रांची: आधार से बैंक खाता लिंक नहीं रहने के बावजूद मार्च 2025 तक की मंईयां सम्मान योजना की राशि महिला लाभुकों को देने का निर्णय हवा हवाई साबित हो रहा है. राज्य सरकार ने मंईयां सम्मान योजना के तहत महिला लाभुकों को ईद और सरहुल से पहले लंबित तीन महीने का एकमुश्त भुगतान करने का निर्णय पिछले दिनों लिया था. इसके बावजूद महिलाओं के खाते में पैसे नहीं आ रहे हैं. ऐसे में मंईयां सम्मान योजना की राशि पाने के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं अंचल कार्यालय का चक्कर लगाने को विवश हैं.
कई लाभुकों को तीन माह की राशि नहीं मिली
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना हेमंत सरकार की प्रायोरिटी प्रोजेक्ट है. इस योजना के तहत हर महीने महिलाओं के खाते में 2500 रुपये दिए जाने का प्रावधान है.विधानसभा चुनाव के वक्त इस योजना की शुरुआत की गई थी. जनवरी से मार्च तक की मंईयां सम्मान योजना की राशि लंबित रही. हालांकि राशि के भुगतान के लिए प्रक्रिया होली के वक्त शुरू की गई थी. लेकिन विभिन्न कारणों से 18 लाख लाभुकों के नाम छांट दिए गए. बाद में सरकार ने सभी लाभुकों को मार्च तक भुगतान करने का निर्णय लिया.
मंईयां सम्मान योजना की जमीनी हकीकत
ईद और सरहुल की छुट्टी के बाद जैसे ही गुरुवार 3 अप्रैल को सरकारी कार्यालय खुला महिलाओं की भीड़ अंचल कार्यालय में जुटने लगी. सदर अंचल कार्यालय में तो दोपहर की चिलचिलाती धूप में महिलाएं कतारबद्ध होकर घंटों खड़ी रहीं. सरकारी कार्यालय के बाबू से भोली-भाली यह महिलाएं सिर्फ इतना जानना चाह रहीं थी कि मेरे खाते में पैसा क्यों नहीं आये हैं. कई बार अंचल कार्यालय, बैंक और आंगनबाड़ी सेविका के यहां चक्कर लगा चुकी इन महिलाओं की नाराजगी साफ झलक रही थी.
लाभुकों ने साझा की परेशानी
महिलाओं ने ईटीवी भारत के साथ अपनी परेशानी साझा की. महिलाओं ने साफ कहा कि सरकार के अधिकारी कुछ भी साफ-साफ नहीं बताते हैं कि आखिर पैसा मिलेगा या नहीं. कई बार अंचल कार्यालय से आश्वासन पाकर निराश हो चुकीं सिमरन एक बार फिर मंईयां सम्मान योजना की राशि के बारे में जानने के लिए अंचल कार्यालय पहुंचीं थीं. उन्होंने बताया कि उन्हें हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिलता है, लेकिन पैसे बंद होने का कारण नहीं बताया जा रहा है.

इसी तरह प्रिया वर्णवाल कहती हैं कि कभी बैंक में पैसा भेजे जाने की बात कही जाती है तो कभी आधार से खाता लिंक नहीं होने की बात कही जाती है. ऐसे में मेरी जैसी महिलाएं कार्यालय का चक्कर काटते-काटते थक चुकी हैं. वहीं हिंदपीढ़ी निवासी साहिस्ता बताती हैं कि पिछले 3 महीना से मंईयां सम्मान योजना की राशि नहीं मिली है. जबकि शुरुआत के तीन महीने उन्हें राशि मिली थी. उन्होंने कहा कि आखिर किस कारण से हमें पैसा नहीं मिल रहा है इसकी जानकारी देने वाला कोई नहीं है. जाहिर तौर पर मेरे जैसी कई ऐसी महिलाएं हैं जो अब सरकारी कार्यालय आना छोड़ दी हैं.
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