जयपुर: विश्व होम्योपैथी दिवस हर साल 10 अप्रैल को मनाया जाता है. ये दिन होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के संस्थापक और जनक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन को श्रद्धांजलि देने और होम्योपैथी और होम्योपैथी से ठीक हुए लोगों, दोनों के लिए मनाया जाता है.
10 अप्रैल से 16 अप्रैल तक विश्व होम्योपैथी सप्ताह प्रतिवर्ष मनाया जाता है और इसका आयोजन विश्व होम्योपैथी जागरूकता संगठन द्वारा किया जाता है. होम्योपैथी की अच्छी चिकित्सा सुविधा होने के बाद भी आज भी लोगों में होम्योपैथी को लेकर विश्वास नहीं है. क्या हैं इसके कारण, किस तरह के असाध्य रोग हुए ठीक ? देखिये इस खास रिपोर्ट में...
विश्व होम्योपैथी दिवस मनाने का उद्देश्य : होम्योपैथी एक्सपर्ट डॉ. आकाश बताते हैं कि होम्योपैथी को लेकर अधिक से अधिक जागरूकता बड़े और रोगी इस उपचार का उपयोग करे, इसको लेकर 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है. यह दिन जर्मन चिकित्सक डॉ. क्रिश्चियन फ्राइडरिक सैमुअल हैनीमैन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, हैनीमैन को होम्योपैथी नामक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति का जनक माना जाता है. होम्योपैथी एक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति है जो इस सिद्धांत पर आधारित है कि "समान दवा समान रोग को ठीक करती है".
डॉ. आकाश बताते हैं कि होम्योपैथी बीमारी को दबाती नहीं है, बल्कि खत्म करती है. बीमारी को जड़ से नष्ट करने का काम करती है. होम्योपैथी बीमारी के लक्षणों को पहचान कर जड़ से नष्ट करती है. इसका मतलब है कि बीमारी पैदा करने वाले पदार्थ को कमजोर और पतला करके दवा के रूप में दिया जाता है, जिससे शरीर खुद को ठीक कर सके.

होम्योपैथी में हर बीमारी का इलाज सम्भव है. डॉ. आकाश बताते हैं कि होम्योपैथी में ऐसी कोई बीमारी नहीं, जिसका उपचार नहीं है, फिर चाहे खोई हुई आंखों की रोशनी वापस लाने में कारगर रहने की बात हो या फिर कैंसर जैसे बीमारी को खत्म करने की. सही तरीके से लिया गया होम्योपैथी का उपचार शत प्रतिशत कारगर होता है. ऐसे कई उदाहरण भी हमारे सबके सामने हैं. होम्योपैथिक दवाएं प्राकृतिक पदार्थों, जैसे कि पौधों, जानवरों और खनिजों से बनाई जाती हैं.
असाध्य रोग ठीक हुए : डॉ. आकाश बताते है की होम्योपैथी को लेकर समाज में अलग तरह की धारणा बनी हुई है. लोगों को लगता है कि होम्योपैथी से उपचार में देरी होती और परिणाम भी अच्छे नहीं आते, लेकिन ये सब गलत धारणा है. बड़ी संख्या उन मरीज हैं, जिन्होंने पहले दूसरी चकित्सा पद्धति से बीमारी को ठीक करने की कोशिश की, लेकिन वहां उसका सही उपचार नहीं हुई. जिसकी वजह से मरीज संतुष्ट नहीं हुआ. सालों दवा खाने के बाद भी जब बीमारी से राहत नहीं मिलती, उस बीमारी को होम्योपैथी के जरिए महज एक से दो महीने ठीक किया गया, फिर कैसे कह सकते हैं कि होम्योपैथी स्लो पद्धति है ?

डॉ. आकाश बताते है कि कुछ भ्रांतियां हैं, जिसकी वजह से गलत धारणा बन जाती है. कई ऐसी बीमारी रही है जिसका इलाज दूसरी चिकित्सा पद्धति से सम्भव नहीं हुआ और होम्योपैथी से बहुत तेजी से रिकवर हुआ. इसी होम्योपैथी से असाध्य रोगों को ठीक किया है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है. होम्योपैथी उपचार बहुत आसान और आरामदायक है, बस इस पर विश्वास करने की जरूरत है.
सुनीता की आंखों की रोशनी लौटी : होम्योपैथी उपचार के जरिए खोई हुई आंखों की रोशनी फिर से पाने वाली सुनीता बताती हैं कि शुगर की बीमारी के चलते उनकी धीरे-धीरे आंखों की रोशनी चली गई. बिल्कुल आंखों से देखना पूरी तरीके से बंद हो गया. जब डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने ऑपरेशन का सुझाव दिया और उसमें भी उन्होंने इस बात की गारंटी लेने से इंकार कर दिया कि ऑपरेशन के बाद भी आंखों की रोशनी वापस लौट आएगी.

ऐसे में उनको किसी परिचित ने होम्योपैथी से इलाज करने की सलाह दी और वह होम्योपैथी पर विश्वास करके उपचार लिया. उसका नतीजा रहा कि 2 महीने में उनकी आंखों की रोशनी वापस धीरे-धीरे लौटने लगी है. जिन आंखों से उन्हें बिल्कुल कुछ दिखाई नहीं देता था, अब वह हल्का-हल्का देखने लगी हैं. अपना स्वयं का काम खुद कर लेती हैं.
उन्होंने बताया कि होम्योपैथिक उपचार से उनकी आंखों की रोशनी वापस लौटना उनके लिए किसी चमत्कार से काम नहीं है, क्योंकि वह अन्य चिकित्सा पद्धति से उपचार करा कर थक चुकी थीं और उसकी आंखों की रोशनी के वापस लौटने का विश्वास खत्म हो चुका था.