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चिलचिलाती गर्मी में अमृत जैसा लगता है मटके का पानी, बाजारों में 'देसी फ्रिज' की बढ़ी डिमांड - EARTHEN POTS

नूंह में बढ़ती गर्मी के साथ मिट्टी के मटकों की बिक्री बढ़ी है. पढ़िए खास रिपोर्ट...

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नूंह में मिट्टी के मटकों की बिक्री बढ़ी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : April 14, 2025 at 5:38 PM IST

4 Min Read

नूंह: आधा अप्रैल खत्म होने को है. प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में तापमान 35 डिग्री से ऊपर है. चिलचिलाती गर्मी से लोगों का हाल बेहाल होने लगा है. ऐसे में अब लोग बड़े स्तर पर 'देसी फ्रीज' यानी मिट्टी के मटके की ओर रूख कर रहे हैं. मिट्टी के मटके बेचने वाले कुम्हारों की इन दिनों बल्ले-बल्ले हो रही है, क्योंकि हर दिन मटके की मांग और बिक्री बढ़ रही है.

काली मिट्टी के मटके में पानी अधिक ठंडा : घरों के अलावा बाजार में भी मटके बेचते कुम्हार देखे जा रहे हैं. आज भी कई लोग ठंडा पानी पीने के लिए देसी फ्रिज यानि (मटके) का ही उपयोग करते हैं. इसके व्यापारी बताते हैं कि मटके के पानी का स्वाद आत्मा को तृप्त कर देता है. वहीं, मटका कारीगर ने बताया कि लाल और काली मिट्टी के मटके बनाए जाते हैं, लेकिन काली मिट्टी के बने मटके का पानी अधिक ठंडा और स्वादिष्ट होता है.

नूंह में मिट्टी के मटके (ईटीवी भारत)

महंगाई का दिखा असर : शहरों के साथ ही गांव में भी लोग मिट्टी के मटके को खरीद रहे हैं. हालांकि, इस बार भी मटकों की दुकानों पर महंगाई का असर देखने को मिल रहा है, लेकिन लोग इसके बावजूद भी जमकर खरीदारी कर रहे हैं. जिसके चलते मटके बनाने वाले कुम्हारों के चेहरों पर खुशी है.

80 से 200 रुपए तक बिक रहें मटके : बता दें कि इन दिनों जिले में 40 डिग्री सेल्सियस तक पारा पहुंच चुका है . ऐसे में गर्मी की तपिश से गला तर करने के लिए लोग मिट्टी के मटके और सुराही आदि की खरीदारी करने लगे हैं. फिलहाल फ्रिज के ठंडे पानी से परहेज कर अधिकतर लोग मिट्टी के मटकों का ही सहारा ले रहे हैं. जिससे इन मिट्टी के बर्तनों की बिक्री में अच्छी खासी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. जिले में मिट्टी का मटका 80 - 200 रुपए तक बिक रहा है. बाजार में मटके और ठूंटी वाले मयूर जग जैसे डिजाइन के मटके भी आए हुए हैं. सामान्य और छोटे मटके की कम कीमत तो ठूंटी व नल लगे मटकों की कीमत ज्यादा है. गांव के लोग सामान्य मटका खरीद रहे हैं. वहीं दूसरी और शहरों में मयूर जग जैसे दिखने वाले ठूंटी वाले मटके ज्यादा खरीदे जा रहे हैं.

मृदा के खास गुण पानी की अशुद्धि को करते हैं दूर : डॉक्टरों ने बताया कि देसी मटके में मिट्टी की खुशबू आती है, जो बहुत अच्छी लगती है. मटके का पानी गले से लेकर आंतों के लिए अच्छा होता है. मटके के पानी को बीमार व्यक्ति भी पी सकता है. इसके साथ ही मिट्टी के कारण इसमें काफी पोषण तत्व भी होते हैं . मटके में मृदा के खास गुण होने का कारण पानी की अशुद्धियां दूर हो जाती हैं. मटके का पानी शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त कर प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करता है.

फ्रिज का पानी, मतलब बीमारियों को आमंत्रण : लोगों ने बताया कि इस समय मिट्टी के बर्तन लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं. फ्रिज के पानी से गला खराब व अन्य प्रकार की बीमारियां लोगों को हो जाती हैं, इसलिए मटके का पानी पीना पसंद कर रहे हैं. बता दें कि बढ़ती टेक्नोलॉजी के चलते पहले के मुकाबले अब मटका बनाने वालों की संख्या कम हुई है, क्योंकि कई परिवारों ने बढ़ती महंगाई और घटते मुनाफे के कारण मिट्टी का बर्तन बनाने का कार्य छोड़कर अन्य कारोबार शुरू कर दिया है. हालांकि, कई परिवार आज भी मिट्टी का बर्तन बनाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. मेवात की मिट्टी बर्तनों के लिए काफी अच्छी मानी जाती है.

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नूंह: आधा अप्रैल खत्म होने को है. प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में तापमान 35 डिग्री से ऊपर है. चिलचिलाती गर्मी से लोगों का हाल बेहाल होने लगा है. ऐसे में अब लोग बड़े स्तर पर 'देसी फ्रीज' यानी मिट्टी के मटके की ओर रूख कर रहे हैं. मिट्टी के मटके बेचने वाले कुम्हारों की इन दिनों बल्ले-बल्ले हो रही है, क्योंकि हर दिन मटके की मांग और बिक्री बढ़ रही है.

काली मिट्टी के मटके में पानी अधिक ठंडा : घरों के अलावा बाजार में भी मटके बेचते कुम्हार देखे जा रहे हैं. आज भी कई लोग ठंडा पानी पीने के लिए देसी फ्रिज यानि (मटके) का ही उपयोग करते हैं. इसके व्यापारी बताते हैं कि मटके के पानी का स्वाद आत्मा को तृप्त कर देता है. वहीं, मटका कारीगर ने बताया कि लाल और काली मिट्टी के मटके बनाए जाते हैं, लेकिन काली मिट्टी के बने मटके का पानी अधिक ठंडा और स्वादिष्ट होता है.

नूंह में मिट्टी के मटके (ईटीवी भारत)

महंगाई का दिखा असर : शहरों के साथ ही गांव में भी लोग मिट्टी के मटके को खरीद रहे हैं. हालांकि, इस बार भी मटकों की दुकानों पर महंगाई का असर देखने को मिल रहा है, लेकिन लोग इसके बावजूद भी जमकर खरीदारी कर रहे हैं. जिसके चलते मटके बनाने वाले कुम्हारों के चेहरों पर खुशी है.

80 से 200 रुपए तक बिक रहें मटके : बता दें कि इन दिनों जिले में 40 डिग्री सेल्सियस तक पारा पहुंच चुका है . ऐसे में गर्मी की तपिश से गला तर करने के लिए लोग मिट्टी के मटके और सुराही आदि की खरीदारी करने लगे हैं. फिलहाल फ्रिज के ठंडे पानी से परहेज कर अधिकतर लोग मिट्टी के मटकों का ही सहारा ले रहे हैं. जिससे इन मिट्टी के बर्तनों की बिक्री में अच्छी खासी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. जिले में मिट्टी का मटका 80 - 200 रुपए तक बिक रहा है. बाजार में मटके और ठूंटी वाले मयूर जग जैसे डिजाइन के मटके भी आए हुए हैं. सामान्य और छोटे मटके की कम कीमत तो ठूंटी व नल लगे मटकों की कीमत ज्यादा है. गांव के लोग सामान्य मटका खरीद रहे हैं. वहीं दूसरी और शहरों में मयूर जग जैसे दिखने वाले ठूंटी वाले मटके ज्यादा खरीदे जा रहे हैं.

मृदा के खास गुण पानी की अशुद्धि को करते हैं दूर : डॉक्टरों ने बताया कि देसी मटके में मिट्टी की खुशबू आती है, जो बहुत अच्छी लगती है. मटके का पानी गले से लेकर आंतों के लिए अच्छा होता है. मटके के पानी को बीमार व्यक्ति भी पी सकता है. इसके साथ ही मिट्टी के कारण इसमें काफी पोषण तत्व भी होते हैं . मटके में मृदा के खास गुण होने का कारण पानी की अशुद्धियां दूर हो जाती हैं. मटके का पानी शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त कर प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करता है.

फ्रिज का पानी, मतलब बीमारियों को आमंत्रण : लोगों ने बताया कि इस समय मिट्टी के बर्तन लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं. फ्रिज के पानी से गला खराब व अन्य प्रकार की बीमारियां लोगों को हो जाती हैं, इसलिए मटके का पानी पीना पसंद कर रहे हैं. बता दें कि बढ़ती टेक्नोलॉजी के चलते पहले के मुकाबले अब मटका बनाने वालों की संख्या कम हुई है, क्योंकि कई परिवारों ने बढ़ती महंगाई और घटते मुनाफे के कारण मिट्टी का बर्तन बनाने का कार्य छोड़कर अन्य कारोबार शुरू कर दिया है. हालांकि, कई परिवार आज भी मिट्टी का बर्तन बनाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. मेवात की मिट्टी बर्तनों के लिए काफी अच्छी मानी जाती है.

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