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एक साइकिल, 7 साल और नई जिंदगी...जानिए लोकेश अग्रवाल ने कैसे पाई बीमारियों पर जीत - WORLD BICYCLE DAY

लोकेश अग्रवाल की बीमारियों पर जीत असाधारण है. एक ऐसा सफर, जिसने उनकी सेहत को जिंदा किया. देखिए विश्व साइकिल दिवस पर ये रिपोर्ट...

Treatment by Bicycle
साइकिल से पाई बीमारियों पर जीत (ETV Bharat Bharatpur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : June 3, 2025 at 1:40 PM IST

3 Min Read

भरतपुर: शहर के व्यापारी लोकेश अग्रवाल की सुबहें कभी दवाइयों से शुरू होती थीं. हाई बीपी, शुगर, थायरॉयड, मोटापा और कोलेस्ट्रॉल. एक नहीं, कई बीमारियों ने उन्हें घेर लिया था. डॉक्टरों की चेतावनी ने जब उन्हें झकझोरा, तो उन्होंने अपनी जिंदगी की सबसे साधारण, लेकिन सबसे प्रभावशाली चीज उठाई, साइकिल.

बस यहीं से शुरू हुआ एक ऐसा सफर, जिसने न सिर्फ उनकी सेहत को फिर से जिंदा किया, बल्कि उन्हें सैकड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्तंभ भी बना दिया. सात साल, एक लाख किलोमीटर और एक अटूट दिनचर्या ने दवाइयों पर उनकी निर्भरता खत्म कर दी और उन्हें लौटा दी एक नई, ऊर्जावान जिंदगी.

Treatment by Bicycle
दोस्तों के साथ लोकेश अग्रवाल (ETV Bharat Bharatpur)

दवाओं की गिरफ्त से साइकिल की राह तक : 53 वर्षीय लोकेश अग्रवाल ने बताया कि आज से सात साल पहले उनका जीवन आधुनिक जीवनशैली की सबसे आम त्रासदी से गुजर रहा था. तनाव, अनियमित दिनचर्या और बिल्कुल भी एक्सरसाइज नहीं. कम उम्र में ही मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, थायरॉयड और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों ने उन्हें जकड़ लिया था.

उन्होंने बताया कि हर दिन कई दवाइयां लेनी पड़ती थीं. डॉक्टरों ने साफ शब्दों में कह दिया था कि जीवनशैली नहीं बदली तो हालात गंभीर हो सकते हैं. यहीं से उन्होंने फैसला लिया जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने का, वो भी साइकिल की पटरी पर.

साइकिल बनी जिंदगी की नई शुरुआत : लोकेश अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2018 में उन्होंने पहली बार साइकिल को गंभीरता से अपनाया. सुबह जल्दी उठना, साइकिल पर निकल जाना और धीरे-धीरे दूरी बढ़ाना. यही उनकी दिनचर्या बन गई. शुरुआत में 10-15 किलोमीटर चलता था, फिर एक दिन 50, कभी 100 किलोमीटर भी चलाने लगा.

साइकिल चलाने से शरीर का हर हिस्सा एक्टिव रहने लगा. सिर्फ एक साल में उन्होंने महसूस किया कि शरीर में बदलाव आने लगे हैं. 2019 में नियमित जांच के बाद चिकित्सकों ने बताया कि उनका बीपी, शुगर और कोलेस्ट्रॉल लेवल सामान्य हो चुका है. यहां तक कि 15 साल से चल रही बीपी की दवाएं भी बंद कर दी गईं.

पढ़ें : सुबोध ने पर्यावरण के लिए छोड़ी नौकरी, 7 राज्यों में 33 हजार किमी साइकिल से सफर, 1 लाख पौधे लगाने का है लक्ष्य - CYCLE YATRA TO MOUNT EVEREST

वजन घटा, ऊर्जा बढ़ी : लोकेश अग्रवाल ने बताया कि साइकिलिंग की इस यात्रा ने इन्हें एक और तोहफा दिया, वजन घटाने का. उन्होंने बताया कि 2018 में उनका वजन 92 किलो था, अब लगातार साइकिलिंग से यह घटकर 68 किलो रह गया है. यही वजह है कि 53 वर्ष की उम्र के बावजूद वो आज हर दिन 50 से 100 किमी तक साइकिल चलाते हैं और पूरी तरह ऊर्जावान भी बने रहते हैं.

एक प्रेरणा से बना पूरा क्लब : लोकेश अग्रवाल की यह मेहनत केवल उनकी व्यक्तिगत कहानी नहीं रही. उनका बदलाव देखकर कई लोग प्रेरित हुए. धीरे-धीरे उनके साथ और लोग जुड़ते गए और 'भरतपुर साइकिल क्लब' का जन्म हुआ. उन्होंने बताया कि आज हमारे क्लब में पंकज, नवीन पराशर, अनूप मंगल और जीवन जैन समेत 80 से ज्यादा लोग नियमित साइकिल चलाते हैं. इन सात वर्षों में लोकेश अकेले 1 लाख किलोमीटर से ज्यादा साइकिल चला चुके हैं. क्लब के बाकी सदस्य भी हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर चुके हैं.

भरतपुर: शहर के व्यापारी लोकेश अग्रवाल की सुबहें कभी दवाइयों से शुरू होती थीं. हाई बीपी, शुगर, थायरॉयड, मोटापा और कोलेस्ट्रॉल. एक नहीं, कई बीमारियों ने उन्हें घेर लिया था. डॉक्टरों की चेतावनी ने जब उन्हें झकझोरा, तो उन्होंने अपनी जिंदगी की सबसे साधारण, लेकिन सबसे प्रभावशाली चीज उठाई, साइकिल.

बस यहीं से शुरू हुआ एक ऐसा सफर, जिसने न सिर्फ उनकी सेहत को फिर से जिंदा किया, बल्कि उन्हें सैकड़ों लोगों के लिए प्रेरणा का स्तंभ भी बना दिया. सात साल, एक लाख किलोमीटर और एक अटूट दिनचर्या ने दवाइयों पर उनकी निर्भरता खत्म कर दी और उन्हें लौटा दी एक नई, ऊर्जावान जिंदगी.

Treatment by Bicycle
दोस्तों के साथ लोकेश अग्रवाल (ETV Bharat Bharatpur)

दवाओं की गिरफ्त से साइकिल की राह तक : 53 वर्षीय लोकेश अग्रवाल ने बताया कि आज से सात साल पहले उनका जीवन आधुनिक जीवनशैली की सबसे आम त्रासदी से गुजर रहा था. तनाव, अनियमित दिनचर्या और बिल्कुल भी एक्सरसाइज नहीं. कम उम्र में ही मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, थायरॉयड और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों ने उन्हें जकड़ लिया था.

उन्होंने बताया कि हर दिन कई दवाइयां लेनी पड़ती थीं. डॉक्टरों ने साफ शब्दों में कह दिया था कि जीवनशैली नहीं बदली तो हालात गंभीर हो सकते हैं. यहीं से उन्होंने फैसला लिया जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने का, वो भी साइकिल की पटरी पर.

साइकिल बनी जिंदगी की नई शुरुआत : लोकेश अग्रवाल ने बताया कि वर्ष 2018 में उन्होंने पहली बार साइकिल को गंभीरता से अपनाया. सुबह जल्दी उठना, साइकिल पर निकल जाना और धीरे-धीरे दूरी बढ़ाना. यही उनकी दिनचर्या बन गई. शुरुआत में 10-15 किलोमीटर चलता था, फिर एक दिन 50, कभी 100 किलोमीटर भी चलाने लगा.

साइकिल चलाने से शरीर का हर हिस्सा एक्टिव रहने लगा. सिर्फ एक साल में उन्होंने महसूस किया कि शरीर में बदलाव आने लगे हैं. 2019 में नियमित जांच के बाद चिकित्सकों ने बताया कि उनका बीपी, शुगर और कोलेस्ट्रॉल लेवल सामान्य हो चुका है. यहां तक कि 15 साल से चल रही बीपी की दवाएं भी बंद कर दी गईं.

पढ़ें : सुबोध ने पर्यावरण के लिए छोड़ी नौकरी, 7 राज्यों में 33 हजार किमी साइकिल से सफर, 1 लाख पौधे लगाने का है लक्ष्य - CYCLE YATRA TO MOUNT EVEREST

वजन घटा, ऊर्जा बढ़ी : लोकेश अग्रवाल ने बताया कि साइकिलिंग की इस यात्रा ने इन्हें एक और तोहफा दिया, वजन घटाने का. उन्होंने बताया कि 2018 में उनका वजन 92 किलो था, अब लगातार साइकिलिंग से यह घटकर 68 किलो रह गया है. यही वजह है कि 53 वर्ष की उम्र के बावजूद वो आज हर दिन 50 से 100 किमी तक साइकिल चलाते हैं और पूरी तरह ऊर्जावान भी बने रहते हैं.

एक प्रेरणा से बना पूरा क्लब : लोकेश अग्रवाल की यह मेहनत केवल उनकी व्यक्तिगत कहानी नहीं रही. उनका बदलाव देखकर कई लोग प्रेरित हुए. धीरे-धीरे उनके साथ और लोग जुड़ते गए और 'भरतपुर साइकिल क्लब' का जन्म हुआ. उन्होंने बताया कि आज हमारे क्लब में पंकज, नवीन पराशर, अनूप मंगल और जीवन जैन समेत 80 से ज्यादा लोग नियमित साइकिल चलाते हैं. इन सात वर्षों में लोकेश अकेले 1 लाख किलोमीटर से ज्यादा साइकिल चला चुके हैं. क्लब के बाकी सदस्य भी हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर चुके हैं.

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