होगा. LiFi इन सभी पहलुओं को पूरा करता है, और आपके नेटवर्क को और बेहतर, तेज़ और पर्यावरण की दृष्टि से अच्छा होगा."

  • WiFi से सब वाकिफ हैं, लेकिन अब जो फ्यूचर आ रहा है, उसमें LiFi ज्यादा एफिशिएंट और सस्टेनेबल साबित हो रहा है.
  • WiFi रेडियो फ्रीक्वेंसी पर काम करता है, जो आजकल बहुत भीड़भाड़ वाली हो गई है.
  • LiFi को रेडियो इंटरफेरेंस की टेंशन नहीं, क्योंकि वो लाइट से चलता है.
  • LiFi, WiFi के मुकाबले 10 गुना कम खर्चीला है.
  • आपको अलग से राउटर या कोई स्पेशल डिवाइस लगाने की जरूरत नहीं, बस बल्ब से ही काम चल जाएगा.

कार्बन-न्युट्रल भविष्य की ओर कदम

प्रोफेसर हास ने आगे बताया कि LiFi टेक्नोलॉजी एकदम उसी दिशा में आगे बढ़ रही है, जिस दिशा में वर्ल्ड टेक्नोलॉजी भी आगे बढ़ रही है. अब दुनिया ऐसी टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ रही है, जो पर्यावरण के लिओए सुरक्षित हो और उर्जा की बचत करने वाली हो. उनका कहना है कि,

जब आप शन्यू-उर्जा या कार्बन-न्युट्रल कम्यूनिकेशन के बारे में सोचते हैं, लाई-फाई स्वाभाविक रूप से फिट बैठता है. वही एलईडी जो लाइट देता है, वही डेटा भी भेज सकता है. आपको अलग राउटर या और एनर्जी सोर्स की जरूरत नहीं, बस लाइट की काफी है."

इसके अलावा उन्होंने भविष्य की एक झलक भी दिखाई जिसमें सारी हाई-टेक चीजें जैसे होलोग्राफिक डिस्प्ले, AR/VR ऐप्स, और 4K-8K जैसी अल्ट्रा-HD वीडियो स्ट्रीमिंग लाइट यानी रोशनी से चलेंगी, क्योंकि “होलोग्राफिक 3D डिस्प्ले जैसी टेक्नोलॉजी के लिए आपको दस या सैकड़ों गीगाबिट प्रति सेकंड की डेटा दर चाहिए होती है. रेडियो स्पेक्ट्रम इसे संभाल नहीं सकता, लेकिन विज़िबल लाइट ऐसा कर सकता है.”

इसका मतलब ये है कि आने वाले समय में जिन टेक्नोलॉजी को चलाने के लिए बहुत ज़्यादा स्पीड की ज़रूरत होगी, उन्हें WiFi नहीं बल्कि LiFi ही सपोर्ट कर पाएगा,क्योंकि लाइट के ज़रिए डेटा बहुत तेज़ी से भेजा जा सकता है, जितना रेडियो वेव्स यानी वाई-फाई के जरिए संभव नहीं है.

एयरपोर्ट से लेकर एयरक्राफ्ट तक: LiFi की असली दुनिया में एंट्री

लाईफाई सिर्फ लैब या रिसर्च तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह दुनिया के कई देशों में अलग-अलग सेक्टर्स में ट्रायल के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. ऑफिसों में ऐसी लाइट्स लगाई जा रही हैं, जो सिर्फ रोशनी नहीं देतीं, बल्कि हाई-स्पीड इंटरनेट का भी जरिया बनती है.

एयरलाइंस कंपनियां भी इस टेक्नोलॉजी को फ्लाइट के अंदर डेटा ट्रांसफर के जरिए आज़मा रही है. वहीं, एयरपोर्ट्स हॉस्पिटल्स और शहरों के कुछ हिस्सों में इसका ट्रायल भी चल रहा है, ताकि एक साथ बहुत सारे लोग सुरक्षित और तेज कनेक्शन का फायदा उठा सके.

LiFi अभी कई जगह ट्रायल में है:

  • एयरपोर्ट्स में यूज़र मैनेजमेंट
  • हॉस्पिटल्स में बिना इंटरफेरेंस वाले कम्युनिकेशन
  • एयरक्राफ्ट्स में इन-फ्लाइट डेटा सिस्टम
  • ऑफिसेस में हाई-स्पीड इंटरनेट सेटअप

एक ग्लोबल मार्केट रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2028 तक LiFi इंडस्ट्री का बाज़ार करीब 36 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. इसकी ग्रोथ रेट 71.2% सालाना, जो हैरान कर देने वाली है. इस पूरे बदलाव में एशिया-पैसिफिक रीजन, खासतौर पर भारत, सबसे आगे रहने वाला है.

चैलेंज क्या है?

हर टेक्नोलॉजी की तरह LiFi के सामने भी कुछ चुनौतियां हैं:

सबसे बड़ी लिमिटेशन ये है कि लाइट का डायरेक्ट कनेक्शन चाहिए यानी लाइट और रिसीवर के बीच में कोई ऑब्जेक्ट नहीं होना चाहिए. हालांकि, इस प्रॉब्लम का भी सॉल्यूशन निकाला जा रहा है. LiFi-WiFi हाइब्रिड सिस्टम्स पर काम चल रहा है, जो खुद-ब-खुद नेटवर्क शिफ्ट कर सकें.

हास ने कहा, "कनेक्टिविटी ये तय करती है कि समाज कैसे आगे बढ़ेगा. LiFi के ज़रिए हम इस कनेक्टिविटी को अब रोशनी की दुनिया तक ले जा रहे हैं. ये तेज़ है, ज़्यादा सेफ है, पर्यावरण के लिए बेहतर है और इसकी कोई सीमा नहीं है. इसका मतलब है कि अब भविष्य रौशन होने वाला है."

इंडिया की ताकत और टैलेंट

प्रो. हास इंडिया की डिजिटल जर्नी देखकर काफी इंप्रेस हुए. IMC 2025 में उन्होंने कहा, “भारत में जो डिजिटल एनर्जी है, वो दुनिया में कहीं नहीं है.” उन्होंने ये भी बताया कि उनकी कंपनी pureLiFi पहले से ही IITs और दूसरे इंडियन रिसर्च इंस्टीट्यूट्स के साथ मिलकर काम कर रही है. उन्होंने कहा, “मुझे पूरा यकीन है कि इंडिया इस टेक्नोलॉजी को जल्दी अपनाएगा और यहां से ही ग्लोबल इनोवेशन की लहर चलेगी."

लाइट से चलेगा नेटवर्क – फ्यूचर है ब्राइट!

LiFi कोई काल्पनिक कॉन्सेप्ट नहीं है—ये अगला बड़ा इंटरनेट रिवॉल्यूशन है, जो शायद आपके कमरे की लाइट से शुरू हो सकता है. आने वाले फ्यूचर में जल्द ही वो दिन आएगा, जब राउटर की जगह आपके बल्ब से इंटरनेट चलेगा.

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