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प्रॉपर्टी या जमीन खरीदते समय पहले देख लें ये डॉक्यूमेंट, इन बातों का रखें ध्यान, लापरवाही से होगा भारी नुकसान - CHECK LAND PURCHASE DOCUMENTS

आज प्रॉपर्टी या जमीन की धोखाधड़ी के मामले रोजाना सामने आ ही जाते है. इसकी खरीद फरोख्त करते समय कुछ बातों का ध्यान रखें

प्रॉपर्टी या जमीन खरीदते समय पहले देख लें ये डॉक्यूमेंट
प्रॉपर्टी या जमीन खरीदते समय पहले देख लें ये डॉक्यूमेंट (कॉन्सेप्ट इमेज)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : March 23, 2025 at 3:42 PM IST

8 Min Read

शिमला: अगर आप कोई जमीन खरीदने जा रहे हैं तो ये बेहद जरूरी है कि उसकी अच्छे से जांच पड़ताल की जाए. अक्सर हम देखते हैं कि लोग फ्रॉड का शिकार हो जाते हैं. इसके बाद सालों साल कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं, इसलिए प्रॉपर्टी के मालिकाना हक और पेपर्स की पड़ताल करना जरूरी होता है.

आज के समय में प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने के नाम पर धोखाधड़ी के मामले रोजाना सामने आ ही जाते है. आप अगर डॉक्यूमेंट्स को देखकर जमीन या किसी भी प्रकार की प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो काफी हद तक किसी भी धोखाधड़ी का शिकार होने से बच सकते हैं. प्रॉपर्टी खरीदने से पहले कौन से डॉक्यूमेंट्स चेक करने चाहिए इसके लिए हमने हिमाचल हाईकोर्ट के एडवोकेट विनोद शर्मा से बात की उन्होंने हमें बताया कि जमीन खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

विनोद शर्मा, एडवोकेट (ETV Bharat)
  • सवाल: जमीन खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें ?

एडवोकेट विनोद शर्मा ने बताया कि, 'जमीन खरीदते समय ये जानना बेहद जरूरी है कि हम लैंड कहां खरीद रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा एग्रीकल्चर लैंड है.लैंड की दो तरह की कैटेगरी होती है. एक जो शहरी निकाय (नगर निगम, नगर परिषद आदि) और दूसरी पंचायत के तहत आती है. हिमाचल में प्रॉपर्टी ट्रांसफर के लिए नियम और कायदे हैं. इसमें ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट 1888, दूसरा हिमाचल रिफॉर्म एक्ट 1972 और लैंड रेवन्यू एक्ट 1954 शामिल हैं. ये एक्ट हमें बताते हैं कि कृषक और गैर कृषक को कैसे जमीन जमीन बेचनी हैं और उसमें क्या-क्या नियम शर्तें हैं. बाहरी राज्य का व्यक्ति अगर हिमाचल में जमीन खरीदना चाहता है तो उसके लिए क्या शर्ते हैं.'
प्रापर्टी खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान

1. सबसे पहले हमें सैलर से जमाबंदी में टाइटल वेरीफाई करना बेहद जरूरी होता है. इससे ये जानकारी हमें मिल जाती है कि ये जमीन किस व्यक्ति की है. इसके साथ ही जमीन का नेचर ऑफ लैंड देखना भी बहुत जरूरी है, जो जमीन बेच रहा है वो असली ऑनर है. अगर जमीन का पूरा मालिकाना हक एक व्यक्ति के पास है तो पूरी जमीन बेच सकता है, लेकिन अगर जमीन पर दो से चार शेयर होल्डर हैं तो वो सिर्फ शेयर बेच सकते हैं, इसलिए अगर जमीन खरीद रहे हैं तो रियल ऑनर का जरूर पता करें.

2. ये देखना भी बहुत जरूरी है कि कहीं जमीन बैंक के पास रहन तो नहीं है. गिरवी का पैसा भुगतान हो चुका है या नहीं ये भी जरूर चेक करें. जमीन की जमाबंदी निकालते समय कॉलम में लिखा होता है कि जमीन बैंक के पास गिरवी है, अगर जमीन गिरवी है तो खरीदते समय संबंधित बैंक से एनओसी जरूर लें कि गिरवी जमीन का भुगतान हो चुका है या नहीं?

3. जमीन के सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स चेक करें. इसके लिए आप किसी वकील की भी मदद ले सकते हैं. जमीन को लेकर कोई विवाद तो नहीं चल रहा है, इस बारे में भी जानकारी ले. जमीन के आसपास का रेट पता करें. कहीं प्रॉपर्टी ऑनर आपसे ज्यादा पैसा तो नहीं ले रहा है.

4. जमीन खरीदते समय जमाबंदी पर टाइटल चैक करें कि ऑनरशिप किसकी है. जमीन का पोजेशन किसके पास है. नेचर ऑफ लैंड क्या है ये सारी जानकारी जमाबंदी पर मिलती है. एक दो महीने पहले की जमाबंदी में सारा लेटेस्ट डाटा मौजूद होता है. इसलिए जमीन की जमाबंदी बेहद जरूरी है. साथ ही पटवारी की वेरिफिकेशन भी जरूरी है.

विनोद शर्मा ने बताया कि, 'कुछ मामलों में जमीन विक्रेता और खरीददार में एग्रीमेंट हो रहा होता है, लेकिन जमीन पर स्टे होता है. कोर्ट ने लैंड पर किसी तरह का स्टे या कोई निर्णय दिया है तो ऐसे में पटवारी की ये ड्यूटी होती है कि उस स्टेटस को लाल स्याही में जमाबंदी में दर्ज करता है. ऐसे में जमाबंदी चेक करने से खरीददार स्टेट्स से वाकिफ रहता है. इसके साथ ही जो जमीन विक्रेता की पहचान करना भी जरूरी है, क्योंकि कई बार विक्रेता आपके साथ धोखाधड़ी कर सकते हैं. कई बार जमीन विक्रेता लैंड को कई आदमियों को बेच देता है. अगर आपको जमीन खरीदने या बेचने के बारे में जानकारी नहीं हैं तो आप वकील की मदद ले सकते हैं.'

  • सवाल- जमीन खरीदने से पहले कौन से डॉक्यूमेंट्स चेक करने चाहिए?

जवाब- ये बहुत जरूरी है कि जमीन या प्रॉपर्टी खरीदने से पहले उसकी पूरी तसल्ली से जांच करें. सभी डॉक्यूमेंट्स चेक करें और उन्हें वेरिफाई करें. सबसे पहले तो जमीन की खसरा-खतौनी चेक करें. ये भी जानना बहुत जरूरी है कि प्लॉट में किसी तरह का लोन तो नहीं है. जमीन की स्थिति जानने के लिए नक्शा जरूर देखें. ऑनर का ID प्रूफ जमीन के डॉक्यूमेंट के साथ वेरिफाई करें. जमाबंदी जरूरी देखे. जमाबंदी में लेटेस्ट डाटा देखे.

  • सवाल- जमीन या प्लॉट खरीदने से पहले नक्शा देखना क्यों जरूरी है?

जवाब- नक्शा का अप्रूव होना बेहद जरूरी है. इससे जमीन पर किसी विवाद या कानूनी समस्या के बारे में पता चलता है. इसके अलावा नक्शा देखने से आपको जमीन का आकार, मालिकाना हक, उसकी दिशा, सीमा और उसके आसपास की जमीनों के बारे में सही जानकारी मिलती है. इसलिए कोई भी जमीन खरीदने से पहले उसका नक्शा देखना बहुत जरूरी है.

  • सवाल- अगर प्रॉपर्टी डीलर किसी तरह का फ्रॉड करता है तो क्या करें?

जवाब- आज कल ब्रोकर जो प्रॉपर्टी बेचते है तो काफी मात्रा में बढ़ गए है. इसके लिए जो जमीन बेच रहा है उसकी ID PROOF सबसे ज्यादा जरूरी है, क्योंकि फ्रॉड काफी ज्यादा हो रहे है. अक्सर धोखाधड़ी इस तरह की होती है कि एक ही लैंड को 8 से 10 लोगों को दिखा दी जाती है उनसे एग्रीमेंट भी कर दिया जाता है, लेकिन किसी तीसरे को ही जमीन बेच दी जाती है. ऐसे में धोखाधड़ी से बचने के लिए एडवोकेट की मदद ली जा सकती है. अगर धोखाधड़ी का शिकार हो जाए तो बिना समय गवाएं नजदीकी पुलिस थाने में इसकी शिकायत दर्ज करानी चाहिए.

क्या है ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट

टीपीए पूरे भारत में लागू है. ये अधिनियम निर्धारित करता है कि अचल संपत्ति को किस माध्यम से स्थानांतरित किया जा सकता है. यह अधिनियम बिक्री, बंधक, अजन्मे बच्चे के अधिकार आदि को निर्धारित करता है. ये अधिनियम एक सामान्य कानून है, जो अचल (मूर्त या अमूर्त) संपत्ति से संबंधित है.

हिमाचल रिफॉर्म एक्ट 1972

जहां तक ​​हिमाचल प्रदेश भूमि सुधार एवं काश्तकारी अधिनियम 1972 का सवाल है, यह केवल हिमाचल प्रदेश में ही लागू है. धारा 118 गैर-कृषकों को हिमाचल प्रदेश सरकार की पूर्व अनुमति के बिना हिमाचल प्रदेश में भूमि खरीदने से रोकती है.

आखिर क्या है धारा 118 ?- हिमाचल प्रदेश किरायेदारी और भूमि सुधार अधिनियम, 1972 (Himachal Pradesh Tenancy and Land Reforms Act 1972) के तहत हिमाचल के लोगों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए एक विशेष प्रावधान किया गया है. इस एक्ट में धारा 118 के तहत गैर-कृषकों को जमीन ट्रांसफर करने पर प्रतिबंध होगा, यानी हिमाचल का गैर-कृषक भी हिमाचल में ज़मीन नहीं खरीद सकता. यहां तक कि इस धारा के तहत हिमाचल में रहने वाला शख्स भी जो कृषक नहीं है या जिसके पास कृषि की भूमि नहीं है वो भी कृषि भूमि नहीं खरीद सकता.

धारा 118 के तहत हिमाचल प्रदेश का कोई भी जमीन मालिक किसी भी गैर कृषक को किसी भी जरिये (सेल डीड, गिफ्ट, लीज, ट्रांसफर, गिरवी आदि) से जमीन नहीं दे सकता. भूमि सुधार अधिनियम 1972 की धारा 2(2) के मुताबिक जमीन का मालिकाना हक उसका होगा जो हिमाचल प्रदेश में अपनी जमीन पर खेती करता होगा. जो व्यक्ति किसान नहीं है और हिमाचल में जमीन खरीदना चाहता है उसे प्रदेश सरकार से अनुमति लेनी होगी.

ये भी पढ़ें: क्या है धारा 118, विस्तार से पढ़ें

शिमला: अगर आप कोई जमीन खरीदने जा रहे हैं तो ये बेहद जरूरी है कि उसकी अच्छे से जांच पड़ताल की जाए. अक्सर हम देखते हैं कि लोग फ्रॉड का शिकार हो जाते हैं. इसके बाद सालों साल कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं, इसलिए प्रॉपर्टी के मालिकाना हक और पेपर्स की पड़ताल करना जरूरी होता है.

आज के समय में प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने के नाम पर धोखाधड़ी के मामले रोजाना सामने आ ही जाते है. आप अगर डॉक्यूमेंट्स को देखकर जमीन या किसी भी प्रकार की प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो काफी हद तक किसी भी धोखाधड़ी का शिकार होने से बच सकते हैं. प्रॉपर्टी खरीदने से पहले कौन से डॉक्यूमेंट्स चेक करने चाहिए इसके लिए हमने हिमाचल हाईकोर्ट के एडवोकेट विनोद शर्मा से बात की उन्होंने हमें बताया कि जमीन खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

विनोद शर्मा, एडवोकेट (ETV Bharat)
  • सवाल: जमीन खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें ?

एडवोकेट विनोद शर्मा ने बताया कि, 'जमीन खरीदते समय ये जानना बेहद जरूरी है कि हम लैंड कहां खरीद रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा एग्रीकल्चर लैंड है.लैंड की दो तरह की कैटेगरी होती है. एक जो शहरी निकाय (नगर निगम, नगर परिषद आदि) और दूसरी पंचायत के तहत आती है. हिमाचल में प्रॉपर्टी ट्रांसफर के लिए नियम और कायदे हैं. इसमें ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट 1888, दूसरा हिमाचल रिफॉर्म एक्ट 1972 और लैंड रेवन्यू एक्ट 1954 शामिल हैं. ये एक्ट हमें बताते हैं कि कृषक और गैर कृषक को कैसे जमीन जमीन बेचनी हैं और उसमें क्या-क्या नियम शर्तें हैं. बाहरी राज्य का व्यक्ति अगर हिमाचल में जमीन खरीदना चाहता है तो उसके लिए क्या शर्ते हैं.'
प्रापर्टी खरीदते समय इन बातों का रखें ध्यान

1. सबसे पहले हमें सैलर से जमाबंदी में टाइटल वेरीफाई करना बेहद जरूरी होता है. इससे ये जानकारी हमें मिल जाती है कि ये जमीन किस व्यक्ति की है. इसके साथ ही जमीन का नेचर ऑफ लैंड देखना भी बहुत जरूरी है, जो जमीन बेच रहा है वो असली ऑनर है. अगर जमीन का पूरा मालिकाना हक एक व्यक्ति के पास है तो पूरी जमीन बेच सकता है, लेकिन अगर जमीन पर दो से चार शेयर होल्डर हैं तो वो सिर्फ शेयर बेच सकते हैं, इसलिए अगर जमीन खरीद रहे हैं तो रियल ऑनर का जरूर पता करें.

2. ये देखना भी बहुत जरूरी है कि कहीं जमीन बैंक के पास रहन तो नहीं है. गिरवी का पैसा भुगतान हो चुका है या नहीं ये भी जरूर चेक करें. जमीन की जमाबंदी निकालते समय कॉलम में लिखा होता है कि जमीन बैंक के पास गिरवी है, अगर जमीन गिरवी है तो खरीदते समय संबंधित बैंक से एनओसी जरूर लें कि गिरवी जमीन का भुगतान हो चुका है या नहीं?

3. जमीन के सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स चेक करें. इसके लिए आप किसी वकील की भी मदद ले सकते हैं. जमीन को लेकर कोई विवाद तो नहीं चल रहा है, इस बारे में भी जानकारी ले. जमीन के आसपास का रेट पता करें. कहीं प्रॉपर्टी ऑनर आपसे ज्यादा पैसा तो नहीं ले रहा है.

4. जमीन खरीदते समय जमाबंदी पर टाइटल चैक करें कि ऑनरशिप किसकी है. जमीन का पोजेशन किसके पास है. नेचर ऑफ लैंड क्या है ये सारी जानकारी जमाबंदी पर मिलती है. एक दो महीने पहले की जमाबंदी में सारा लेटेस्ट डाटा मौजूद होता है. इसलिए जमीन की जमाबंदी बेहद जरूरी है. साथ ही पटवारी की वेरिफिकेशन भी जरूरी है.

विनोद शर्मा ने बताया कि, 'कुछ मामलों में जमीन विक्रेता और खरीददार में एग्रीमेंट हो रहा होता है, लेकिन जमीन पर स्टे होता है. कोर्ट ने लैंड पर किसी तरह का स्टे या कोई निर्णय दिया है तो ऐसे में पटवारी की ये ड्यूटी होती है कि उस स्टेटस को लाल स्याही में जमाबंदी में दर्ज करता है. ऐसे में जमाबंदी चेक करने से खरीददार स्टेट्स से वाकिफ रहता है. इसके साथ ही जो जमीन विक्रेता की पहचान करना भी जरूरी है, क्योंकि कई बार विक्रेता आपके साथ धोखाधड़ी कर सकते हैं. कई बार जमीन विक्रेता लैंड को कई आदमियों को बेच देता है. अगर आपको जमीन खरीदने या बेचने के बारे में जानकारी नहीं हैं तो आप वकील की मदद ले सकते हैं.'

  • सवाल- जमीन खरीदने से पहले कौन से डॉक्यूमेंट्स चेक करने चाहिए?

जवाब- ये बहुत जरूरी है कि जमीन या प्रॉपर्टी खरीदने से पहले उसकी पूरी तसल्ली से जांच करें. सभी डॉक्यूमेंट्स चेक करें और उन्हें वेरिफाई करें. सबसे पहले तो जमीन की खसरा-खतौनी चेक करें. ये भी जानना बहुत जरूरी है कि प्लॉट में किसी तरह का लोन तो नहीं है. जमीन की स्थिति जानने के लिए नक्शा जरूर देखें. ऑनर का ID प्रूफ जमीन के डॉक्यूमेंट के साथ वेरिफाई करें. जमाबंदी जरूरी देखे. जमाबंदी में लेटेस्ट डाटा देखे.

  • सवाल- जमीन या प्लॉट खरीदने से पहले नक्शा देखना क्यों जरूरी है?

जवाब- नक्शा का अप्रूव होना बेहद जरूरी है. इससे जमीन पर किसी विवाद या कानूनी समस्या के बारे में पता चलता है. इसके अलावा नक्शा देखने से आपको जमीन का आकार, मालिकाना हक, उसकी दिशा, सीमा और उसके आसपास की जमीनों के बारे में सही जानकारी मिलती है. इसलिए कोई भी जमीन खरीदने से पहले उसका नक्शा देखना बहुत जरूरी है.

  • सवाल- अगर प्रॉपर्टी डीलर किसी तरह का फ्रॉड करता है तो क्या करें?

जवाब- आज कल ब्रोकर जो प्रॉपर्टी बेचते है तो काफी मात्रा में बढ़ गए है. इसके लिए जो जमीन बेच रहा है उसकी ID PROOF सबसे ज्यादा जरूरी है, क्योंकि फ्रॉड काफी ज्यादा हो रहे है. अक्सर धोखाधड़ी इस तरह की होती है कि एक ही लैंड को 8 से 10 लोगों को दिखा दी जाती है उनसे एग्रीमेंट भी कर दिया जाता है, लेकिन किसी तीसरे को ही जमीन बेच दी जाती है. ऐसे में धोखाधड़ी से बचने के लिए एडवोकेट की मदद ली जा सकती है. अगर धोखाधड़ी का शिकार हो जाए तो बिना समय गवाएं नजदीकी पुलिस थाने में इसकी शिकायत दर्ज करानी चाहिए.

क्या है ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट

टीपीए पूरे भारत में लागू है. ये अधिनियम निर्धारित करता है कि अचल संपत्ति को किस माध्यम से स्थानांतरित किया जा सकता है. यह अधिनियम बिक्री, बंधक, अजन्मे बच्चे के अधिकार आदि को निर्धारित करता है. ये अधिनियम एक सामान्य कानून है, जो अचल (मूर्त या अमूर्त) संपत्ति से संबंधित है.

हिमाचल रिफॉर्म एक्ट 1972

जहां तक ​​हिमाचल प्रदेश भूमि सुधार एवं काश्तकारी अधिनियम 1972 का सवाल है, यह केवल हिमाचल प्रदेश में ही लागू है. धारा 118 गैर-कृषकों को हिमाचल प्रदेश सरकार की पूर्व अनुमति के बिना हिमाचल प्रदेश में भूमि खरीदने से रोकती है.

आखिर क्या है धारा 118 ?- हिमाचल प्रदेश किरायेदारी और भूमि सुधार अधिनियम, 1972 (Himachal Pradesh Tenancy and Land Reforms Act 1972) के तहत हिमाचल के लोगों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए एक विशेष प्रावधान किया गया है. इस एक्ट में धारा 118 के तहत गैर-कृषकों को जमीन ट्रांसफर करने पर प्रतिबंध होगा, यानी हिमाचल का गैर-कृषक भी हिमाचल में ज़मीन नहीं खरीद सकता. यहां तक कि इस धारा के तहत हिमाचल में रहने वाला शख्स भी जो कृषक नहीं है या जिसके पास कृषि की भूमि नहीं है वो भी कृषि भूमि नहीं खरीद सकता.

धारा 118 के तहत हिमाचल प्रदेश का कोई भी जमीन मालिक किसी भी गैर कृषक को किसी भी जरिये (सेल डीड, गिफ्ट, लीज, ट्रांसफर, गिरवी आदि) से जमीन नहीं दे सकता. भूमि सुधार अधिनियम 1972 की धारा 2(2) के मुताबिक जमीन का मालिकाना हक उसका होगा जो हिमाचल प्रदेश में अपनी जमीन पर खेती करता होगा. जो व्यक्ति किसान नहीं है और हिमाचल में जमीन खरीदना चाहता है उसे प्रदेश सरकार से अनुमति लेनी होगी.

ये भी पढ़ें: क्या है धारा 118, विस्तार से पढ़ें

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