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ज्योतिर्लिंग के साथ बने अन्य 22 मंदिर क्यों हैं खास? सभी देवी-देवता भोलेनाथ के क्यों रहते हैं करीब, पौराणिक कथाओं से क्या है इनका संबंध - 22 TEMPLES IN BAIDYANATH DHAM

पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, बैद्यनाथ धाम में भोलेनाथ के अलावा अन्य 22 मंदिरों की पूजा करने पर भक्तों पर असीम कृपा होती है.

Baidyanath Dham Deoghar
बैद्यनाथ धाम मंदिर (Etv bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : June 5, 2025 at 11:35 AM IST

4 Min Read

देवघर: बैद्यनाथ धाम मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं. इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ के महत्व के साथ-साथ मंदिर परिसर में बने 22 मंदिरों का भी अलग महत्व है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, बैद्यनाथ धाम मंदिर परिसर में भोलेनाथ के अलावा 22 अन्य मंदिरों में पूजा करने पर भक्तों पर असीम कृपा होती है. जो भक्त बाबा भोलेनाथ के चारों ओर बने सभी मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं उनकी हर मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है.

मंदिर के बारे में जानकारी देते पुजारी (Etv bharat)

चारों दिशाओं में अलग-अलग भगवान के मंदिर

मंदिर के वरिष्ठ पंडा श्रृंगारी बाबा बताते हैं कि उत्तर दिशा में मां काली, मां तारा, गौरी शंकर और अन्नपूर्णा देवी का मंदिर स्थापित है. दक्षिण दिशा में मां सरस्वती, माता मनसा देवी, हनुमान, कुबेर भगवान, महाकाल भैरव, संध्या माता, भगवान ब्रह्मा और गणेश स्थापित हैं. इसी तरह पश्चिम दिशा में आनंद भैरव, राम-सीता, लक्ष्मण मंदिर, बंगला देवी, सूर्य नारायण भगवान का मंदिर स्थापित है. जबकि पूर्व दिशा में मां पार्वती, नीलकंठ भगवान, चंद्रगुप्त भगवान, लक्ष्मी नारायण भगवान का मंदिर स्थापित है.

पौराणिक कथाओं में है इसका ज्रिक!

वरिष्ठ पुजारी बाबा श्रृंगारी बताते हैं कि पौराणिक कथाओं और ग्रंथों में वर्णित लेख के अनुसार यह भी माना गया है कि यहां सभी देवी- देवता भगवान भोलेनाथ को पूरे परिसर में रखने के लिए चारों तरफ तैनात रहते हैं, क्योंकि भगवान भोलेनाथ के बारे में माना जाता है कि वह सभी देवों के देव हैं इसलिए उनके मनोरंजन के लिए सभी देवी-देवता हमेशा ही भगवान भोलेनाथ के बगल में रहते हैं.

Baidyanath Dham Deoghar
देवघर का बैद्यनाथ धाम परिसर (Etv bharat)

यहां हर भक्त की होती है मनोकामना पूरी

बाबा शृंगारी ने बताया कि ग्रंथों में यह भी लिखा हुआ है कि भगवान भोले चार महीना धरती पर रहते हैं और इस दौरान यदि कोई भी भक्त उनसे कुछ भी मांगता है तो उस भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है.

भगवान विश्वकर्मा ने खुद किया था निर्माण

देवघर के मंदिर में वर्षों से भगवान भोलेनाथ का पूजा कर रहे हैं बाबा दिलीप पंडित बताते हैं कि प्राचीन समय में मंदिर के आसपास सिर्फ पांच मंदिर हुआ करते थे. उन पांचों मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने खुद किया था. फिर धीरे-धीरे अपने-अपने समय के राजाओं ने आवश्यकता को देखते हुए अन्य सभी मंदिर का निर्माण करवाया. वहीं, बाबा मंदिर में आने वाले भक्तों ने बताया कि जब वह बैद्यनाथ धाम में जलाभिषेक करने पहुंचते हैं तो सभी देवी देवताओं का पूजा कर के उन्हें काफी संतुष्टि मिलती है.

सावन महीने में सभी देवी-देवताओं की पूजा होती है. तभी भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा विभिन्न त्योहारों में भी देवी -देवताओं की विशेष पूजा की जाती है, जैसे दुर्गा पूजा में मां भगवती की, काली पूजा में मां काली, रामनवमी में भगवान राम, हनुमान जयंती में हनुमान जी की. इसी प्रकार से सभी त्योहारों में सभी भगवान की आराधाना होती है और उसका आशीर्वाद सीधा भक्तों को मिलता है- रमेश परिहस्त, मुख्य प्रबंधक

गौरतलब है कि बैद्यनाथ धाम परिसर में बने सभी मंदिरों का इतिहास काफी पुराना है और सबका अपना-अपना विशेष महत्व है. सावन शुरू होते ही मंदिर की खूबसूरती एक अलग ही रंग में बदल जाती है जो पूरे एक महीने तक बनी रहती है. इस दौरान कई राज्यों से लोग कावड़ लेकर बाबा धाम पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें: पति की लंबी आयु के लिए वट वृक्ष की पूजा, सुहागिन महिलाओं ने रखा निर्जला उपवास

देवघर में बोले प्रशांत किशोर- बाबा के आशीर्वाद के साथ मिलेगा जनता का भी साथ

रामनवमी पर सीएम हेमंत सोरेन ने तपोवन मंदिर में की विशेष पूजा अर्चना, राज्य की सुख समृद्धि के लिए मां से मांगा आशीर्वाद

देवघर: बैद्यनाथ धाम मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं. इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ के महत्व के साथ-साथ मंदिर परिसर में बने 22 मंदिरों का भी अलग महत्व है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, बैद्यनाथ धाम मंदिर परिसर में भोलेनाथ के अलावा 22 अन्य मंदिरों में पूजा करने पर भक्तों पर असीम कृपा होती है. जो भक्त बाबा भोलेनाथ के चारों ओर बने सभी मंदिरों में जाकर पूजा करते हैं उनकी हर मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है.

मंदिर के बारे में जानकारी देते पुजारी (Etv bharat)

चारों दिशाओं में अलग-अलग भगवान के मंदिर

मंदिर के वरिष्ठ पंडा श्रृंगारी बाबा बताते हैं कि उत्तर दिशा में मां काली, मां तारा, गौरी शंकर और अन्नपूर्णा देवी का मंदिर स्थापित है. दक्षिण दिशा में मां सरस्वती, माता मनसा देवी, हनुमान, कुबेर भगवान, महाकाल भैरव, संध्या माता, भगवान ब्रह्मा और गणेश स्थापित हैं. इसी तरह पश्चिम दिशा में आनंद भैरव, राम-सीता, लक्ष्मण मंदिर, बंगला देवी, सूर्य नारायण भगवान का मंदिर स्थापित है. जबकि पूर्व दिशा में मां पार्वती, नीलकंठ भगवान, चंद्रगुप्त भगवान, लक्ष्मी नारायण भगवान का मंदिर स्थापित है.

पौराणिक कथाओं में है इसका ज्रिक!

वरिष्ठ पुजारी बाबा श्रृंगारी बताते हैं कि पौराणिक कथाओं और ग्रंथों में वर्णित लेख के अनुसार यह भी माना गया है कि यहां सभी देवी- देवता भगवान भोलेनाथ को पूरे परिसर में रखने के लिए चारों तरफ तैनात रहते हैं, क्योंकि भगवान भोलेनाथ के बारे में माना जाता है कि वह सभी देवों के देव हैं इसलिए उनके मनोरंजन के लिए सभी देवी-देवता हमेशा ही भगवान भोलेनाथ के बगल में रहते हैं.

Baidyanath Dham Deoghar
देवघर का बैद्यनाथ धाम परिसर (Etv bharat)

यहां हर भक्त की होती है मनोकामना पूरी

बाबा शृंगारी ने बताया कि ग्रंथों में यह भी लिखा हुआ है कि भगवान भोले चार महीना धरती पर रहते हैं और इस दौरान यदि कोई भी भक्त उनसे कुछ भी मांगता है तो उस भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है.

भगवान विश्वकर्मा ने खुद किया था निर्माण

देवघर के मंदिर में वर्षों से भगवान भोलेनाथ का पूजा कर रहे हैं बाबा दिलीप पंडित बताते हैं कि प्राचीन समय में मंदिर के आसपास सिर्फ पांच मंदिर हुआ करते थे. उन पांचों मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने खुद किया था. फिर धीरे-धीरे अपने-अपने समय के राजाओं ने आवश्यकता को देखते हुए अन्य सभी मंदिर का निर्माण करवाया. वहीं, बाबा मंदिर में आने वाले भक्तों ने बताया कि जब वह बैद्यनाथ धाम में जलाभिषेक करने पहुंचते हैं तो सभी देवी देवताओं का पूजा कर के उन्हें काफी संतुष्टि मिलती है.

सावन महीने में सभी देवी-देवताओं की पूजा होती है. तभी भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. इसके अलावा विभिन्न त्योहारों में भी देवी -देवताओं की विशेष पूजा की जाती है, जैसे दुर्गा पूजा में मां भगवती की, काली पूजा में मां काली, रामनवमी में भगवान राम, हनुमान जयंती में हनुमान जी की. इसी प्रकार से सभी त्योहारों में सभी भगवान की आराधाना होती है और उसका आशीर्वाद सीधा भक्तों को मिलता है- रमेश परिहस्त, मुख्य प्रबंधक

गौरतलब है कि बैद्यनाथ धाम परिसर में बने सभी मंदिरों का इतिहास काफी पुराना है और सबका अपना-अपना विशेष महत्व है. सावन शुरू होते ही मंदिर की खूबसूरती एक अलग ही रंग में बदल जाती है जो पूरे एक महीने तक बनी रहती है. इस दौरान कई राज्यों से लोग कावड़ लेकर बाबा धाम पहुंचते हैं.

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