करनाल: जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों के बीच अब देश के वैज्ञानिक विपरीत परिस्थितियों में अधिक पैदावार और अधिक पोषक तत्वों वाली नई गेहूं एवं जौ की किस्मों को ईजाद करने के लिए अनुसंधान कर रहे हैं. इसी कड़ी में गेहूं की 12 एवं जौ की तीन नई जलवायु सहनशील, रोग रोधी किस्में जारी की गई है. जिन्हें केंद्रीय किस्म रिलीज कमेटी के अनुमोदित करने के बाद भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. रतन तिवारी ने जारी किया है. ये किस्में बेहतर पैदावार के साथ-साथ बायो फोर्टिफाइड भी है. जिससे इन किस्मों का गेहूं सेहत के लिए भी बेहतर साबित होगा. इन किस्मों का बीज ब्रीडर एजेंसियों को तो अलगे साल मिल जाएगा, लेकिन किसानों तक वर्ष 2027 तक पहुंच पाएगा.
गेहूं-जौ की नई किस्में रिलीज: संस्थान के निदेशक डॉ. रतन तिवारी ने बताया कि गेहूं की जो 12 नई किस्में रिलीज की गई हैं, इनमें दो उनके संस्थान की ओर से विकसित की गई है. इनमें डीबीडब्लयू 386 जिसे कर्ण खुशबू नाम दिया गया है. यह किस्म सिंचित और समय से बुवाई के लिए हरियाणा-पंजाब सहित उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र के लिए अनुमोदित की गई है. इसकी औसत पैदावार 52.01 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह जलवायु सहनशील होने के साथ-साथ रोगरोधी भी हैं. इसी प्रकार कुछ अन्य किस्में है. जो महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु का पर्वतीय क्षेत्र आदि के लिए अनुमोदित की गई है.
करनाल की है ये किस्में: संस्थान के निदेशक ने बताया कि जौ की तीन नई किस्में भी रिलीज हुई है. इनमें एक किस्म डीडब्ल्यू आरपी 223 करनाल की है. जो छिलका सहित जौ की किस्म है. इनकी औसत पैदावार 42.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. यह सिंचित क्षेत्र उत्तर पश्चिमी मैदानी भागों के लिए अनुमोदित की गई है. एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि देश में इस बार गेहूं की बंपर पैदावार होने की उम्मीद है. जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है, उसे हम आसानी से प्राप्त कर लेंगे.
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