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बस्तर पंडुम क्या है, जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह हो रहे शामिल, जानिए पूरी डिटेल्स - WHAT IS BASTAR PANDUM

बस्तर पंडुम छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग की जनजातीय संस्कृति का भव्य उत्सव है.

BASTAR PANDUM
बस्तर पंडुम (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : April 5, 2025 at 12:16 PM IST

3 Min Read

रायपुर: बस्तर की जनजातीय पारंपरिक कला, नृत्य, जनजातीय व्यंजन, स्थानीय खाद्य पदार्थ और संस्कृति को संरक्षित करने के उद्देश्य से बस्तर पंडुम का आयोजन किया जा रहा है. दंतेवाड़ा में हो रहे इस भव्य आयोजन में आज केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हो रहे हैं.

बस्तर पंडुम में कई राज्यों के कलाकार: खास बात यह है कि इस कार्यक्रम में बस्तर के सात जिलों सहित असम, ओडिशा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश तेलंगाना राज्यों के करीब 1200 कलाकार भाग ले रहे हैं. पंडुम के जरिए बस्तर की लोक कला को नई पीढ़ी तक पहुंचाने और स्थानीय लोक कलाकार को अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच दिया गया है.

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल भी दंतेवाड़ा में बस्तर पंडुम में शामिल हुए. राज्यपाल ने कहा कि बस्तर अपनी जनजातीय संस्कृति, अनोखी परंपरा, लोकगीत, नृत्य शैलियों और हस्तशिल्प के लिए पूरे विश्व भर में जाना जाता है. यहां की प्रमुख जनजाति गोंड, मुरिया, मडिया हल्बा, धुरवा, दोरला हैं.

बस्तर पंडुम हमारी संस्कृति की समीक्षा करने का मौका दे रहा है. आधुनिक जीवन शैली को स्वीकार करते हुए भी अपनी विरासत को बचाए रखना ही सही मायने में समाज को एक सूत्र में बांधना है. इस तरह के आयोजन से निश्चित रूप से बस्तर की आदिवासी सांस्कृतिक विरासत को अखंड बनाए रखने में मदद मिलेगी.

बस्तर पंडुम क्या है: बस्तर पंडुम केवल एक महोत्सव नहीं है, बल्कि यह जनजातीय जीवन का पूरा स्केच है. बस्तर पंडुम के जरिए इस संस्कृति को एक मंच दिया जा रहा है और इसके प्रदर्शन के माध्यम से अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है. सरकार और समाज के सहयोग से बस्तर की सांस्कृतिक विरासत हो संरक्षित किया जा रहा है।

सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखने में जनजातीय समाज का अतुलनीय योगदान. बस्तर पंडुम समृद्ध जनजातीय संस्कृति को प्रदर्शित करने का एक अद्वितीय मंच-रमेन डेका,राज्यपाल,छत्तीसगढ़

जनजातीय संस्कृति का भव्य उत्सव: वहीं सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि बस्तर पंडुम, जनजातीय संस्कृति का भव्य उत्सव है. इस आयोजन के माध्यम से बस्तर पारंपरिक नृत्य, लोकगीत, हस्तशिल्प और आदिवासी रीति रिवाजों को नया मंच मिला है, जिससे न केवल स्थानीय संस्कृति को नई पहचान मिली है बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिला है.

छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि बस्तर पंडुम 2025, संस्कृति, कला और परंपरा का उत्सव है. यह जनजातीय जीवन के रंग, परंपराओं की गूंज और लोक संस्कृति का अद्भुत संगम है.

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बस्तर पंडुम में कई राज्यों के कलाकार: खास बात यह है कि इस कार्यक्रम में बस्तर के सात जिलों सहित असम, ओडिशा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश तेलंगाना राज्यों के करीब 1200 कलाकार भाग ले रहे हैं. पंडुम के जरिए बस्तर की लोक कला को नई पीढ़ी तक पहुंचाने और स्थानीय लोक कलाकार को अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच दिया गया है.

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल भी दंतेवाड़ा में बस्तर पंडुम में शामिल हुए. राज्यपाल ने कहा कि बस्तर अपनी जनजातीय संस्कृति, अनोखी परंपरा, लोकगीत, नृत्य शैलियों और हस्तशिल्प के लिए पूरे विश्व भर में जाना जाता है. यहां की प्रमुख जनजाति गोंड, मुरिया, मडिया हल्बा, धुरवा, दोरला हैं.

बस्तर पंडुम हमारी संस्कृति की समीक्षा करने का मौका दे रहा है. आधुनिक जीवन शैली को स्वीकार करते हुए भी अपनी विरासत को बचाए रखना ही सही मायने में समाज को एक सूत्र में बांधना है. इस तरह के आयोजन से निश्चित रूप से बस्तर की आदिवासी सांस्कृतिक विरासत को अखंड बनाए रखने में मदद मिलेगी.

बस्तर पंडुम क्या है: बस्तर पंडुम केवल एक महोत्सव नहीं है, बल्कि यह जनजातीय जीवन का पूरा स्केच है. बस्तर पंडुम के जरिए इस संस्कृति को एक मंच दिया जा रहा है और इसके प्रदर्शन के माध्यम से अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है. सरकार और समाज के सहयोग से बस्तर की सांस्कृतिक विरासत हो संरक्षित किया जा रहा है।

सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाए रखने में जनजातीय समाज का अतुलनीय योगदान. बस्तर पंडुम समृद्ध जनजातीय संस्कृति को प्रदर्शित करने का एक अद्वितीय मंच-रमेन डेका,राज्यपाल,छत्तीसगढ़

जनजातीय संस्कृति का भव्य उत्सव: वहीं सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि बस्तर पंडुम, जनजातीय संस्कृति का भव्य उत्सव है. इस आयोजन के माध्यम से बस्तर पारंपरिक नृत्य, लोकगीत, हस्तशिल्प और आदिवासी रीति रिवाजों को नया मंच मिला है, जिससे न केवल स्थानीय संस्कृति को नई पहचान मिली है बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिला है.

छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि बस्तर पंडुम 2025, संस्कृति, कला और परंपरा का उत्सव है. यह जनजातीय जीवन के रंग, परंपराओं की गूंज और लोक संस्कृति का अद्भुत संगम है.

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