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लखनऊ चिड़ियाघर में वन्य जीवों की कमी; हुक्कू बंदर न होने से मायूसी, दर्शक बोले- बच्चे नहीं कर पा रहे एंजॉय - LUCKNOW ZOO

नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में जिराफ, जेब्रा, शुतुरमुर्ग और चिंपांजी की संख्या कम.

लखनऊ चिड़ियाघर
लखनऊ चिड़ियाघर (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : April 10, 2025 at 9:27 PM IST

6 Min Read

लखनऊ : राजधानी स्थित नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में वन्यजीवों को देखने की ख्वाहिश लेकर आने वाले दर्शकों को मायूसी हाथ लग रही है. महंगा टिकट खरीदने के बाद जब वे चिड़ियाघर के अंदर पहुंचते हैं तो उन्हें कई जानवर ही देखने को नहीं मिल रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में कई वन्यजीवों की मौत हो चुकी है और उनके स्थान पर नए वन्यजीव नहीं लाए गए हैं. जिराफ, जेब्रा, शुतुरमुर्ग और चिंपांजी की संख्या कम है, जबकि चिड़ियाघर का खास आकर्षण हुक्कू बंदर अब है ही नहीं. प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान में गैंडों की संख्या भले बढ़ रही हो, लेकिन लखनऊ के चिड़ियाघर में एक भी गैंडा नहीं है.

लखनऊ चिड़ियाघर की खबर (Video credit: ETV Bharat)

हक्कू के बाड़े में अब पल रहे गिद्ध : जानकारी के मुताबिक, प्राणि उद्यान में हाथियों का बाड़ा खाली पड़ा है. हिरण की वैसे तो कई प्रजातियां चिड़ियाघर में मौजूद हैं, लेकिन चिंकारा हिरण को देखने के लिए टिकट लेकर आने वाली जनता की उम्मीदों पर पानी फिर रहा है. चिड़ियाघर में चिंकारा है ही नहीं. पहले हुक्कू बंदर हुआ करता था, बच्चों का इससे खास लगाव था. चिड़ियाघर में हुक्कू बंदर की आवाज लोगों को खूब आकर्षित करती थी, लेकिन अब यह आवाज पिछले कई वर्षों से गूंज ही नहीं रही है. अब तो चिड़ियाघर प्रशासन ने हुक्कू बंदर के आवास का भी नामोनिशान मिटा दिया है. अब हुक्कू बंदर के पिंजरे में गिद्ध रखे गए हैं.

चिड़ियाघर में बाघ
चिड़ियाघर में बाघ (Photo credit: ETV Bharat)

गैंडे का बाड़ा भी बंद : लखनऊ के प्राणि उद्यान में एक चिकित्सक की जान लेने के बाद 1995 से गैंडा लोहित बेहद चर्चा में था. गैंडा लोहित ने पतंग लूटने को बाड़े में घुसे एक युवक को मार डाला था. 3 फरवरी 2018 को चिड़ियाघर के इकलौते गैंडे लोहित की मौत हो गई थी. इसके बाद से चिड़ियाघर प्रशासन लगातार प्रयासरत है कि कैसे भी गैंडे को लाया जाए, जिससे बाड़ा गुलजार हो सके, लेकिन सात साल से यह कवायद ही चल रही है. अभी तक कहीं से लोहित की जगह दूसरा गैंडा लाया नहीं जा सका है. अपने वजन और खास बनावट के चलते गैंडा बच्चों के आकर्षण का केंद्र बनता था. फिलहाल अब गैंडे के आवास पर ताला पड़ा है. सिर्फ आवास का बोर्ड लगा है.

जिराफ और चिंपांजी का भी जोड़ा बिछड़ा : चिड़ियाघर में जिराफ अकेले जिंदगी जी रहा है. अपने जीवन साथी को खोने के बाद वह गुमसुम है. दर्शक उसे देखने आते हैं, लेकिन उसका कोई रिएक्शन नहीं मिलता है. बस दीदार कर वापस लौट जाते हैं. चिड़ियाघर प्रशासन की कोशिश है कि कैसे भी जिराफ का जोड़ीदार मिल जाए, लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पाई है. यही हाल चिंपांजी का भी है. इसके भी जोड़ीदार की व्यवस्था करने में चिड़ियाघर प्रशासन जुटा है.

इतने का है टिकट : चिड़ियाघर घूमने आने वाले दर्शकों के लिए टिकट की बात की जाए तो वर्तमान में एडल्ट टिकट ₹80 का और पांच साल से 12 साल तक के बच्चों का का टिकट ₹40 का है. बाल ट्रेन की ट्रिप के साथ टिकट की दर ₹100 है.

चिड़ियाघर में भालू
चिड़ियाघर में भालू (Photo credit: ETV Bharat)


क्या कहते हैं दर्शक : देहरादून से चिड़ियाघर घूमने आए ललित सिंह का कहना है कि यहां का चिड़ियाघर तो ठीक है, लेकिन नैनीताल में ज्यादा नेचुरलिटी है और जानवर भी ज्यादा हैं. वैसे तो यहां पर भी ठीक ही कहा जा सकता है. बहुत सारे बाड़े यहां पर खाली हैं. जानवर बहुत कम हैं. यहां पर जानवर भी बहुत कमजोर हो चुके हैं. नैनीताल में टिकट ₹70 का है, यहां पर टिकट महंगा है.



उत्तराखंड से घूमने आए राजन सिंह का कहना है कि मैं हल्द्वानी से आया हूं. यह भी चिड़ियाघर बहुत अच्छा है, लेकिन हल्द्वानी का चिड़ियाघर बहुत ज्यादा अच्छा है. यहां पर जानवर काफी कम हैं.



शहर के राजा बाजार से चिड़ियाघर घूमने आईं लकी रस्तोगी का कहना है कि चिड़ियाघर बच्चों के लिए बेस्ट है. छुट्टियों में बच्चे चिड़ियाघर ही देखने की ख्वाहिश रखते हैं. यहां पर आए हैं. हुक्कू बंदर न होने से बच्चों को बहुत मायूसी हो रही है. हुक्कू बंदर तो खूब बोलता था. बच्चों को तो कह कर यही लाया जाता है कि वहां पर हुक्कू बंदर है, लेकिन यहां होने पर हुक्कू बंदर नहीं मिलता है. हुक्कू बंदर जरूर होना चाहिए. बच्चे एंजॉय नहीं कर पा रहे हैं.



क्या कहती हैं प्राणि उद्यान की डायरेक्टर : वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान की डायरेक्टर अदिति शर्मा का कहना है कि हमारा प्रयास होता है कि दर्शकों के लिए अधिक से अधिक प्रजातियां लाएं. उन्हें एजुकेशन, कंजर्वेशन और अवेयरनेस करते रहें. हम कुछ प्रजातियों को लाने का प्रयास कर रहे हैं. पिछले साल हम एक बब्बर शेर लाए थे. हिरण भी लेकर आए थे. चिंकारा प्रजाति लाने की बात चल रही है.

उन्होंने कहा कि हमारे पास जो बच्चे हैं उन्हें आपस में ब्रीड नहीं कराया जा सकता है, इसलिए जंगल कैट लाने का प्लान है. कुछ और प्रजातियां लाने की बात चल रही है. कोशिश रहेगी कि ज्यादा से ज्यादा प्रजातियां लखनऊ चिड़ियाघर में दर्शकों को देखने को मिलें. शुतुरमुर्ग तो है, लेकिन एक ही है और लाने का प्रयास किया जा रहा है. जिराफ अभी तो एक है प्रयासरत हैं कि और लाया जाए. चिंपांजी भी एक ही है, उनका भी पेयर बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि हुक्कू बंदर के लिए दो राज्यों में बात चल रही है. मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में. अगर वहां का चिड़ियाघर प्रशासन यह प्रपोजल मान लेता है तो सही रहेगा, क्योंकि यह लंबी प्रक्रिया होती है. दोनों जू के डायरेक्टर आपस में सहमति देते हैं. उसके बाद पीसीसी वाइल्डलाइफ अनुमति देते हैं. उसके बाद सेंट्रल जू अथॉरिटी की सहमति के बाद ही जानवर एक चिड़ियाघर से दूसरे चिड़ियाघर ले जा सकते हैं. हमारा प्रयास जारी है. आशा करते हैं कि जल्द से जल्द और वन्य जीव आएंगे.

यह भी पढ़ें : लखनऊ में पकड़ा गया बाघ: 12 दिन बिना नहाए गोबर पोत किया इंतजार; कानपुर के डॉक्टर ने बताई ऑपरेशन की पूरी कहानी

यह भी पढ़ें : चिड़ियाघर में जानवर और पक्षी होंगे कूल-कूल, देखें वीडियो

लखनऊ : राजधानी स्थित नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में वन्यजीवों को देखने की ख्वाहिश लेकर आने वाले दर्शकों को मायूसी हाथ लग रही है. महंगा टिकट खरीदने के बाद जब वे चिड़ियाघर के अंदर पहुंचते हैं तो उन्हें कई जानवर ही देखने को नहीं मिल रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में कई वन्यजीवों की मौत हो चुकी है और उनके स्थान पर नए वन्यजीव नहीं लाए गए हैं. जिराफ, जेब्रा, शुतुरमुर्ग और चिंपांजी की संख्या कम है, जबकि चिड़ियाघर का खास आकर्षण हुक्कू बंदर अब है ही नहीं. प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान में गैंडों की संख्या भले बढ़ रही हो, लेकिन लखनऊ के चिड़ियाघर में एक भी गैंडा नहीं है.

लखनऊ चिड़ियाघर की खबर (Video credit: ETV Bharat)

हक्कू के बाड़े में अब पल रहे गिद्ध : जानकारी के मुताबिक, प्राणि उद्यान में हाथियों का बाड़ा खाली पड़ा है. हिरण की वैसे तो कई प्रजातियां चिड़ियाघर में मौजूद हैं, लेकिन चिंकारा हिरण को देखने के लिए टिकट लेकर आने वाली जनता की उम्मीदों पर पानी फिर रहा है. चिड़ियाघर में चिंकारा है ही नहीं. पहले हुक्कू बंदर हुआ करता था, बच्चों का इससे खास लगाव था. चिड़ियाघर में हुक्कू बंदर की आवाज लोगों को खूब आकर्षित करती थी, लेकिन अब यह आवाज पिछले कई वर्षों से गूंज ही नहीं रही है. अब तो चिड़ियाघर प्रशासन ने हुक्कू बंदर के आवास का भी नामोनिशान मिटा दिया है. अब हुक्कू बंदर के पिंजरे में गिद्ध रखे गए हैं.

चिड़ियाघर में बाघ
चिड़ियाघर में बाघ (Photo credit: ETV Bharat)

गैंडे का बाड़ा भी बंद : लखनऊ के प्राणि उद्यान में एक चिकित्सक की जान लेने के बाद 1995 से गैंडा लोहित बेहद चर्चा में था. गैंडा लोहित ने पतंग लूटने को बाड़े में घुसे एक युवक को मार डाला था. 3 फरवरी 2018 को चिड़ियाघर के इकलौते गैंडे लोहित की मौत हो गई थी. इसके बाद से चिड़ियाघर प्रशासन लगातार प्रयासरत है कि कैसे भी गैंडे को लाया जाए, जिससे बाड़ा गुलजार हो सके, लेकिन सात साल से यह कवायद ही चल रही है. अभी तक कहीं से लोहित की जगह दूसरा गैंडा लाया नहीं जा सका है. अपने वजन और खास बनावट के चलते गैंडा बच्चों के आकर्षण का केंद्र बनता था. फिलहाल अब गैंडे के आवास पर ताला पड़ा है. सिर्फ आवास का बोर्ड लगा है.

जिराफ और चिंपांजी का भी जोड़ा बिछड़ा : चिड़ियाघर में जिराफ अकेले जिंदगी जी रहा है. अपने जीवन साथी को खोने के बाद वह गुमसुम है. दर्शक उसे देखने आते हैं, लेकिन उसका कोई रिएक्शन नहीं मिलता है. बस दीदार कर वापस लौट जाते हैं. चिड़ियाघर प्रशासन की कोशिश है कि कैसे भी जिराफ का जोड़ीदार मिल जाए, लेकिन अभी तक इसमें सफलता नहीं मिल पाई है. यही हाल चिंपांजी का भी है. इसके भी जोड़ीदार की व्यवस्था करने में चिड़ियाघर प्रशासन जुटा है.

इतने का है टिकट : चिड़ियाघर घूमने आने वाले दर्शकों के लिए टिकट की बात की जाए तो वर्तमान में एडल्ट टिकट ₹80 का और पांच साल से 12 साल तक के बच्चों का का टिकट ₹40 का है. बाल ट्रेन की ट्रिप के साथ टिकट की दर ₹100 है.

चिड़ियाघर में भालू
चिड़ियाघर में भालू (Photo credit: ETV Bharat)


क्या कहते हैं दर्शक : देहरादून से चिड़ियाघर घूमने आए ललित सिंह का कहना है कि यहां का चिड़ियाघर तो ठीक है, लेकिन नैनीताल में ज्यादा नेचुरलिटी है और जानवर भी ज्यादा हैं. वैसे तो यहां पर भी ठीक ही कहा जा सकता है. बहुत सारे बाड़े यहां पर खाली हैं. जानवर बहुत कम हैं. यहां पर जानवर भी बहुत कमजोर हो चुके हैं. नैनीताल में टिकट ₹70 का है, यहां पर टिकट महंगा है.



उत्तराखंड से घूमने आए राजन सिंह का कहना है कि मैं हल्द्वानी से आया हूं. यह भी चिड़ियाघर बहुत अच्छा है, लेकिन हल्द्वानी का चिड़ियाघर बहुत ज्यादा अच्छा है. यहां पर जानवर काफी कम हैं.



शहर के राजा बाजार से चिड़ियाघर घूमने आईं लकी रस्तोगी का कहना है कि चिड़ियाघर बच्चों के लिए बेस्ट है. छुट्टियों में बच्चे चिड़ियाघर ही देखने की ख्वाहिश रखते हैं. यहां पर आए हैं. हुक्कू बंदर न होने से बच्चों को बहुत मायूसी हो रही है. हुक्कू बंदर तो खूब बोलता था. बच्चों को तो कह कर यही लाया जाता है कि वहां पर हुक्कू बंदर है, लेकिन यहां होने पर हुक्कू बंदर नहीं मिलता है. हुक्कू बंदर जरूर होना चाहिए. बच्चे एंजॉय नहीं कर पा रहे हैं.



क्या कहती हैं प्राणि उद्यान की डायरेक्टर : वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान की डायरेक्टर अदिति शर्मा का कहना है कि हमारा प्रयास होता है कि दर्शकों के लिए अधिक से अधिक प्रजातियां लाएं. उन्हें एजुकेशन, कंजर्वेशन और अवेयरनेस करते रहें. हम कुछ प्रजातियों को लाने का प्रयास कर रहे हैं. पिछले साल हम एक बब्बर शेर लाए थे. हिरण भी लेकर आए थे. चिंकारा प्रजाति लाने की बात चल रही है.

उन्होंने कहा कि हमारे पास जो बच्चे हैं उन्हें आपस में ब्रीड नहीं कराया जा सकता है, इसलिए जंगल कैट लाने का प्लान है. कुछ और प्रजातियां लाने की बात चल रही है. कोशिश रहेगी कि ज्यादा से ज्यादा प्रजातियां लखनऊ चिड़ियाघर में दर्शकों को देखने को मिलें. शुतुरमुर्ग तो है, लेकिन एक ही है और लाने का प्रयास किया जा रहा है. जिराफ अभी तो एक है प्रयासरत हैं कि और लाया जाए. चिंपांजी भी एक ही है, उनका भी पेयर बनाने का प्रयास किया जा रहा है.

उन्होंने कहा कि हुक्कू बंदर के लिए दो राज्यों में बात चल रही है. मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में. अगर वहां का चिड़ियाघर प्रशासन यह प्रपोजल मान लेता है तो सही रहेगा, क्योंकि यह लंबी प्रक्रिया होती है. दोनों जू के डायरेक्टर आपस में सहमति देते हैं. उसके बाद पीसीसी वाइल्डलाइफ अनुमति देते हैं. उसके बाद सेंट्रल जू अथॉरिटी की सहमति के बाद ही जानवर एक चिड़ियाघर से दूसरे चिड़ियाघर ले जा सकते हैं. हमारा प्रयास जारी है. आशा करते हैं कि जल्द से जल्द और वन्य जीव आएंगे.

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