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कौन थे हजरत सैयद सालार मसूद गाजी; जेठ मेले पर क्यों हो रहा है विवाद, क्या कहते हैं धर्मगुरु - BAHRAICH JETH MELA CONTROVERSY

बहराइच में जेठ माह में लगने वाला ऐतिहासिक मेला विवादों में है. इस मामले की गुरुवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई होगी.

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भाजपा पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का आरोप. (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 14, 2025 at 6:41 PM IST

4 Min Read

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में हजरत सैयद सालार मसूद गाजी की मजार पर हर साल जेठ माह में लगने वाला ऐतिहासिक मेला इस बार विवादों में घिर गया है. प्रशासनिक अनुमति न मिलने के खिलाफ वक्फ नंबर 19 दरगाह शरीफ कमेटी की ओर से दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 14 मई के लिए तय की थी, लेकिन अब ये सुनवाई 15 मई को होगी. याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता लालता प्रसाद ने कहा कि यह मेला वर्षों पुरानी परंपरा है. इसमें हर साल चार से पांच लाख श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं.

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सांसद इमरान मसूद (Photo Credit- ETV Bharat)

प्रशासन की सख्ती और सुरक्षा इंतजाम: इस वर्ष 15 मई से मेला प्रस्तावित था, लेकिन जिला प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया. प्रशासन का कहना है कि एलआईयू और अन्य एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया गया है. वहीं, जिला प्रशासन ने दरगाह परिसर के भीतर किसी धार्मिक परंपरा पर रोक न होने की बात भी कोर्ट में रखी है.

बहराइच में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. जिला प्रशासन ने जिले की सीमाओं पर नाकाबंदी करते हुए अन्य जिलों जैसे बलरामपुर, श्रावस्ती, लखनऊ, गोरखपुर आदि के डीएम और एसपी को पत्र भेजकर जायरीनों को वहीं रोकने को कहा है. भारी संख्या में पुलिस बल और पीएसी की तैनाती भी की गई है.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आक्रांताओं का महिमामंडन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. (Photo Credit- ETV Bharat)

मामला क्यों हुआ विवादित?
विवाद की शुरुआत इस साल 18 मार्च को संभल में गाजी मियां के नाम पर लगने वाले मेले से हुई थी. प्रशासन ने इसे 'लुटेरे की याद' कहकर इजाजत देने से मना कर दिया. इसके बाद हिंदू संगठनों ने बहराइच और अन्य जिलों में भी ऐसे मेलों पर रोक लगाने की मांग की.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आक्रांताओं का महिमामंडन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने भी इस मेला पर आपत्ति जताते हुए इसे बंद कर, राजा सुहेलदेव के नाम पर मेला आयोजित करने की मांग की.

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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Photo Credit- ETV Bharat)

राजनीतिक और धार्मिक प्रतिक्रियाएं: सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, मेला किस नाम से लगता है, इससे अधिक जरूरी है यह देखना कि उससे कितनों को रोजगार मिलता है. उन्होंने भाजपा पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का आरोप लगाया.

सांसद इमरान मसूद ने मसूद गाजी को सूफी संत बताते हुए कहा, यह मजार हिंदू-मुस्लिम दोनों की आस्था का केंद्र है.अजमेर दरगाह कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष सैयद बाबर अशरफ ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह हिन्दू-मुस्लिम को बांटकर शासन करने की रणनीति पर चल रही है.

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ऑल इंडिया मोहम्मदी मिशन यूथ विंग के अध्यक्ष सैयद अहमद मियां (Photo Credit- ETV Bharat)

किछौछा दरगाह के सैयद अहमद मियां ने कहा कि मसूद गाजी को आक्रांता कहना गलत है, क्योंकि वह उस समय अफगानिस्तान से थे जो उस समय भारत का हिस्सा था. वह भारत के एक प्रांत से दूसरे प्रांत गए थे.

पर्यटन विभाग की वेबसाइट से दरगाह की जानकारी गायब: उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने अपनी वेबसाइट से दरगाह की जानकारी हटा दी है. इस बारे में बहराइच के जिला पर्यटन अधिकारी ने कहा कि यह निर्णय लखनऊ से लिया गया होगा.

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अजमेर दरगाह कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष सैयद बाबर अशरफ (Photo Credit- ETV Bharat)

इतिहास की जड़ें और वर्तमान की राजनीतिक बयार: सैयद सालार मसूद गाजी गजनवी वंश से संबंध रखते थे और कहा जाता है कि राजा सुहेलदेव ने उन्हें 1034 ई. में चितौरा के युद्ध में हराया था. यही वजह है कि सुहेलदेव को हिंदुत्व राजनीति में एक प्रतीक के रूप में उभारा गया है.

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बहराइच दरगाह कमेटी के अध्यक्ष बकाउल्लाह (Photo Credit- ETV Bharat)

आप को बता दें कि गाजी मियां के नाम पर सिर्फ बहराइच ही नहीं, बल्कि संभल, मुरादाबाद, रुदौली और बनारस में भी मेला लगता रहा है. इस बार सरकार की सख्ती और प्रशासनिक रोक ने न सिर्फ परंपरा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि इसे राजनीतिक अखाड़ा भी बना दिया है.

फिलहाल मेला अधर में, निगाहें अदालत पर: दरगाह कमेटी के अध्यक्ष बकाउल्लाह का कहना है कि दरगाह परिसर की परंपराएं जारी रहेंगी, लेकिन प्रशासन द्वारा ज़िले की सीमाओं पर जायरीनों को रोके जाने से श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंच रही है. अब यह देखना होगा कि हाईकोर्ट की अगली सुनवाई में क्या रुख सामने आता है और क्या वर्षों पुरानी परंपरा को प्रशासनिक अनुमति मिलेगी.

ये भी पढ़ें- बहराइच दरगाह मेले को लेकर कल हाईकोर्ट में होगी सुनवाई, प्रशासन ने नहीं दी अनुमति, चप्पे-चप्पे पर नजर रख रही पुलिस और पीएसी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में हजरत सैयद सालार मसूद गाजी की मजार पर हर साल जेठ माह में लगने वाला ऐतिहासिक मेला इस बार विवादों में घिर गया है. प्रशासनिक अनुमति न मिलने के खिलाफ वक्फ नंबर 19 दरगाह शरीफ कमेटी की ओर से दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 14 मई के लिए तय की थी, लेकिन अब ये सुनवाई 15 मई को होगी. याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता लालता प्रसाद ने कहा कि यह मेला वर्षों पुरानी परंपरा है. इसमें हर साल चार से पांच लाख श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं.

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सांसद इमरान मसूद (Photo Credit- ETV Bharat)

प्रशासन की सख्ती और सुरक्षा इंतजाम: इस वर्ष 15 मई से मेला प्रस्तावित था, लेकिन जिला प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया. प्रशासन का कहना है कि एलआईयू और अन्य एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया गया है. वहीं, जिला प्रशासन ने दरगाह परिसर के भीतर किसी धार्मिक परंपरा पर रोक न होने की बात भी कोर्ट में रखी है.

बहराइच में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. जिला प्रशासन ने जिले की सीमाओं पर नाकाबंदी करते हुए अन्य जिलों जैसे बलरामपुर, श्रावस्ती, लखनऊ, गोरखपुर आदि के डीएम और एसपी को पत्र भेजकर जायरीनों को वहीं रोकने को कहा है. भारी संख्या में पुलिस बल और पीएसी की तैनाती भी की गई है.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आक्रांताओं का महिमामंडन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. (Photo Credit- ETV Bharat)

मामला क्यों हुआ विवादित?
विवाद की शुरुआत इस साल 18 मार्च को संभल में गाजी मियां के नाम पर लगने वाले मेले से हुई थी. प्रशासन ने इसे 'लुटेरे की याद' कहकर इजाजत देने से मना कर दिया. इसके बाद हिंदू संगठनों ने बहराइच और अन्य जिलों में भी ऐसे मेलों पर रोक लगाने की मांग की.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आक्रांताओं का महिमामंडन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने भी इस मेला पर आपत्ति जताते हुए इसे बंद कर, राजा सुहेलदेव के नाम पर मेला आयोजित करने की मांग की.

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सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Photo Credit- ETV Bharat)

राजनीतिक और धार्मिक प्रतिक्रियाएं: सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा, मेला किस नाम से लगता है, इससे अधिक जरूरी है यह देखना कि उससे कितनों को रोजगार मिलता है. उन्होंने भाजपा पर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का आरोप लगाया.

सांसद इमरान मसूद ने मसूद गाजी को सूफी संत बताते हुए कहा, यह मजार हिंदू-मुस्लिम दोनों की आस्था का केंद्र है.अजमेर दरगाह कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष सैयद बाबर अशरफ ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह हिन्दू-मुस्लिम को बांटकर शासन करने की रणनीति पर चल रही है.

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ऑल इंडिया मोहम्मदी मिशन यूथ विंग के अध्यक्ष सैयद अहमद मियां (Photo Credit- ETV Bharat)

किछौछा दरगाह के सैयद अहमद मियां ने कहा कि मसूद गाजी को आक्रांता कहना गलत है, क्योंकि वह उस समय अफगानिस्तान से थे जो उस समय भारत का हिस्सा था. वह भारत के एक प्रांत से दूसरे प्रांत गए थे.

पर्यटन विभाग की वेबसाइट से दरगाह की जानकारी गायब: उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने अपनी वेबसाइट से दरगाह की जानकारी हटा दी है. इस बारे में बहराइच के जिला पर्यटन अधिकारी ने कहा कि यह निर्णय लखनऊ से लिया गया होगा.

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अजमेर दरगाह कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष सैयद बाबर अशरफ (Photo Credit- ETV Bharat)

इतिहास की जड़ें और वर्तमान की राजनीतिक बयार: सैयद सालार मसूद गाजी गजनवी वंश से संबंध रखते थे और कहा जाता है कि राजा सुहेलदेव ने उन्हें 1034 ई. में चितौरा के युद्ध में हराया था. यही वजह है कि सुहेलदेव को हिंदुत्व राजनीति में एक प्रतीक के रूप में उभारा गया है.

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बहराइच दरगाह कमेटी के अध्यक्ष बकाउल्लाह (Photo Credit- ETV Bharat)

आप को बता दें कि गाजी मियां के नाम पर सिर्फ बहराइच ही नहीं, बल्कि संभल, मुरादाबाद, रुदौली और बनारस में भी मेला लगता रहा है. इस बार सरकार की सख्ती और प्रशासनिक रोक ने न सिर्फ परंपरा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि इसे राजनीतिक अखाड़ा भी बना दिया है.

फिलहाल मेला अधर में, निगाहें अदालत पर: दरगाह कमेटी के अध्यक्ष बकाउल्लाह का कहना है कि दरगाह परिसर की परंपराएं जारी रहेंगी, लेकिन प्रशासन द्वारा ज़िले की सीमाओं पर जायरीनों को रोके जाने से श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंच रही है. अब यह देखना होगा कि हाईकोर्ट की अगली सुनवाई में क्या रुख सामने आता है और क्या वर्षों पुरानी परंपरा को प्रशासनिक अनुमति मिलेगी.

ये भी पढ़ें- बहराइच दरगाह मेले को लेकर कल हाईकोर्ट में होगी सुनवाई, प्रशासन ने नहीं दी अनुमति, चप्पे-चप्पे पर नजर रख रही पुलिस और पीएसी

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