जयपुर : कोरोना के बाद जब पर्यटन उद्योग नई चुनौतियों से जूझ रहा था, ऐसे दौर में राजस्थान की राजधानी जयपुर में जंगली जानवरों के इर्द-गिर्द बसी दुनिया सैलानियों की सैरगाह बनकर उभरी है. बीते एक साल के आंकड़े इस दावे को और पुख्ता बना रहे हैं. साल 2024 में पर्यटन के लिहाज से राजस्थान के लिए बेहतर दौर रहा था. ऐसे में वाइल्ड लाइफ टूरिज्म ने गुलाबी शहर को जलसों और इमारतों के शहर के साथ ही अब नए हब के रूप में पहचान दी है. गौरतलब है कि इसके पहले जयपुर की पहचान यहां की ऐतिहासिक इमारतों के साथ-साथ सांस्कृतिक रंगों से जुड़ी रही है.
वाइल्ड लाइफ टूरिज्म का हब जयपुर : वाइल्ड लाइफ टूरिज्म के क्षेत्र में जयपुर ने साल 2024 में अपना दबदबा साबित किया है. इस साल में गुलाबी नगर ने पावणों की संख्या के बीते कुछ सालों के रिकॉर्ड को ध्वस्त किए ही हैं. इसके साथ ही शहर के किनारों पर बसी कुदरती दुनिया में जंगली जनजीवन को करीब से देखने की हसरत रखने वाले सैलानियों की ख्वाहिश को भी पूरा किया है. शहर में मौजूद वाइल्ड लाइफ सफारी और बायलॉजिकल पार्क के आंकड़ों ने पर्यटन कारोबारियों को भी रोमांचित कर दिया है. यहां साल 2024 में कुल 7 लाख 25 हजार 915 पर्यटक पहुंचे, जिन्होंने वन्य जीव और सफारी का लुत्फ लिया.

नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क पहली पसंद : जयपुर में वन्यजीव को करीब से देखने की तमन्ना लेकर आने वाले सैलानी सबसे ज्यादा नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क को पसंद कर रहे हैं. यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या इसे बयां करती है. 2024 में डेटा के मुताबिक बायोलॉजिकल पार्क में 3 लाख 17 हजार 397 पर्यटकों ने विजिट किया. इसके बाद चिड़ियाघर को देखने के लिए 2 लाख 51 हजार 959 पर्यटक पहुंचे. आमेर के प्रसिद्ध हाथी गांव ने 83 हजार 873 पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित किया और यह सैलानियों की पसंद के मामले में तीसरे पायदान पर रहा. साथ ही, झालाना लेपर्ड सफारी, जो देशभर में अपनी लोकप्रियता के लिए मशहूर है, यहां 41 हजार 77 पर्यटकों ने सफारी का अनुभव लिया. आमागढ़ लेपर्ड सफारी ने भी 12 हजार 204 पर्यटकों को आकर्षित किया.

वाइल्ड लाइफ सफारी का बढ़ा रुझान : जयपुर के वाइल्ड लाइफ सफारी वाले क्षेत्र भी सैलानियों को काफी आकर्षित कर रहे हैं. खास तौर पर जयपुर आने वाली बड़ी हस्तियों को यह क्षेत्र काफी पसंद आ रहा है. बीते दिनों झालाना लेपर्ड रिजर्व में बॉलीवुड सेलिब्रिटीज और खेल जगत की हस्तियों के दौरे इसकी बानगी है. यही कारण रहा कि 2024 में जहां 41 हजार 077 पर्यटक झालाना पहुंचे, तो नए बने आमागढ़ के दीदार के लिए 12 हजार 204 पर्यटकों ने दिलचस्पी दिखाई. इसके अलावा नाहरगढ़ के आहते में बनी लायन सफारी के लिए 18 हजार 115 और साल के आखिरी दो महीने में टाइगर सफारी को देखने के लिए 1 हजार 290 यहां आए. जाहिर तौर पर फिलहाल जयपुर ऐसा शहर है, जहां दो लेपर्ड सफारी के साथ-साथ एक लायन और एक टाइगर सफारी है. हाथी गांव की एलीफेंट राइड इस तजुर्बे को खास बना देती है.
जल्द शुरू होगी तीसरी लेपर्ड सफारी : जयपुर शहर में जहां झालाना के जंगलों के साथ ही गलता घाटी के पीछे आमागढ़ में पहले से ही पर्यटक लेपर्ड देख सकते हैं. वहीं एक और लेपर्ड सफारी की जल्द यहां शुरुआत होने जा रही है. इसके बाद जयपुर तीन-तीन लेपर्ड सफारी वाला देश को एकमात्र शहर के रूप में पहचाना जाएगा. इस पहल का मकसद है कि आसपास शहरी आबादी के करीब जंगल को सहेज कर आम लोगों का प्रकृति और जंगली जीवों के प्रति प्रेम बढ़ाया जा सके. पर्यटन विशेषज्ञ संजय कौशिक भी इस पहल को सार्थक मान रहे हैं. उनके मुताबिक वाइल्ड लाइफ टूरिज्म से जुड़े पिछले साल के आंकड़े प्रदेश के लिए और खास तौर पर जयपुर के लिए खुश कर देने वाले हैं.
