देवघर: जिले में बाबा बैद्यनाथ धाम के बाद त्रिकुट पर्वत सबसे महत्वपूर्ण दार्शनिक स्थल के रूप में जाना जाता है. यहां जो भी श्रद्धालु बाबा धाम में पूजा करने पहुंचते हैं, वह एक बार त्रिकुट पहाड़ जरूर घूमने जाते हैं. लेकिन इन दिनों त्रिकुट पहाड़ पर सैलानियों की संख्या कम हो रही है, क्योंकि वर्ष 2022 में त्रिकुट पहाड़ पर रोपवे हादसे के बाद लोगों का यहां आना काफी कम हो गया है.
रोपवे बंद होने से कमाई पर पड़ रहा असर
स्थानीय लोगों ने बताया कि जब से रोपवे हादसा हुआ है, तब से सैलानियों की संख्या में काफी कमी आई है. लोगों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द रोपवे को दुरुस्त किया जाए ताकि पहले की तरह यहां की रौनक वापस लौट आए. त्रिकुट पहाड़ पर काम करने वाले फोटोग्राफर ने भी कहा कि जब रोपवे हुआ करता था, उस समय उनकी आमदनी प्रतिदिन पांच सौ से हजार रुपये हुआ करती थी, लेकिन वर्ष 2022 से त्रिकुट पहाड़ पर काम करने वाले सभी फोटोग्राफर और दुकानदारों की आमदनी ना के बराबर हो गई है.
मंत्री के आश्वासन के बाद भी नहीं चालू हुआ रोपवे
कुछ दिन पहले ही झामुमो सांसद नलिन सोरेन ने भी राज्य के पर्यटन मंत्री से आग्रह किया था कि जल्द से जल्द रोपवे को दुरुस्त किया जाए, ताकि फिर से देवघर में सैलानियों की संख्या में बढ़ोतरी हो सके. महाशिवरात्रि के मौके पर जब राज्य के पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू देवघर पहुंचे थे तो उन्होंने भी देवघर वासियों को यह आश्वासन दिया था कि जल्द से जल्द त्रिकुट रोपवे को फिर से संचालित कर दिया जाएगा.

त्रिकुट पहाड़ पर घूमने पहुंचे त्रिपुरा निवासी रूपेण देव वर्मा ने बताया कि उन्होंने त्रिकुट पहाड़ के बारे में टीवी और धार्मिक किताबों में पढ़ा था, लेकिन उन्हें आज पहली बार यहां घूमने का मौका मिला है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर रोपवे होता तो आज वह भी त्रिकुट के इतिहास को अच्छे से समझ पाते.

सैलानियों की संख्या में आई कमी
सैलानियों से कमाने वाले स्थानीय लोगों ने बताया कि जब रोपवे हादसा नहीं हुआ था तो उस वक्त सैलानियों की संख्या हजारों में होती थी. लेकिन इस हादसे के बाद से सैलानियों की संख्या सैकड़ों में हो गई है. लोगों ने कहा कि त्रिकुट पहाड़ पर सैलानियों के लिए सिर्फ रोपवे ही आकर्षण का केंद्र नहीं है, बल्कि यहां पर बने कई प्राचीन मंदिर भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. लेकिन जिला प्रशासन और राज्य सरकार की उदासीन रवैया के कारण यहां पर बने प्राचीन मंदिरों की भी देखरेख सही तरीके से नहीं हो पा रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर जल्द से जल्द रोपवे को दुरुस्त नहीं किया जाता है तो निश्चित रूप से राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान तो होगा ही साथ ही लोगों के कमाई पर भी इसका असर पड़ेगा.
वहीं, रोपवे दुरुस्त को लेकर हमने जब राज्य के पर्यटन सचिव एवं वरिष्ठ आईएएस मनोज कुमार से बात की, तो उन्होंने कहा कि इसको लेकर विभिन्न विभागों और पथ निर्माण विभाग से समन्वय बनाया जा रहा है. रोपवे के निर्माण में कई ऐसे समान हैं जो विदेशों से लाए जाते हैं. इसलिए अगले एक से दो साल में नया रोपवे का निर्माण कर दिया जाएगा. जहां पर पुराना रोपवे बनाया गया है उसे हटाकर नए रोपवे बनाने की तैयारी शुरू की जा रही है.
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