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लखनऊ में निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए अधिकारियों का दावा फुस्स, RDSS योजना के तहत अब तक पूरा न हो पाया कार्य - LUCKNOW NEWS

परिषद अध्यक्ष का कहना है कि आरडीएसएस के तहत हुए कामों में घटिया क्वालिटी के उपकरण लगाये गए हैं.

विद्युत वितरण निगम लिमिटेड लखनऊ
विद्युत वितरण निगम लिमिटेड लखनऊ (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : June 16, 2025 at 5:59 PM IST

5 Min Read

लखनऊ: प्रचंड गर्मी में निर्बाध बिजली आपूर्ति देने के लिए लखनऊ विद्युत संपूर्ति प्रशासन (लेसा) में रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत जून 2024 से काम चल रहा है. आरडीएसएस योजना के तहत बिजली आपूर्ति उपकरणों को अपग्रेड करना था. अधिकारियों का दावा है कि 90 फीसदी से ज्यादा काम हो चुका है, लेकिन उनका यह दावा फुस्स हो गया है. आरडीएसएस के तहत कामों में घटिया गुणवत्ता के उपकरण लगाये गए हैं. यही वजह है कि आपूर्ति की डिमांड बढ़ते ही पूरी व्यवस्था चौपट हो गई है.

बिजली संकट का मुख्य कारण आरडीएसएस योजना के तहत कामों का पूरा न हो पाना है, साथ ही जो काम हुए भी हैं उनमें दोयम दर्जे की सामग्री का इस्तेमाल हुआ है. एरियल बंच कंडक्टर (एबीसी केबल) लगातार लोड बढ़ने के चलते जल जा रही हैं, जिससे खूब आपूर्ति बाधित हो रही है. घटिया क्वालिटी की केबल को लेकर शुरुआत से ही सवाल खड़े हो रहे हैं. कई वितरण निगमों में घटिया क्वालिटी की केबल सप्लाई के चलते कंपनियों को ब्लैकलिस्ट तक किया गया है. बावजूद इसके अभी भी घटिया केबल का ही इस्तेमाल हो रहा है, जिससे बिजली की समस्याएं कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं.

वहीं, केबल फॉल्ट आदि की घटनाओं पर उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता परिषद ने बड़ा आरोप लगाया है. परिषद अध्यक्ष का कहना है कि आरडीएसएस के तहत हुए कामों में घटिया क्वालिटी के उपकरण लगाये गए हैं. यही वजह है कि आपूर्ति की डिमांड बढ़ते ही पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो रही है.

अवधेश कुमार वर्मा: अध्यक्ष उपभोक्ता परिषद (Video Credit: ETV Bharat)
आरडीएसएस योजना के तहत ट्रांसफॉर्मर का लोड बढ़ाने, उपकेंद्रों की ओवरलोडिंग कम करने, बिजली चोरी रोकने के लिए एबीसी केबल बिछाने का काम किया जा रहा है. लखनऊ समेत प्रदेश के कई और बड़े शहरों को गर्मियों तक नो-ट्रिपिंग जोन बनाने की योजना बनाई गई थी. पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन ने इंजिनियरों की बैठक लेते हुए नो ट्रिपिंग जोन बनाने के लिए सभी जरूरी काम फरवरी तक पूरा करने के निर्देश दिए थे, जिससे गर्मियों के दौरान होने वाले बिजली संकट से निजात मिल सके. गर्मी प्रचंड रूप धारण कर चुकी है, लेकिन काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है. लेसा के अफसरों ने दावा किया है कि सबसे ज्यादा काम इंदिरानगर, फैजुल्लागंज, अहिवरनपुर, आशियाना क्षेत्रों में हुए हैं. गोमतीनगर, अमीनाबाद, चौक के कई ऐसे इलाके हैं, जहां काम बाकी है. अधिकारी दावे तो जल्द काम पूरा होने के कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यही है कि गर्मी खत्म हो जाएगी काम तब भी पूरे न हो पाएंगे.
कॉल सेंटर पर खूब बढ़ रहीं शिकायतें: बिजली आपूर्ति की बेहाल व्यवस्था का असर कॉल सेंटर पर पड़ रहा है. 1912 पर पिछले एक सप्ताह में प्रतिदिन 10 हजार से ज्यादा कॉल रिकॉर्ड की गई हैं. उपभोक्ताओं का आरोप है कि कॉल सेंटर से मदद नहीं मिल रही है. उदयगंज निवासी नीरज शुक्ला ने बताया कि उनके यहां देर शाम बिजली गई और पूरी रात नहीं आई. मदद के लिए 1912 पर करीब 25 बार कॉल की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. स्थानीय जेई को फोन किया तो नंबर पर कॉल ही नहीं मिली. उन्होंने बताया कि तीन घंटे में ही उनका इन्वर्टर भी डिस्चार्ज हो गया. सोशल मीडिया से पता चला कि अंडरग्राउंड केबल फॉल्ट है..अधिकारी सही से सूचना भी नहीं दे रहे हैं. सही सूचना नहीं देने या समस्या का समाधान न होने पर मुआवजे का विकल्प तो है लेकिन क्लेम करना ही टेढ़ी खीर है.



मुआवजे के लिए ऐसे कर सकते हैं दावा

  • 1912 पर कॉल करें.
  • शिकायत संख्या मिलने पर तय समय के अंदर समाधान नहीं होता है तो दोबारा 1912 पर ही कॉल कर मुआवजा के लिये दावा करें.
  • दावे के बाद रेफरेंस नंबर मिलेगा. इसी के साथ ही आपकी मुआवजा की प्रक्रिया शुरू होगी.

क्या है मुआवजे का नियम

  • अधिकतम 60 दिन में मुआवजा मिलेगा.
  • उपभोक्ता को एक वित्तीय वर्ष में उसके फिक्स चार्ज या डिमांड चार्ज के 30 प्रतिशत से अधिक का मुआवजा नहीं मिलेगा.
  • उदाहरण के तौर पर एक किलोवाट का उपभोक्ता अगर महीने में 100 रुपये प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज देता है तो उसका पूरे साल का फिक्स चार्ज 1200 रुपये हुआ, ऐसे में एक वित्तीय वर्ष में उसे अधिकतम 360 रुपये का मुआवजा ही मिलेगा.

उपभोक्ता परिषद ने लगाए गंभीर आरोप: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आरडीएसएस के तहत हो रहे कार्यों पर सवाल खड़े किये हैं. उन्होंने कहा कि इसे लेकर मंशा पहले से ही गलत थी. टेंडर में भी विवाद हुआ था. इसके तहत जो भी उपकरण लगाये गए हैं, वो घटिया क्वालिटी के हैं. यही वजह है कि लोड बढ़ते ही ये ध्वस्त हो रहे हैं. इसकी उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए. उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहने की जरूरत है. बिजली कटौती पर उनको मुआवजा जरूर मांगना चाहिए.

यह भी पढ़ें: नियामक आयोग का कोरम अधूरा, नहीं दे सकते निजीकरण पर अभिमत, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का बड़ा बयान

यह भी पढ़ें: बिजली निजीकरण; यूपी में 29 मई को होने वाला बिजलीकर्मियों का कार्य बहिष्कार स्थगित, प्रदर्शन रहेगा जारी

लखनऊ: प्रचंड गर्मी में निर्बाध बिजली आपूर्ति देने के लिए लखनऊ विद्युत संपूर्ति प्रशासन (लेसा) में रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत जून 2024 से काम चल रहा है. आरडीएसएस योजना के तहत बिजली आपूर्ति उपकरणों को अपग्रेड करना था. अधिकारियों का दावा है कि 90 फीसदी से ज्यादा काम हो चुका है, लेकिन उनका यह दावा फुस्स हो गया है. आरडीएसएस के तहत कामों में घटिया गुणवत्ता के उपकरण लगाये गए हैं. यही वजह है कि आपूर्ति की डिमांड बढ़ते ही पूरी व्यवस्था चौपट हो गई है.

बिजली संकट का मुख्य कारण आरडीएसएस योजना के तहत कामों का पूरा न हो पाना है, साथ ही जो काम हुए भी हैं उनमें दोयम दर्जे की सामग्री का इस्तेमाल हुआ है. एरियल बंच कंडक्टर (एबीसी केबल) लगातार लोड बढ़ने के चलते जल जा रही हैं, जिससे खूब आपूर्ति बाधित हो रही है. घटिया क्वालिटी की केबल को लेकर शुरुआत से ही सवाल खड़े हो रहे हैं. कई वितरण निगमों में घटिया क्वालिटी की केबल सप्लाई के चलते कंपनियों को ब्लैकलिस्ट तक किया गया है. बावजूद इसके अभी भी घटिया केबल का ही इस्तेमाल हो रहा है, जिससे बिजली की समस्याएं कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं.

वहीं, केबल फॉल्ट आदि की घटनाओं पर उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता परिषद ने बड़ा आरोप लगाया है. परिषद अध्यक्ष का कहना है कि आरडीएसएस के तहत हुए कामों में घटिया क्वालिटी के उपकरण लगाये गए हैं. यही वजह है कि आपूर्ति की डिमांड बढ़ते ही पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो रही है.

अवधेश कुमार वर्मा: अध्यक्ष उपभोक्ता परिषद (Video Credit: ETV Bharat)
आरडीएसएस योजना के तहत ट्रांसफॉर्मर का लोड बढ़ाने, उपकेंद्रों की ओवरलोडिंग कम करने, बिजली चोरी रोकने के लिए एबीसी केबल बिछाने का काम किया जा रहा है. लखनऊ समेत प्रदेश के कई और बड़े शहरों को गर्मियों तक नो-ट्रिपिंग जोन बनाने की योजना बनाई गई थी. पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन ने इंजिनियरों की बैठक लेते हुए नो ट्रिपिंग जोन बनाने के लिए सभी जरूरी काम फरवरी तक पूरा करने के निर्देश दिए थे, जिससे गर्मियों के दौरान होने वाले बिजली संकट से निजात मिल सके. गर्मी प्रचंड रूप धारण कर चुकी है, लेकिन काम अब तक पूरा नहीं हो पाया है. लेसा के अफसरों ने दावा किया है कि सबसे ज्यादा काम इंदिरानगर, फैजुल्लागंज, अहिवरनपुर, आशियाना क्षेत्रों में हुए हैं. गोमतीनगर, अमीनाबाद, चौक के कई ऐसे इलाके हैं, जहां काम बाकी है. अधिकारी दावे तो जल्द काम पूरा होने के कर रहे हैं, लेकिन हकीकत यही है कि गर्मी खत्म हो जाएगी काम तब भी पूरे न हो पाएंगे.
कॉल सेंटर पर खूब बढ़ रहीं शिकायतें: बिजली आपूर्ति की बेहाल व्यवस्था का असर कॉल सेंटर पर पड़ रहा है. 1912 पर पिछले एक सप्ताह में प्रतिदिन 10 हजार से ज्यादा कॉल रिकॉर्ड की गई हैं. उपभोक्ताओं का आरोप है कि कॉल सेंटर से मदद नहीं मिल रही है. उदयगंज निवासी नीरज शुक्ला ने बताया कि उनके यहां देर शाम बिजली गई और पूरी रात नहीं आई. मदद के लिए 1912 पर करीब 25 बार कॉल की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. स्थानीय जेई को फोन किया तो नंबर पर कॉल ही नहीं मिली. उन्होंने बताया कि तीन घंटे में ही उनका इन्वर्टर भी डिस्चार्ज हो गया. सोशल मीडिया से पता चला कि अंडरग्राउंड केबल फॉल्ट है..अधिकारी सही से सूचना भी नहीं दे रहे हैं. सही सूचना नहीं देने या समस्या का समाधान न होने पर मुआवजे का विकल्प तो है लेकिन क्लेम करना ही टेढ़ी खीर है.



मुआवजे के लिए ऐसे कर सकते हैं दावा

  • 1912 पर कॉल करें.
  • शिकायत संख्या मिलने पर तय समय के अंदर समाधान नहीं होता है तो दोबारा 1912 पर ही कॉल कर मुआवजा के लिये दावा करें.
  • दावे के बाद रेफरेंस नंबर मिलेगा. इसी के साथ ही आपकी मुआवजा की प्रक्रिया शुरू होगी.

क्या है मुआवजे का नियम

  • अधिकतम 60 दिन में मुआवजा मिलेगा.
  • उपभोक्ता को एक वित्तीय वर्ष में उसके फिक्स चार्ज या डिमांड चार्ज के 30 प्रतिशत से अधिक का मुआवजा नहीं मिलेगा.
  • उदाहरण के तौर पर एक किलोवाट का उपभोक्ता अगर महीने में 100 रुपये प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज देता है तो उसका पूरे साल का फिक्स चार्ज 1200 रुपये हुआ, ऐसे में एक वित्तीय वर्ष में उसे अधिकतम 360 रुपये का मुआवजा ही मिलेगा.

उपभोक्ता परिषद ने लगाए गंभीर आरोप: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आरडीएसएस के तहत हो रहे कार्यों पर सवाल खड़े किये हैं. उन्होंने कहा कि इसे लेकर मंशा पहले से ही गलत थी. टेंडर में भी विवाद हुआ था. इसके तहत जो भी उपकरण लगाये गए हैं, वो घटिया क्वालिटी के हैं. यही वजह है कि लोड बढ़ते ही ये ध्वस्त हो रहे हैं. इसकी उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए. उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहने की जरूरत है. बिजली कटौती पर उनको मुआवजा जरूर मांगना चाहिए.

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