धनबाद: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप द्वारा पिछले दिनों भारत समेत अन्य देशों पर टैरिफ वृद्धि का ऐलान किया है. भले ही इसे अगले 90 दिनों के लिए रोक लगा दी गई है. हालांकि चीन को इससे बाहर रखा गया है, अमेरिका का चीन पर 125 फीसदी टैरिफ लागू है. अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा लिए गए फैसले से भारत की अर्थव्यवस्था पर कितना असर पड़ेगा, इसे जानने के लिए ईटीवी भारत संवाददाता नरेंद्र निषाद ने बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्र के जानकार डॉ बीरेंद्र कुमार और असिस्टेंट प्रोफेसर अजीत नारायण दास से बातचीत की.
ईटीवी भारत से हुई खास बातचीत में डॉ बीरेंद्र कुमार ने कहा कि अगर टैरिफ लागू होती है तो इसका भारत में चौतरफा असर देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि भारत से एक्सपोर्ट घट जाएगी. अमेरिका में भारतीय सामान महंगे हो जाएंगे और महंगे होने के बाद भारतीय सामान की अमेरिका में बिक्री नहीं होगी. कपड़े, मशीनरी, कैपिटल बुश कई तरह के उत्पाद अमेरिकी नहीं खरीदेंगे. जिससे भारतीय उत्पादों की खपत कम हो जाएगी. उद्योग धंधे बंद हो जाएंगे और बेरोजगारी बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि टैरिफ किसी भी देश के लिए फायदेमंद नहीं है. दोनों देशों को आपसी समझौते के साथ इसे हटा देने की जरूरत है. जिस तरह से व्यवसाय चल रहा है, वैसे ही चलने की जरूरत है.
डॉ बीरेंद्र कुमार ने कहा कि अमेरिका से भी भारत में अधिक उत्पादों की खरीदारी हो रही है. अमेरिका से इंपोर्ट अधिक हो रहा है. लोग अच्छा सामान लेना चाहते हैं. इसलिए अमेरिका के उत्पाद अधिक मात्रा में भारत आने लगें हैं. जिसके बाद भारत 20 फीसदी टैरिफ लगा दिया. किसी भी देश के सामान पर अगर टैरिफ लगा दिया जाए तो वो देश चुप नहीं बैठ सकता है. इसलिए शायद ट्रंप ने भी टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी है. लेकिन इसका असर भारत पर पड़ेगा.
डॉ बीरेंद्र कुमार ने कहा कि इसके दूरगामी परिणाम भारत को भुगतना पड़ सकता है. भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो जाएगी. मुद्रास्फीति नहीं बल्कि मुद्रा अस्फीति उत्पन्न हो जाएगी. सामान उपलब्ध रहेगा, लेकिन पैसा नहीं रहेगा. फॉरेन करेंसी के आधार पर ही रुपए छपती है. फॉरेन करेंसी डॉलर ही है, डॉलर के आधार पर ही रुपया छपता है. डॉलर नहीं आएगा तो रुपए कैसे छपेगा. उन्होंने कहा कि भारत से अमेरिका चावल, गेहूं खाद्यान्न की खरीदारी करते हैं. भारत अमेरिका से मशीनरी मंगाते हैं. जबकि अमेरिका दूसरे किसी देश से भी खाद्यान्न खरीद सकता है.
वहीं, टैरिफ को लेकर असिस्टेंट प्रोफेसर अजीत नारायण दास ने कहा कि टैरिफ लगने से निर्यात घट जाएगा और विदेशी मुद्रा आना बंद हो जाएगा. टैरिफ लगने से जो सामान अमेरिका में हमारा बिक्री हो रहा है, वह बिक्री नहीं होगी. क्योंकि टैरिफ बढ़ने से उत्पाद के दामों में वृद्धि आएगी. जिसके कारण भारतीय उत्पादों के निर्यात में कमी आएगी. उन्होंने कहा कि हमारे देश में कंज्यूमर अधिक है. अमेरिकन उत्पादों का भारत में काफी अधिक सप्लाई है. इसके लिए भारत को भी टैरिफ लगाने की जरूरत है.
असिस्टेंट प्रोफेसर ने कहा कि हमारे कई उत्पादों की अमेरिका में अच्छी बिक्री है. टैरिफ लगने के बाद अमेरिका में यह महंगे हो जाएंगे. जिसके कारण उत्पादों की मांग अमेरिका में घटेगी. मांग घटने से उद्योग धंधे प्रभावित होंगे. बेरोजगारी चरम पर पहुंच जाएगी. इससे बचने के लिए हमें दूसरे देशों से व्यावसायिक संबंध बेहतर करने की आवश्यकता है. जिससे भविष्य में अमेरिका से जो स्थिति उत्पन्न होने वाली है, उसकी क्षति पूर्ति दूसरे देशों से कर सकें. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बीच अच्छे संबंध हैं, दोनों आपसी सुलह निकाल लें तो ज्यादा अच्छा है.
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