बूंदी : आज 18 मई को विश्व संग्रहालय दिवस के रूप में मनाया जा रहा है. बूंदी में भी ऐतिहासिक जैत सागर झील स्थित सुख महल के पास ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करते हुए पुरातत्व विभाग की ओर से संग्रहालय बनाया हुआ है. सांस्कृतिक पर्यटन प्रकोष्ठ अध्यक्ष भंवर त्रिभुवन सिंह हाड़ा बताते हैं कि सुख महल का निर्माण राव राजा विष्णु सिंह (1773-1821) ने अपने दीवान सुखराम की देखरेख में 1776 में करवाया था, इसलिए इसका नाम सुख महल पड़ा. यह जैत सागर झील के किनारे स्थित है, जिससे ऐसा लगता है कि इसकी नींव पानी के नीचे है. इसे कुछ शानदार मूर्तियों और विशिष्ट बूंदी कला के साथ डिजाइन किया गया है.
प्राचीन लेखों और चित्रों का संग्रह : उन्होंने बताया कि सुख महल का मुख्य आकर्षण एक सफेद संगमरमर की छतरी है. महल की दूसरी मंजिल की छत पर एक अद्भुत छतरी है. इस महल के बारे में एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि इसे पुराने महल से एक छिपी हुई भूमिगत सुरंग के माध्यम से जोड़ा गया है, जो किसी भी हमले के मामले में राजा और उसके राज्य के अन्य लोगों के लिए सुरक्षित थी. हाड़ा बताते हैं कि संग्रहालय में प्राचीन लेखों और चित्रों का संग्रह है. यहां 8वीं और 9वीं शताब्दी की मूर्तियां मौजूद हैं. इसके अलावा यहां पाषाण काल के उपकरण, ताम्र पाषाण काल, उत्तर पाषाण काल की धातुएं भी मौजूद हैं.
बूंदी और कोटा शैली के लघुचित्र, मूर्तियां और अस्त्र-शस्त्र : राजकीय संग्रहालय में पुरातत्व विभाग के सीनियर सुपरिटेंडेंट जगदीश वर्मा बताते हैं कि इस संग्रहालय में हाड़ौती क्षेत्र की पाषाण प्रतिमाएं, बूंदी और कोटा शैली के लघुचित्र और अस्त्र-शस्त्र प्रदर्शित हैं. मूर्तिकला खण्ड में तपस्यारत पार्वती, दुर्गा, नाग-युग्म, नरवराह, अग्नि व अनल वसु और लोकजीवन से संबंधित मूर्तियां उल्लेखनीय हैं. चित्रकला खण्ड में कोटा व बूंदी शैली के लघुचित्रों में मुख्यतः कृष्णलीला, राजपुरुष, नायक-नायिका व शिकार के दृश्यों के चित्र संयोजित किए गए हैं. अस्त्र-शस्त्र दीर्घा में पाषाण उपकरण, तीर-तुक्के, ढाल-तलवार विभिन्न प्रकार की बंदूकें पिस्टल, रिवालवर, भाले आदि को विषयवार शोकेसों में रखे गए हैं. प्रदर्शित कुछ हथियार कला के उत्कृष्ट नमूने माने जा सकते हैं. इस दीर्घा में बूंदी क्षेत्र से मिले हस्तकुठार, कोर, कलेवर, लघुपाषाण उपकरण, ताम्रकुल्हाड़ी व छैनी को एक पृथक शोकेस में संयोजित किया गया है.


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संग्रहालय हमारी धरोहर, हमारी विरासत : भारतीय संस्कृति निधि इंटेक के संयोजक एडवोकेट राजकुमार दाधीच ने विश्व संग्रहालय दिवस पर लोगों को बधाई देते हुए कहा कि यह संग्रहालय हमारी धरोहर और विरासत है. ये हमारी शिक्षा का माध्यम और इतिहास भी है. दाधीच ने बताया कि विश्व संग्रहालय दिवस पूरे विश्व में मनाया जाता है. यह दिवस मनाने का उद्देश्य यह है कि जो जनजातियां, जो इतिहास और जो विरासत समाप्त हो रही है, उनको बचाया जाए. इनको एक जगह एकत्रित करके लोगों को इनकी जानकारी दी जाए. यह संग्रहालय रोजगार का साधन भी है, स्थानीय अर्थ व्यवस्था को बढ़ाने में संग्रहालय महत्व पूर्ण भूमिका निभाता है. पर्यटन को आगे बढ़ाता है. दाधीच कहते हैं कि इस वर्ष भारतीय संस्कृति निधि इंटेक विश्व संग्रहालय दिवस पर बदल रहा है. समुदाय से संग्रहालय का भविष्य थीम पर विचार गोष्ठी आयोजित करेगा.

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बिखरी हुई पूरा संपदाओं को यहां संग्रहित किया जाए : पुरातत्व जानकार सर्वदमन शर्मा ने बताया कि पुरातत्व महत्व के बहुत स्थल बूंदी में हैं. इसी वजह से बूंदी को जाना जाता है. यहां संपदाओं को कोई कमी नहीं है, लेकिन हमें महसूस होता है कि जो आसपास बिखरी हुई पूरा संपदा है, उनको चिन्हित करके यहां संग्रहालय में लाना चाहिए. शर्मा ने कहा कि जो चौक चौराहों पर तोप लगाई हुई है, उन्हें भी यहां संग्रहालय में रखा जाना चाहिए. यहां पर्यटक देखने आएंगे. सर्वदमन शर्मा ने सरकार से मांग भी की है कि जो संग्रहालय का समय तय किया है उसे बढ़ाना चाहिए. सुबह 7 से शाम 7 बजे तक इसका समय किया जाना चाहिए, ताकि गर्मियों के दिनों में शाम सुबह आने वाले पर्यटकों को संग्रहालय निहारने का मौका मिले.
