जयपुर: प्रदेश में बुधवार को पूर्णिमा के दिन वाटर होल पद्धति से वन्यजीवों की गणना की जा रही है. 11 जून सुबह 8:00 बजे से 12 जून को सुबह 8:00 तक राजस्थान के सभी जंगलों में वाटर पॉइंट्स पर लगातार 24 घंटे निगरानी रख कर वन्यजीवों की गणना की जा रही है. वन कर्मियों के साथ वन्यजीव प्रेमी मचान पर बैठकर 24 घंटे वन्यजीवों की गणना करेंगे. इसके बाद वन्यजीवों की गणना के आंकड़े एकत्रित करके वन मुख्यालय अरण्य भवन भेजे जाएंगे. इससे वन्यजीवों की वास्तविक संख्या का आंकलन होगा.
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हॉफ) अरिजीत बनर्जी के मुताबिक वन्यजीव गणना 11 जून को सुबह 8:00 बजे से 12 जून सुबह 8:00 बजे तक चलेगी. बाघ, बघेरे समेत अन्य वन्यजीवों की संख्या का आंकलन किया जा रहा है. वाटर होल पद्धति से वन्यजीव गणना से वन्यजीवों की संख्या के वास्तविक आंकड़े मिल पाएंगे. प्रदेश में रणथंभोर, सरिस्का, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की गणना एनटीसीए प्रोटोकॉल से की जाती है. ऐसे में इन टाइगर रिजर्व के अलावा अन्य सेंक्चुयरी क्षेत्र में वन्यजीवों को वाटर हॉल सेंसस के जरिए गिना जाता है. वन्यजीवों की वास्तविक स्थिति का भी पता लग पाएगा.
38 प्रजातियों के वन्यजीवों की गणना : वन्यजीव गणना में भालू, पैंथर, सियागोश, लकड़बग्घे, भेड़िए, सियार, लोमड़ी, जंगली बिल्ली, लंगूर, जंगली, सूअर, नीलगाय, सांभर, चीतल, काला हिरण, चिंकारा, नेवला, बिज्जू और सेही को गिना जा रहा है. हालांकि, प्रदेश में वन्यजीवों की सैकड़ों प्रजातियां है.
इस बार करीब 38 प्रजातियों की गणना की जा रही है. जयपुर रेंज प्रादेशिक क्षेत्र की बात की जाए तो करीब 53 वाटर पॉइंट्स पर वन्यजीवों की गिनती की जा रही है. इनमें झालाना लेपर्ड रिजर्व, आमागढ़ लेपर्ड रिजर्व, नाहरगढ़ जंगल समेत अन्य जंगल शामिल हैं. झालाना में 11, गलता में 6, सूरजपोल में 4, गोनेर, नाहरगढ़ में 11, मुहाना और झोटवाड़ा में एक-एक पॉइंट बनाए गए हैं, जहां पर वन्यजीवों की गणना की जा रही है.
जंगलों में मचान पर बैठकर वॉटर हॉल पर वन्यजीवों की गिनती की जा रही है. वन्यजीवों की करीब 38 प्रजातियों की गणना की जाएगी. कई जगह पर वाटर पॉइंट पर कैमरा ट्रैप भी लगाए गए हैं, जहां पानी पीने आने वाले वन्यजीवों की फोटो एविडेंस के साथ कैमरे में कैद होगी. शाकाहारी, मांसाहारी, रेप्टाइल और पक्षियों की गणना की जाएगी. प्रत्येक वाटर पॉइंट पर एक वन विभाग के अनुभवी कर्मचारियों के साथ एक वॉलिंटियर मौजूद हैं.
पूर्णिमा की चांदनी रात में की जाती है वन्यजीव गणना : वन्यजीव गणना हमेशा पूर्णिमा को ही की जाती है. पूर्णिमा की चांदनी रात को वन्यजीवों की गणना आसानी से हो पाती है. मचान पर बैठे कर्मचारी आसानी से चांदनी रात के उजाले में वन्यजीवों की गिनती आसानी से कर पाते हैं. वन्यजीव पानी पीने के लिए वाटर पॉइंट पर जरूर आते हैं. जयपुर में झालाना वन, गलता-आमागढ़ वन क्षेत्र और नाहरगढ़ वन क्षेत्र में गणना जारी है.
वाटर हॉल पद्धति के आधार पर वन्यजीव गणना : वन्यजीव गणना वाटर हॉल पद्धति के आधार पर की जा रही है. वन्यजीव गणना में मुख्य आधार सभी जल स्रोत होते हैं. वन क्षेत्रों में वन विभाग की ओर से वाटर पॉइंट बनाए जाते हैं, जहां पर वन्यजीव पानी पीने के लिए आते हैं. पूर्णिमा की चांदनी रात में आने वाले वन्यजीवों की गिनती की जाती ह, जिससे वन्यजीवों की तादाद का एक अंदाजा लग जाता है.
वन मुख्यालय भेजे जाएंगे आंकड़े : 24 घंटे वन्यजीव गणना करने के बाद सभी जगहों के आंकड़े एकत्रित करके वन मुख्यालय अरण्य भवन भेजे जाएंगे. वन्यजीव गणना के बाद आंकड़ों की तुलना की जाएगी. वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी होती है, तो यह वन विभाग के लिए बड़ी खुशी की बात होगी. अगर आंकड़ों में कमी आई तो वन विभाग के लिए चिंता का विषय होगा.
जैसलमेर में गोडावण सहित वन्यजीवों की गणना शुरू : वहीं, जैसलमेर में राज्य पक्षी गोडावण सहित 35 प्रजातियों के पशु-पक्षियों की उपस्थिति दर्ज की जाएगी. यह केवल गणना नहीं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक ठोस रणनीति का हिस्सा है, जिसका सीधा उद्देश्य भविष्य की संरक्षण योजनाओं के लिए ठोस और सटीक आंकड़े जुटाना है.
वन विभाग द्वारा यह रणनीति पिछले वर्षों से अपनाई जा रही है कि ग्रीष्मकालीन पूर्णिमा की रात को गणना की जाए. इस रात प्राकृतिक रोशनी के कारण वन्यजीवों की गतिविधियां साफ देखी जा सकती हैं. साथ ही, गर्मियों में जल स्रोतों की कमी के चलते अधिकांश वन्यजीव वॉटर हॉल की ओर रुख करते हैं, जिससे उनकी उपस्थिति का आंकलन और भी स्पष्ट हो पाता है.
राष्ट्रीय मरू उद्यान (DNP) के डीएफओ बृजमोहन गुप्ता ने जानकारी दी कि इस गणना के लिए चार रेंज- जैसलमेर, बाड़मेर, म्याजलार और पोकरण में 52 वाटर हॉल्स को चिन्हित किया गया है. हर वाटर होल पर दो कार्मिक तैनात किए गए हैं. एक वन विभाग का कर्मी और एक ETF (Environmental Task Force), WII (Wildlife Institute of India) या स्थानीय ग्रामवासी. इस प्रकार कुल 104 कार्मिक 24 घंटे तक मॉनिटरिंग करेंगे. इनके अलावा प्रत्येक क्षेत्र का क्षेत्रीय वन अधिकारी लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है.

स्ट्रॉबेरी मून की रात में 24 घंटे की वन्यजीव गणना : वहीं, इस बार बुद्ध पूर्णिमा की बजाय 'स्ट्रॉबेरी मून नाइट' पर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना) और बंध बारैठा वन क्षेत्र में 24 घंटे की वन्यजीव गणना शुरू की गई है. बुधवार सुबह 8 बजे से गुरुवार सुबह 8 बजे तक चलने वाली इस गणना में 140 कर्मचारियों की 35 टीमें भाग ले रही हैं. ये टीमें 35 जल बिंदुओं पर दो पालियों में वन्यजीवों की संख्या, गतिविधियों और प्रजातियों का बारीकी से अवलोकन कर रही हैं.
गणना में हाईटेक ट्रैप कैमरों की मदद : गणना के लिए कर्मचारियों की निगरानी के साथ-साथ 100 ट्रैप कैमरों की सहायता भी ली जा रही है. ये कैमरे उन जगहों पर लगाए गए हैं, जहां वन्यजीवों की नियमित आवाजाही होती है जैसे प्रमुख जलाशय, पगडंडियां और गहन वन क्षेत्र. यह तकनीक टाइगर रिजर्व के पैटर्न पर आधारित है, जिससे रात के समय भी बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के सटीक डेटा प्राप्त हो सकेगा.
स्ट्रॉबेरी मून नाइट क्यों चुनी गई ? : वन्यजीव गणना आमतौर पर बुद्ध पूर्णिमा की रात की जाती है, लेकिन इस बार बारिश के कारण गणना स्थगित करनी पड़ी थी. अब यह कार्य स्ट्रॉबेरी मून नाइट पर किया जा रहा है, क्योंकि इस रात चंद्रमा की रोशनी अधिक तेज होती है. निदेशक मानस सिंह के अनुसार, तेज चांदनी से जलाशयों पर आने वाले जानवरों को आसानी से देखा जा सकता है, जिससे गणना अधिक प्रभावी हो जाती है.