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उत्तराखंड में बुरांश की बहार, पौड़ी में महिलाओं को मालामाल कर रहा ये हिमालयी फूल - EMPLOYMENT FROM BURANSH

पौड़ी गढ़वाल में ग्रामोत्थान परियोजना बुरांश के फूलों से बना रही है अनेक उत्पाद, महिलाओं को मिल रहा है आर्थिक लाभ

EMPLOYMENT FROM BURANSH
पौड़ी गढ़वाल में बुरांश की बहार (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : April 8, 2025 at 12:51 PM IST

Updated : April 8, 2025 at 1:38 PM IST

5 Min Read

पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में इस बार बुरांश का फूल अधिक मात्रा में हुआ है. ऐसे में पौड़ी के जंगलों में बर्बाद हो रहे बुरांश को आजीविका से जोड़ने के लिए सीडीओ पौड़ी ने प्रयास किए हैं. मुख्य विकास अधिकारी पौड़ी की ओर से जंगलों में अधिक मात्रा में हुए बुरांश को एकत्र करने वाली महिलाओं को आमदनी कराई जा रही है. साथ ही महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को इसका जूस, जैम और अचार बनाने को कहा गया है.

बुरांश का फूल बना आजीविका का साधन: बुरांश के फूलों को व्यावसायिक स्तर पर उपयोग में लाने के लिये जिले में एक विशेष कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. इस पहल के माध्यम से स्थानीय स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाया गया है. कार्यक्रम के अंतर्गत जिन क्षेत्रों में बुरांश के फूल अधिक मात्रा में हुए हैं, वहां की महिलाओं द्वारा इन फूलों का इकट्ठा किया जा रहा है. एकत्रित फूल संबंधित समूहों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इनसे जूस, स्क्वैश, जैम एवं अन्य उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. यह प्रयास न केवल महिलाओं को आय का स्रोत प्रदान कर रहा है, बल्कि जिले के प्राकृतिक संसाधनों के सतत और प्रभावी उपयोग को भी बढ़ावा देगा.

पौड़ी में महिलाओं को मालामाल कर रहा ये हिमालयी फूल बुरांश (Video- ETV Bharat)

पौड़ी जिले में बुरांश के फूलों की बहार: मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, बुरांश को लेकर शुरू किए गए कार्यक्रम का उद्देश्य जिले में पाए जाने वाले बुरांश के फूलों का व्यावसायिक दोहन करना है. इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को सक्रिय रूप से शामिल किया जा रहा है. जिन क्षेत्रों में बुरांश प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, वहां की महिलाएं इन फूलों को एकत्रित कर रही हैं. समूहों को यह कच्चा माल उपलब्ध कराया जा रहा है. इससे तरह-तरह के उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं.

सीडीओ ने क्या कहा: इस परियोजना का एक लाभ यह भी है कि काश्तकार जंगल से बुरांश के फूल एकत्रित कर सीधे इन इकाइयों को बेच सकते हैं. मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि-

हम जिलेभर के स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को जहां बुरांश होता है उन्हें इसके फूल एकत्रित कर समूहों को उपलब्ध कराने का कार्य कर रहे हैं. ताकि इसका बड़े स्तर पर व्यावसायिक उपयोग किया जा सके.
-गिरीश गुणवंत, सीडीओ, पौड़ी गढ़वाल-

बुरांश के फूल में हैं औषधीय गुण: उत्तराखंड के राज्य वृक्ष बुरांश का खूबसूरत फूल अपनी खूबसूरती और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. बुरांश के फूल से बना रस रक्तचाप को नियंत्रित करने और हृदय को मजबूत बनाने में सहायक होता है. बुरांश एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है तथा शरीर से विषैले तत्व निकालने में मदद करता है. इससे इम्यूनिटी मजबूत होती है. बुरांश का जूस पेट संबंधी विकारों को दूर कर पाचन तंत्र को मजबूत करता है.

बुरांश के फूलों से शरबत, जूस, चाय और औषधीय काढ़ा बनाया जाता है. गर्मी के मौसम में इसका शरबत शरीर को ठंडक प्रदान करता है और ऊर्जा बनाए रखता है. ये उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है.
-डॉक्टर शैलेंद्र पांडे, जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, पौड़ी गढ़वाल

बुरांश के फूलों से बन रहे ये उत्पाद: ग्रामोत्थान परियोजना के जिला परियोजना प्रबंधक कुलदीप बिष्ट ने कहा कि-

बुरांश को स्थानीय समूहों की महिलाओं की आजीविका से जोड़ने की पहल की गई है. हमारी फेडरेशन समूहों से कच्चा बुरांश तीस से पैंतीस रुपये प्रति किलो की दर से खरीद रही है. फेडरेशन उस बुरांश से जूस, जैम और चटनी बनाकर उसका विपणन करेगी.
-कुलदीप बिष्ट, ग्रामोत्थान के जिला परियोजना प्रबंधक-

इन इकाइयों को बेचा जा रहा है बुरांश: बुरांश के ऐसे तमाम लाभों को देखते हुए ग्रामोत्थान परियोजन एवं एनआरएलएम द्वारा अपने समूह सदस्यों से बुरांश एकत्र करवाकर उसका प्रसंस्करण एवं मार्केट लिंकेज स्थापित किये गये हैं. इसके तहत दुगड्डा में संचालित हर्बल टी यूनिट, पौड़ी में स्थापित बेड़ू एवं फल प्रसंस्करण इकाई तथा जनपद में स्थापित अन्य फल प्रसंस्करण इकाइयों को समूहों के माध्यम से बुरांश एकत्र कर बेचा जा रहा है.

फेडरेशन के प्रतिनिधि हैं खुश: वहीं फेडरेशन की प्रतिनिधि गीता रावत ने बताया कि-

हमारी फेडरेशन में बेड़ू का काम सीजनल होता है. आजकल बुरांश का सीजन है. जंगलों में बड़ी मात्रा में बुरांश हो रखा है. इसमें काम करने से गांव की महिलाओं को भी रोजगार मिल गया है और हमारी फेडरेशन को ऑफ सीजन में काम मिल गया है.
-गीता रावत, फेडरेशन की प्रतिनिधि-

ये भी पढ़ें: नैनीताल में समय से पहले खिल रहे हैं बुरांश के फूल, तो पर्यावरणविद क्यों जता रहे चिंता?

पौड़ी गढ़वाल: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में इस बार बुरांश का फूल अधिक मात्रा में हुआ है. ऐसे में पौड़ी के जंगलों में बर्बाद हो रहे बुरांश को आजीविका से जोड़ने के लिए सीडीओ पौड़ी ने प्रयास किए हैं. मुख्य विकास अधिकारी पौड़ी की ओर से जंगलों में अधिक मात्रा में हुए बुरांश को एकत्र करने वाली महिलाओं को आमदनी कराई जा रही है. साथ ही महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को इसका जूस, जैम और अचार बनाने को कहा गया है.

बुरांश का फूल बना आजीविका का साधन: बुरांश के फूलों को व्यावसायिक स्तर पर उपयोग में लाने के लिये जिले में एक विशेष कार्यक्रम की शुरुआत की गई है. इस पहल के माध्यम से स्थानीय स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाया गया है. कार्यक्रम के अंतर्गत जिन क्षेत्रों में बुरांश के फूल अधिक मात्रा में हुए हैं, वहां की महिलाओं द्वारा इन फूलों का इकट्ठा किया जा रहा है. एकत्रित फूल संबंधित समूहों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इनसे जूस, स्क्वैश, जैम एवं अन्य उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं. यह प्रयास न केवल महिलाओं को आय का स्रोत प्रदान कर रहा है, बल्कि जिले के प्राकृतिक संसाधनों के सतत और प्रभावी उपयोग को भी बढ़ावा देगा.

पौड़ी में महिलाओं को मालामाल कर रहा ये हिमालयी फूल बुरांश (Video- ETV Bharat)

पौड़ी जिले में बुरांश के फूलों की बहार: मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, बुरांश को लेकर शुरू किए गए कार्यक्रम का उद्देश्य जिले में पाए जाने वाले बुरांश के फूलों का व्यावसायिक दोहन करना है. इस कार्यक्रम के अंतर्गत स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को सक्रिय रूप से शामिल किया जा रहा है. जिन क्षेत्रों में बुरांश प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, वहां की महिलाएं इन फूलों को एकत्रित कर रही हैं. समूहों को यह कच्चा माल उपलब्ध कराया जा रहा है. इससे तरह-तरह के उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं.

सीडीओ ने क्या कहा: इस परियोजना का एक लाभ यह भी है कि काश्तकार जंगल से बुरांश के फूल एकत्रित कर सीधे इन इकाइयों को बेच सकते हैं. मुख्य विकास अधिकारी ने बताया कि-

हम जिलेभर के स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को जहां बुरांश होता है उन्हें इसके फूल एकत्रित कर समूहों को उपलब्ध कराने का कार्य कर रहे हैं. ताकि इसका बड़े स्तर पर व्यावसायिक उपयोग किया जा सके.
-गिरीश गुणवंत, सीडीओ, पौड़ी गढ़वाल-

बुरांश के फूल में हैं औषधीय गुण: उत्तराखंड के राज्य वृक्ष बुरांश का खूबसूरत फूल अपनी खूबसूरती और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है. बुरांश के फूल से बना रस रक्तचाप को नियंत्रित करने और हृदय को मजबूत बनाने में सहायक होता है. बुरांश एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है तथा शरीर से विषैले तत्व निकालने में मदद करता है. इससे इम्यूनिटी मजबूत होती है. बुरांश का जूस पेट संबंधी विकारों को दूर कर पाचन तंत्र को मजबूत करता है.

बुरांश के फूलों से शरबत, जूस, चाय और औषधीय काढ़ा बनाया जाता है. गर्मी के मौसम में इसका शरबत शरीर को ठंडक प्रदान करता है और ऊर्जा बनाए रखता है. ये उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है.
-डॉक्टर शैलेंद्र पांडे, जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी, पौड़ी गढ़वाल

बुरांश के फूलों से बन रहे ये उत्पाद: ग्रामोत्थान परियोजना के जिला परियोजना प्रबंधक कुलदीप बिष्ट ने कहा कि-

बुरांश को स्थानीय समूहों की महिलाओं की आजीविका से जोड़ने की पहल की गई है. हमारी फेडरेशन समूहों से कच्चा बुरांश तीस से पैंतीस रुपये प्रति किलो की दर से खरीद रही है. फेडरेशन उस बुरांश से जूस, जैम और चटनी बनाकर उसका विपणन करेगी.
-कुलदीप बिष्ट, ग्रामोत्थान के जिला परियोजना प्रबंधक-

इन इकाइयों को बेचा जा रहा है बुरांश: बुरांश के ऐसे तमाम लाभों को देखते हुए ग्रामोत्थान परियोजन एवं एनआरएलएम द्वारा अपने समूह सदस्यों से बुरांश एकत्र करवाकर उसका प्रसंस्करण एवं मार्केट लिंकेज स्थापित किये गये हैं. इसके तहत दुगड्डा में संचालित हर्बल टी यूनिट, पौड़ी में स्थापित बेड़ू एवं फल प्रसंस्करण इकाई तथा जनपद में स्थापित अन्य फल प्रसंस्करण इकाइयों को समूहों के माध्यम से बुरांश एकत्र कर बेचा जा रहा है.

फेडरेशन के प्रतिनिधि हैं खुश: वहीं फेडरेशन की प्रतिनिधि गीता रावत ने बताया कि-

हमारी फेडरेशन में बेड़ू का काम सीजनल होता है. आजकल बुरांश का सीजन है. जंगलों में बड़ी मात्रा में बुरांश हो रखा है. इसमें काम करने से गांव की महिलाओं को भी रोजगार मिल गया है और हमारी फेडरेशन को ऑफ सीजन में काम मिल गया है.
-गीता रावत, फेडरेशन की प्रतिनिधि-

ये भी पढ़ें: नैनीताल में समय से पहले खिल रहे हैं बुरांश के फूल, तो पर्यावरणविद क्यों जता रहे चिंता?

Last Updated : April 8, 2025 at 1:38 PM IST
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