लखनऊ: प्रदेश की कामकाजी महिलाओं की सहूलियत के लिए योगी सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है. यूपी के तीन प्रमुख जिलों में वूमेन हॉस्टलों का निर्माण होने जा रहा है. इससे इन कामकाजी महिलाओं को खासी राहत मिलेगी. यूपी में कुल 8 हॉस्टलों के निर्माण होने हैं. हर हॉस्टल में 500 महिलाओं के रहने की व्यवस्था होगी. इस लिहाज से कुल 4000 महिलाओं की रहने की व्यवस्था होगी. हालांकि निर्माण की डेडलाइन की जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है.
कुल 8 हॉस्टल का होगा निर्माणः सीएम मीडिया सेल से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक स्पेशल असिस्टेंस टू स्टेट्स फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट (SASCI) योजना के तहत उत्तर प्रदेश में कुल 08 वर्किंग वूमेन हॉस्टल्स को मंजूरी दी गई है. इन छात्रावासों में प्रत्येक की क्षमता 500 महिलाओं की होगी.
कहां-कहां होगा हॉस्टल का निर्माण: योगी सरकार की ओर से हॉस्टलों का निर्माण लखनऊ, गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद में किया जाएगा.
निर्माण पर प्रस्तावित खर्च कितनाः इस परियोजना के लिए कुल 381.56 करोड़ रुपए का बजट प्रस्तावित किया गया है. केंद्र सरकार द्वारा इनमें से 251.8296 करोड़ रुपए की पहली किस्त जारी कर दी गई है. यह राशि राज्य के वित्त विभाग द्वारा महिला कल्याण विभाग को हस्तांतरित कर दी गई है.
निर्माण एजेंसी को किया गया नामितः छात्रावासों के निर्माण के लिए निर्माण एजेंसी को नामित कर दिया गया है. जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होने की संभावना है, जिससे प्रदेश की कामकाजी महिलाओं को आवास संबंधी बड़ी राहत मिलेगी.
सभी जिलों में खुलेंगे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यालय
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पुनर्गठन की आवश्यकता जताई है. उन्होंने कहा है कि 1995 में गठन के बाद से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गतिविधियों, क्षेत्र, कार्यप्रकृति में व्यापक परिवर्तन आ चुका है. बदलते समय की आवश्यकताओं के दृष्टिगत इनमें बदलाव किया जाना चाहिए.बुधवार को उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश के 75 ज़िलों में 28 क्षेत्रीय कार्यालय हैं. इन्हें 18 मंडलों पर पुनर्गठित किया जाए, साथ ही, प्रत्येक जनपद में एक-एक कार्यालय स्थापित किया जाए. उन्होंने कहा कि जिन मंडलों में औद्योगिक गतिविधियां अधिक हैं, वहां एक से अधिक क्षेत्रीय कार्यालय बनाये जा सकते हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि नए दौर की पर्यावरणीय चुनौतियों के समुचित समाधान के लिए बोर्ड में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, तरल अपशिष्ट प्रबंधन, हैजार्ड्स वेस्ट, ई-वेस्ट, बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन सेल का गठन किया जाए. इसी प्रकार, लोकशिकायत निवारण के लिए अनुसंधान एवं विकास संबंधी अध्ययन के लिए, पर्यावरणीय जन-जागरूकता तथा प्रकाशन आईटी तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग में विशेष यूनिट का गठन भी किया जाना चाहिए. इससे बोर्ड की प्रभावशीलता पर सकारात्मक असर पड़ेगा.बैठक में मुख्यमंत्री ने उद्योगों से संबंधित अनापत्ति आवेदन (सीटीओ/सीटीई) निस्तारण के समय को और कम करने की जरूरत पर बल दिया. उन्होंने कहा कि लाल, नारंगी तथा हरी श्रेणी के लिए अनापत्ति आवेदन का निस्तारण 120 दिनों में किया जा रहा है. इसे क्रमशः अभी 40, 25 और 10 दिनों में किया जाना चाहिए. इस संबंध में आवश्यक तंत्र विकसित करें.
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