लखनऊ: प्रचंड गर्मी में निर्बाध बिजली आपूर्ति देने के लिए लखनऊ विद्युत संपूर्ति प्रशासन (लेसा) में रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत जून 2024 से काम चल रहा है. आरडीएसएस योजना के तहत बिजली आपूर्ति उपकरणों को अपग्रेड करना था. अधिकारियों का दावा है कि 90 फीसदी से ज्यादा काम हो चुका है, लेकिन उनका यह दावा फुस्स हो गया है. आरडीएसएस के तहत कामों में घटिया गुणवत्ता के उपकरण लगाये गए हैं. यही वजह है कि आपूर्ति की डिमांड बढ़ते ही पूरी व्यवस्था चौपट हो गई है.
बिजली संकट का मुख्य कारण आरडीएसएस योजना के तहत कामों का पूरा न हो पाना है, साथ ही जो काम हुए भी हैं उनमें दोयम दर्जे की सामग्री का इस्तेमाल हुआ है. एरियल बंच कंडक्टर (एबीसी केबल) लगातार लोड बढ़ने के चलते जल जा रही हैं, जिससे खूब आपूर्ति बाधित हो रही है. घटिया क्वालिटी की केबल को लेकर शुरुआत से ही सवाल खड़े हो रहे हैं. कई वितरण निगमों में घटिया क्वालिटी की केबल सप्लाई के चलते कंपनियों को ब्लैकलिस्ट तक किया गया है. बावजूद इसके अभी भी घटिया केबल का ही इस्तेमाल हो रहा है, जिससे बिजली की समस्याएं कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं.
वहीं, केबल फॉल्ट आदि की घटनाओं पर उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता परिषद ने बड़ा आरोप लगाया है. परिषद अध्यक्ष का कहना है कि आरडीएसएस के तहत हुए कामों में घटिया क्वालिटी के उपकरण लगाये गए हैं. यही वजह है कि आपूर्ति की डिमांड बढ़ते ही पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो रही है.
मुआवजे के लिए ऐसे कर सकते हैं दावा
- 1912 पर कॉल करें.
- शिकायत संख्या मिलने पर तय समय के अंदर समाधान नहीं होता है तो दोबारा 1912 पर ही कॉल कर मुआवजा के लिये दावा करें.
- दावे के बाद रेफरेंस नंबर मिलेगा. इसी के साथ ही आपकी मुआवजा की प्रक्रिया शुरू होगी.
क्या है मुआवजे का नियम
- अधिकतम 60 दिन में मुआवजा मिलेगा.
- उपभोक्ता को एक वित्तीय वर्ष में उसके फिक्स चार्ज या डिमांड चार्ज के 30 प्रतिशत से अधिक का मुआवजा नहीं मिलेगा.
- उदाहरण के तौर पर एक किलोवाट का उपभोक्ता अगर महीने में 100 रुपये प्रति किलोवाट फिक्स चार्ज देता है तो उसका पूरे साल का फिक्स चार्ज 1200 रुपये हुआ, ऐसे में एक वित्तीय वर्ष में उसे अधिकतम 360 रुपये का मुआवजा ही मिलेगा.
उपभोक्ता परिषद ने लगाए गंभीर आरोप: उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आरडीएसएस के तहत हो रहे कार्यों पर सवाल खड़े किये हैं. उन्होंने कहा कि इसे लेकर मंशा पहले से ही गलत थी. टेंडर में भी विवाद हुआ था. इसके तहत जो भी उपकरण लगाये गए हैं, वो घटिया क्वालिटी के हैं. यही वजह है कि लोड बढ़ते ही ये ध्वस्त हो रहे हैं. इसकी उच्चस्तरीय जांच की जानी चाहिए. उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग रहने की जरूरत है. बिजली कटौती पर उनको मुआवजा जरूर मांगना चाहिए.
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