रांची: आम लोगों को सस्ता और सुलभ आवास देने का दावा करने वाले झारखंड राज्य आवास बोर्ड को एक बार फिर झटका लगा है. आवास बोर्ड के द्वारा हाल ही में फ्लैटों और आवासों की बिक्री के लिए निकाली गई ई-लॉटरी में आवासों की संख्या की तुलना में आवेदनों की संख्या काफी कम रही. यह पहला मौका नहीं है जब आवास बोर्ड की प्रॉपर्टी खरीदने के प्रति लोगों की उदासीनता दिखी है. इससे पहले भी जब कभी भी आवास बोर्ड ने फ्लैट बेचने का काम किया है उसमें लोगों की सहभागिता कम दिखी है.
बात यदि इस बार 9 अप्रैल को हुए ई-लॉटरी के माध्यम से हुए फ्लैटों के आवंटन की करें तो इस बार 181 फ्लैटों के लिए बोर्ड के पास कुल 161 आवेदन आए थे. जिसमें से 107 वैध पाए गए. वैध पाए गए आवेदन में 87 को ई-लॉटरी के लिए योग्य माना गया. जिसमें से महज 58 लोगों को सपनों का घर मिला है.
आवास बोर्ड के फ्लैट नहीं बिकने की ये है वजह
राजधानी रांची में स्थित सबसे प्राइम लोकेशन हरमू में आवास बोर्ड का फ्लैट होने के बावजूद भी इसकी बिक्री नहीं हो पाने के पीछे कई वजह है. सबसे बड़ी वजह फ्लैट का मूल्य निर्धारण है. बोर्ड ने जो फ्लैट की कीमत रखी है वह निजी बिल्डरों के द्वारा निर्धारित फ्लैटों के इर्द-गिर्द है. इसके अलावा जो फ्लैट बने हुए हैं वह काफी पुराने हैं. सबसे बड़ा कारण एक यह है कि आरक्षित कोटे के फ्लैट नहीं बिक रहे हैं. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी, सेवानिवृत्त राज्य सरकार के कर्मियों आदि श्रेणी के लिए आरक्षित फ्लैट नहीं बिक पा रहे हैं.
फ्लैटों की बिक्री नहीं होने के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि बड़ी संख्या में आवास बोर्ड की जमीन और फ्लैट पर अवैध रूप से लोगों का कब्जा है. ऐसे में नए खरीदार झमेले में फंसना नहीं चाहते हैं.
जागरुकता अभियान चलाने की जरूरतः एमडी
आवास बोर्ड के एमडी अमित कुमार भी स्वीकारते हैं कि आरक्षित कोटे में आवेदन कम प्राप्त हो रहे हैं. इसके लिए आगे जागरुकता अभियान चलाने की आवश्यकता है. जिसे बोर्ड के द्वारा ध्यान में रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि जिन फ्लैटों की बिक्री नहीं हो पाई है उसे आने वाले समय में एक बार फिर ई -लॉटरी के माध्यम से बिक्री करने का प्रयास किया जाएगा. उन्होंने कहा कि रांची के बाद अन्य शहरों में भी आवास बोर्ड के जो फ्लैट बन कर तैयार है उसे ई-लॉटरी के माध्यम से लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा.
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