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विश्व बैंक, एएफडी, एनसीडीसी और झारखंड मत्स्य विभाग पहुंची तिलैया डैम, केज कल्चर गतिविधियों का किया निरीक्षण - WORLD BANK TEAM INSPECTED

हजारीबाग के तिलैया जलाशय का विश्व बैंक, एएफडी, एनसीडीसी और झारखंड मत्स्य विभाग की टीम ने निरीक्षण किया. साथ ही किसानों से भी संवाद किया.

WORLD BANK TEAM INSPECTED
मत्स्य पालकों से बात करती निरीक्षण टीम (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 17, 2025 at 10:11 PM IST

2 Min Read

हजारीबाग: जिले के बरही अनुमंडल अंतर्गत तिलैया जलाशय विश्व बैंक, एएफडी, एनसीडीसी और झारखंड राज्य मत्स्य विभाग की टीम पहुंंची. तिलैया डैम स्थित बुंडू में संचालित केज कल्चर गतिविधियों का टीम द्वारा निरीक्षण किया गया. टीम का नेतृत्व विश्व बैंक के वरिष्ठ मत्स्य उद्योग मानक विशेषज्ञ जूलियन मिलियन ने किया. एएफडी से मिस ऑर्फी सिलार्ड और निधि बत्रा, भारत सरकार से आईए सिद्धिकी और नेशनल फिशरीज डेवलपमेंट बोर्ड से मासूम वहीद शामिल थे.

इस भ्रमण का उद्देश्य प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (PMMKSY) की प्रगति का मूल्यांकन करना और मत्स्य किसानों की आर्थिक स्थिति का आकलन करना था. यह गतिविधि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट योजना के अंतर्गत चिह्नित की गई है. जिसके माध्यम से स्थानीय मत्स्य कृषकों को आर्थिक रूप से सशक्त और तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जा रहा है.

World Bank Team Inspected
तिलैया डैम के केज कल्चर का निरीक्षण करती टीम (ईटीवी भारत)
टीम ने जलाशय में लगे केजों की संरचना, प्रबंधन, उत्पादन प्रणाली और किसानों की भागीदारी का गहन अवलोकन किया. निरीक्षण के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने मत्स्य कृषकों से सीधा संवाद भी किया. निरीक्षण टीम के सामने किसानों ने अपनी चुनौतियां साझा करते हुए राज्य में स्थानीय स्तर पर उन्नत मत्स्य बीज उत्पादन इकाई और हाईटेक फीड निर्माण इकाई की आवश्यकता पर बल दिया है. किसानों का कहना है इससे उनके उत्पादन लागत में कमी आएगी और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन होगा. जिससे राज्य के मत्स्य क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा.


टीम ने किसानों की मांगों को सुना और उन्हें आश्वस्त किया कि इस दिशा में राज्य और केंद्र स्तर पर समन्वित प्रयास किए जाएंगे. अधिकारियों ने किसानों को आधुनिक तकनीकों के उपयोग, स्वच्छता, केज रख रखाव और संगठित विपणन प्रणाली के माध्यम से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन भी दिया. हजारीबाग की उपायुक्त नैंसी सहाय के नेतृत्व में जिला प्रशासन द्वारा योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन, कृषक समन्वय और निगरानी तंत्र की टीम ने विशेष रूप से सराहना की.

World Bank Team Inspected
किसानों से बात करती वर्ल्ड बैंक की टीम (ईटीवी भारत)

प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि झारखंड में जलाशय आधारित मत्स्य पालन की अपार संभावनाएं हैं. निरीक्षण टीम ने कहा कि अगर इन्हें वैज्ञानिक ढंग से संचालित किया जाए, तो यह ग्रामीण युवाओं के लिए एक स्थायी और लाभकारी स्वरोजगार का माध्यम बन सकता है.

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इस भ्रमण का उद्देश्य प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (PMMKSY) की प्रगति का मूल्यांकन करना और मत्स्य किसानों की आर्थिक स्थिति का आकलन करना था. यह गतिविधि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना और जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट योजना के अंतर्गत चिह्नित की गई है. जिसके माध्यम से स्थानीय मत्स्य कृषकों को आर्थिक रूप से सशक्त और तकनीकी रूप से सक्षम बनाया जा रहा है.

World Bank Team Inspected
तिलैया डैम के केज कल्चर का निरीक्षण करती टीम (ईटीवी भारत)
टीम ने जलाशय में लगे केजों की संरचना, प्रबंधन, उत्पादन प्रणाली और किसानों की भागीदारी का गहन अवलोकन किया. निरीक्षण के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने मत्स्य कृषकों से सीधा संवाद भी किया. निरीक्षण टीम के सामने किसानों ने अपनी चुनौतियां साझा करते हुए राज्य में स्थानीय स्तर पर उन्नत मत्स्य बीज उत्पादन इकाई और हाईटेक फीड निर्माण इकाई की आवश्यकता पर बल दिया है. किसानों का कहना है इससे उनके उत्पादन लागत में कमी आएगी और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन होगा. जिससे राज्य के मत्स्य क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा.


टीम ने किसानों की मांगों को सुना और उन्हें आश्वस्त किया कि इस दिशा में राज्य और केंद्र स्तर पर समन्वित प्रयास किए जाएंगे. अधिकारियों ने किसानों को आधुनिक तकनीकों के उपयोग, स्वच्छता, केज रख रखाव और संगठित विपणन प्रणाली के माध्यम से अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन भी दिया. हजारीबाग की उपायुक्त नैंसी सहाय के नेतृत्व में जिला प्रशासन द्वारा योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन, कृषक समन्वय और निगरानी तंत्र की टीम ने विशेष रूप से सराहना की.

World Bank Team Inspected
किसानों से बात करती वर्ल्ड बैंक की टीम (ईटीवी भारत)

प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि झारखंड में जलाशय आधारित मत्स्य पालन की अपार संभावनाएं हैं. निरीक्षण टीम ने कहा कि अगर इन्हें वैज्ञानिक ढंग से संचालित किया जाए, तो यह ग्रामीण युवाओं के लिए एक स्थायी और लाभकारी स्वरोजगार का माध्यम बन सकता है.

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